पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२८

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जगज्जननी जगद्योनि जगज्जननी-सञ्ज्ञा स्त्री० [सं०] जगदधिका। जगद्धात्री। पर- जगत्साक्षी-समा पुं० [सं० जगत्साक्षिन् ] भानु । सूर्य।। मेश्वरी [को०] जगत्सेतु-समा पुं० [सं०] परमेश्वर । जगज्जयी-वि० [सं० जगत् +जयिन् ] विश्वविजयी [को०] । जगदंतक-सबा पुं० [ सं० जगत+पन्तक ] मृत्यु । फाल । सगमंप-सा पुं० [सं०] घमड़े से मढा हुमा एक प्रकार का बाला जगर्दवा जगदंविका-मझा की. [ सं० जगत् + अम्बा;-मम्बिका ] जो प्राचीन काल में युद्ध में बजाया जाता था। पाजकल भी दुर्गा भवानी। उ.-(क) जगददा जहं अवतरी सो पुर कहीं कहीं विवाह तथा पूजा मादि के अवसरों पर इसका वरनि कि पाय ।-मानस, १।४। (ख) जगदविका जानि व्यवहार होता है। भव भामा ।-मानस, १1१००। जगढ़वाल--संज्ञा पुं० [म.भार । व्ययं का आयोजन । जगद-सका पुं० [सं०] पालक । रक्षक । जगण-सधा ० [सं०] पिंगल शास्त्र के अनुसार तीन अक्षरों का जगदातमा - पुं० [सं० जगदात्मन् ] परमात्मा । परमेश्वर । एक गण जिसमें मध्य का पक्षर गुर और मादि मौर प्रत के ___ -जगदातमा महेस पुरारी।-मानस, १ । ६४ । पक्षर लघु होते हैं । जैसे,-महेश, रमेश, गणेश, हसत । जगदात्मा-सका पुं० [सं० जगदारमन्] १. परमात्मा । २ वायु [को०] । विशेष-दे० 'ज-१०। जगदादि-सहा पुं० [सं० जगदादिः] १. ब्रह्मा । २. परमेश्वर। जगत्-सहा पुं० [ मैं०] १ वायु। २. महादेव । ३ जगम । ४. • जगदादिज-सका पुं० [सं०] शिव का एक नाम [को०) । विश्व । ससार । जगदाधार-सज्ञा पुं० [सं० जगदाधार] १. परमेश्वर । २. वायु । यो०-जगस्ता, जगत्कारण, जगत्तारण, जगत्पति, जगपिता, हवा । ३. काल । समय (को०)। ४. शेषनाग। जगत् को जगत्नपा = परमेश्वर । ईश्वर । जगत्परायण - विष्णु । धारण करनेवाले । उ०-(२) जय प्रनत जय जगदाधारा । जगत्प्रसिद्ध विश्वप्रसिद्ध । लोक में ख्यात । -मानस ६ । ७६ । (ख) जगदाधार शेष किमि उठई चले पर्या०-जगती । लोक । भुवन । विश्व । खिसिया।।-मानस, ६ । ५३ । ५ गोपाचदन। जगदानंद-सबा पुं० [सं० जगत् + मानन्द.] परमेश्वर । जगत-सशा स्त्री० [सं० जगति = घर की कुरसी ] कुएं के ऊपर जगदायु-सन्हा पुं० [सं० जगत् +मायु ] वायु । हवा । चारों पोर बना हमा चबूतरा जिसपर खडे होकर पानी भरते हैं। जगदोश-प्रज्ञा पुं० [सं० जगत् + ईश ]१.परमेश्वर । २. विष्णु । ३ जगन्नाथ जगत-सचा पुं० [सै० जगत 1 दे० 'जगत् । जगदीश्वर-सज्ञा पुं० [सं० जगत् + ईश्वर] १ परमेश्वर । जगदीश । यो०-जगतजनक = ईश्वर । जगतजननि= दे० 'जगज्जननी'। २ इद्र । मघवा (को०)। ३ शिव का नाम (को०)। ४ राजा । जगतारन = परमात्मा । जगतसेठ । भूपति (को॰) । जगतसेठ-सचा पुं० [सं० जगत् + श्रेष्ठ ] बहुत बड़ा धनी महाजन, जगदीश्वरी-सका सी० [सं०] मगवती । जिसकी साख सारे ससार में मानी जाय । जगद्गुरु-सद्धा ० [सं०] १. परमेश्वर । २. शिव । ३ विष्ण नगती-सचा सी० [सं०] १ संसार । भुवन । २. पृथिवी। भूमि । (को०)। ४ ब्रह्मा (को०)। ५ नारद । ६ प्रत्यत पूज्य या यो०-जगतीचर = मानव । मनुष्य । जगतीजानि = राजा । प्रतिष्ठित पुरुष जिसका सब लोग मादर करें। ७. शकराचार्य भूपति । जगतीपति, जगतीपाल, जगतीमा = दे० 'जगतीजानि'। की गद्दी पर के महंतों की उपाधि । एक वैदिक छद जिसके प्रत्येक चरण में बारह बारह अक्षर जगदगौरी-मरा स्त्री॰ [सं०] १. दुर्गा देवी। २. मनसा देवी का होते हैं। ४ मनुष्य जाति । मानव जाति (को०)। ५ गक। एक नाम । गाय (को०)। ६ मकान की भूमि। गृह के निमित्त या घर विशेष-यह नागों की बहन पोर जरत्कारु पि की पत्नी थी। से संबद्ध भूमि (को०)। ७ जामुन के वृक्ष से युक्त स्थान । जगद्दीप---सक्षा पुं० [सं०] १. ईश्वर । २. महादेव । शिव । ३. वह जगह जहाँ जामुन लगा हो (को०)। मादित्य । सूर्य (को०)। जगतीवल-सा पुं० [सं०] पृथिवी। भूमि । जगद्धाता-सहा पुं० [सं० जगदातृ ] [खी० जगद्धात्री ] १ ब्रह्मा। जगतीघर--सच्चा पुं० [सं०] १ बोधिसत्व । २ भूधर । पर्वत (को॰) । २ विष्णु । ३. महादेव । जगतीरुह- सज्ञा पुं० [सं०] वृक्ष । पेड । पौधा [को०] । जगद्धात्री-सझा मी० [] १. दुर्गा की एक मुर्ति । २ सरस्वती। जगत्कर्ता-सहा पुं० [सं० जगत्कर्ट ] १ ईश्वर । परमेश्वर । २ जगदल-सबा पुं० [सं० ] वायु । हवा। ' घाता। विधाता । ब्रह्मा [को०] । जगदीज--सपा पुं० [१०] शिव का एक नाम [को०] । जगत्प्रभु-सशा पुं० [सं०] १ पितामह ब्रह्मा । २. नारायण । विगु जगदुयोनि'-सबा पुं० [सं०] १ शिव । २ विषा । ३. ब्रह्मा। ३. महेश । शकर । शिव [को०] । ४. परमेश्वर। जगत्प्राण-संका पुं० [सं०] समीरण । वायु। हवा [को०] । जगदयोनि-सहा स्त्री० पृथिवी । परा।