पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२७८

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२ ऐसे पेश की खपी लकडी जिसकी डाल पत्तियों मादि कट ठनक ठुनक-समा खो० [ भनुध्व.] ठिठककर चलने के कारण या गिर गई हो। ३. कटा हुमा हाथ । ४ वह मनुष्य जिसका पामुपण से निकलनेवाली ध्वनि । उ०-ठुमक चाल ठठि हाय कटा हो । लूला। ठाठ सो, ठेल्यो मदव कटक्क । तुनक हुनक ठुनकार सुनि ठठके ठुर-सपा सी० [हिं० [४] दे० 'ठुठ' । खाच झटक्क ।-जनिषि प्र०, पृ०३ ढुफलाg-fठ० स० [हिं० ठोंकना ] धीरे धीरे हथेली पटककर ठनकना-कि०म० [हिं०] १ ० 'टिनकना। २. प्यार या दुलार माघात पहचाना । हाथ मारना । उ.-दिन दिन देन उरहनो के कारण नखरा करना। उ०-सबको है पापको नही पावे कि कि परत परैया ।—सूर (शब्द॰) । है? उसने ठुनकते हुए कहा ।-याधी, पृ० ३२।। ठक-पक्षी [ मनुष्य किसी चीज पर की वस्त से मापात ठनकना-हि० स० [हिं० ठोंकना ] घोरे से उँगली से ठोक या मार देना। करने फा शव या व्यनि । ठनकाना-क्रि० उ. हिं० ठोकना ] धीरे से ठोकना। उँगली ठुकठुक-सधा सी. किसी वस्तु को ठोकने से लगातार होने- से धीरे से पोट । हुंचाना। _ बाधी पनि। क्रि०प्र०-फरला ।-लगाना । ठुनकार-सक्षा ली० [गनुध्व.] ठुनक को आवाज ! Ga-ठुनक ठुनफ ठुनकार सुनि ठठने लाल भटक्क । -बज.प्र., ठुकना-मि. म. [मनुध्व.] १. ताडित होना। ठौका पाना । पिटवा । पाघाट महना। २. धापात पाकर फंसना पहना। ठुनठुन-सा पु० मनुष्व.] १ धातु के टुकड़ों या वरतनों के बजने जैसे, लूटा ठुफना। का पाव्य । २. बच्चों के रुक कर रोने का शब्द । संयो० क्रिक-जाना। मुहा०-ठुन तुन लगाए रहना- घरावर रोया करना। ३. मार खाना । मारा जाना। जैसे,-घर पर खूब ठुकोगे। ४. ठनकनारे-क्रि० स० [हिं० दे० 'ठुनकना' । उ०-वह पालिका कुस्ती पादि मे हारना । ध्वस्त होना । पस्त होचा । ५. हानि । के सदृश ठुनुफकर बोली। कंकाल पु० २१७ । होना । नुकसान होना । चपत पैठना । जैसे,-घर से निकलते ठुमक-वि० [ मनुव.] 1 (चाल) जिसमें उमग के कारण जल्दी ही २०) की ठुकी । १. काठ में ठोंका जावा । कैव होना। जल्दी थोडी थोडी दूर पर पैर पटकते हुए चलते हैं। बच्चों पैर में वेड़ी पहनना । ७ दाखिल होना । जैसे, नालिय फी तरह कुछ कुछ उछल कूद या ठिठक लिए हुए (चाल)। ठुकना । ८ जना । ध्वनित होना । .-कहुँ तिमत्त घर २ ठसफमरी (चाल)। जैसे, ठुमक चाल । धुफ्त, लुफत कहे सुभट छात छल । ठुकत काल कहे पत्र, कुफत ठुमक ठुमक ठुमक ठुमक क्रि० वि० [अनुध्व.] जल्दी जल्दी फहुँ न पाइ जल ।-पृ० रा०, ८१४२ । योड़ी थोड़ी दूर पर पेर पटकते हुए (बच्चों का पलना) । ठुकराना-कि० स० [हिं० ठोकर] १. ठोकर मारवा । ठोकर फुदकते या रद रहकर कूदते हुए (चलना)। जैसे, बच्चो का जगाना । लात मारना। २ पैर से मारफर किनारे करना । ठुमक ठुमक चलना । 30-(क) कौशल्या जब वोलन जाई। तुच्छ समझकर पैर से हटाना। ३ तिरस्कार या उपेक्षा ठुमफि ठुमकि प्रभु वहि पराई।-तुलसी (शब्द०)। (ख) करवा । न मानना । प्रमादर करना । जैसे, वात ठुकराना, चलत देखि जसुमति सुख पावै। तुमुफ ठुमुक धरनो पर रेंगत सखा ठुकराना। जननी देखि दिखावै ।-सूर (शब्द०)। ठुकराला- पु. [ सं• ठकुर] १.६० 'ठाकूर'। उ०--मनमानै ठुमकला, ठुमकना--कि०म० [अनुध्व.] १ बच्चो का उमग में जे पलाणवह । हिव चालो ठुकराला सामहा जानि-पो जल्दी जल्दी योनो थोड़ी दूर पर पैर पटकते हुए चलना। रासो, पु०१३।२ नेपाल के एक वर्ग की उपाधि। उ.-ठुमुकि पचत रामचन्द्र बाजत पैजनियाँ । -तुलसी ठुकवाना-क्रि० स० [हिं० ठोकना का प्रे० अप] १ ठोकने का काम (शब्द०)। २ नापने मे पैर पटककर चलना जिसमे कराना। पिटवाना। २ गढ़वाना। घंसवाना। ३. सभोग धुधुरु बनें। करापा (पशिष्ट)। ठुमका-वि० [ देश० ] [वि॰ स्त्री. तुमको ] छोटे डील का। नाटा । ठेगना । उ०-जाति चली ब्रज ठाकुर पै ठुमका ठुमकी ठुकाई-सका सौ. [हि. ठुसना ठोफेर जाने या मार खाने की स्थिति, पाव पा दिया। से,-सुवा पाज वही ठुफाई हुई। ठुमकी ठकुराइन ।-पाकर (यन्द०)। ठुमका-सचा पुं० [अनुध्व.] [ बी० ठुमकी ] झटका । थपका । ठकनाल-कि०म० [हिं०] के. ठिठकना। उ०-ठकिय -(पतग)। दक्फिय फापर पाय । रनकस कर सबकस पाय !-10 ठुमकारना-~-कि. स. [ देश 1 उँगली से गोरी खीचकर झटका गसो, पृ.४१। देना । थपका देवा ।-(पतग)। ठडी-साकी [.तुए] चेहरे में होठ के नीचे का माग । चिवुक । ठमको-सधा सी० [ देश १ हाथ या उँगली से खीचकर दिया ठोढ़ी। हनु। हमा झटका । थपका !-(पतग)। कही-बा स्त्री० [हि.ठा (-खड़ा) ] वह भुना हुमा दाना जो क्रि० प्र०-देना। -लगाना । फूटकर खिला न हो। ठोरी । जैसे, मक्के को टुड्डी। २ ठिठक । रुकावट । ३. छोटो भौर खरी पुरी। मकना ही पो. को