पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३०१

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बाढीजार गयमंड कट अपमान करना। प्रप्रतिष्ठा करना। दुर्गति करना। डाढ़ी प्रकार का गोंद या कहरूमा जो रक्षिण में पश्चिमी घाट के फटकारना%=(१) हाप से डाढ़ी वालों को भटकारना । पहाडों पर होनेवाले एक पेड से निकलता है और सफेद डामर (२) संतोष पौर साह प्रकट करना । डाढ़ी रखना-टाढ़ी कहलाता है। दे० 'कहरुमा । ३.कहरुमा की तरह का एक के पास न मुडवाना । डाडी बढ देना। प्रकार का मसीता राल या गोंद जो छोटो मधुमक्खियों में बचे डादीजारा-डा.[हिं०] दादीवार। उ.--पमिरती देवी से निकलता है। ४. वह छोटौ मधुमक्खी को इस प्रकार का पूछा--कोन है डाढ़ीवार, इतनी रात को जगावत है?-- राप्त बनाती है । ५. दे० 'टामत मान०, मा०५, पु. २३ । बामग-सका बौ- [सं०डिम1. 'परी'। १०-उर पानि डाथ-सा की• [सं० दर्म] १. डाम नाम की घास। २. कच्चा गही इतो मेरी जी सबै गाय उठी व्रज डामरिया-प्रेमषन०, मारियम । ३ परवमा। भा०२,०१५। डाबक-वि० [ मनु.] दे० 'ठाम। डामल'-संबी० [म.वायमुल्हग्स 11 जनमद । उम्र भर डाबर-सहा . [सं० वन (- समुद्र या झोस) 1. मीची लिये कैद । २. देशनिकामा का वंड। जमीन । गहरी भूमि वहाँ पानी ठहरा रहे। २. परही। विशेष-भारतवर्ष में अंगरेषी सरकार भारी भारी अपराधियों को पोखरी । सलेया। गड्ढा जिसमें परसाती पानी घमा रहढा परमन टापू में भेजा करती थी। उसी को गमल कहते थे। है। उ.-(क) सुरसर सुपप बर वनचारी। डाबर बोय डाम -सत्रा . [4. डायर्यट] दे० 'शपमंड कट'। वि हंसकुमारी।--तुमयी (पन०)। (८) पो में परमि यो -चामबाटाममाट। कही विधि कहीं। डाबर कमठ की मर हीं।-तुपपी (पन्द०)। .आप घोरे का पात्र । चिममची। ४. मेघा क्रि०प्र०-छौलमा । पानी। डामलोस पु० [देरा०] पमकतरा । तारकोल । उ.-इस से डाबर-वि० मटमैमा। गदसा। कीचड़ मिषा। 30-भूमि पण पीछे इष भर मोटा डामस का पलस्तर था जो मासपा भागबर पावी।--तुमपी (म्ब०) । सीमको रोकता था।-हिंदु० सम्यता, पु०१७॥ सपा-क्ष पुं० [हिं० रमा] दे पाया। उ०-- पति पर डामाडील- निहि. दे० 'गागर।

  • बाबा। अमन परध भाषन छवि धावा।-पाकर रामिस --संथा . [हिं० डामल] दे० 'मम' । उ.-तने

(शब्द०)। गुरे मिल गएन, केतने पापन फैसिया !-प्रेमघन॰, भा॰ २, रापी-सक बी० [सं० ] कटी हुई पास या फसल का पूला। शम-सहा पुं॰ [सं० वर्म] 1. कुथ की जाति को एक पास जो टार्य डाय-कि० वि० [अनु॰] व्यथं इधर है अधर (धूमना । प्राय रेह मिली हुई कसर बमीन में अधिक होती। एक ध्ययं घूम थापते हुप । जैसे,—वह यों ही दिन भर गये गये प्रकारका कुश। ३.कुम । 10-अप गभ, तिष पाख पाँ फिरा करता है। सुक्न को परवाह । पीदहिवेत सिमामयी, नैना दम बिन डायट--संवा [4] १. व्यवस्थापिका समा। राज्यसभा से. वाह!-मुबारक (धन)।३ पाम का मौर। ग्राम की बापास की पीरियल डायट । २० पथ्य 1 ३. भोषन । मंवरी। स०-जट महिमामहि गयकोई। तर बहि साब पवा। मुर्गध बसायम सोई।-जायसी (शब०)। ४ कच्चा डापन- बी. [सं. किनी, प्रा० शाइणी ] १. दाकिनी। नारियल। पिशाचिनी । पूरल । तिन । २ कुरूपा लो। डाभक-वि० [ मनु० सभक समक] से तुरत का मिकला हुमा। डायनामो-महा[.] एक प्रकार का छोटा पंजिन जिससे ताबा (पानी)। जैसे, डाभक पानी। विपनी पवा की पाती है। डाभर@f-m पुं० [सं० दभ्र ] ३० 'डाबर । डायरिया-सवा पु.[.] पस्त की बीमारी। पतिसार। डामचा-सा देश खेत में बसा किया हुमा वह मचान डायल-संथा - [पं०] १. घडी के सामने का वह गोल माग जिसके विसपर से खेत की रखवाली करतेमडा । माचा । उपर पंकबरे होते और सुइयां घुमती घडीकापेहरा। डामर--सहा[सं०] पिवकथित मामा पानेवामा एकत्र २. पहिए का टेढ़ा हो पाना (विशेषतः साइकिम पादिका)। जिस यह भेद किए गए-पोप डामर, शिव डामर, दी पपनी जगह पर ठीकय पठमा । सामर, सारस्वत डामर, बह्म डामर और गधर्व शामरा २ दायलाग-- पुं० [4. डायसॉग] संवाद। कपोपकथन । वार्ता हलचल। धूम ! ३ माउपर । ठाटबाट । ४ चमत्कार। ५. साप । उ०-प्रबकी दफे अपना गयलाग पच्छी तरह पार दुर्ग के शुभाशुभ जानने के लिये बनाए जानेवाये पक्रों में से कर सो।--प्रानाश, १.१५२ ॥ एका क्षेत्रपाल । ४६ भैरवों में से एक । ७ एक मिधित हायस-सा पुं० [40] वह ऊंचा स्थान या चबूतरा जिसपर किस पा सकर जाति। समा सभापति का पासन रखा जाता है। मंच। डामर- [देश॰] १. साल वृक्ष का गाँव । राच । २. एक डायमंड कट-सका पं० [पं०] गहनों की पातु को इस प्रकार छीबर