पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३११

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१९५७ डेढ़गोशी कान्ह प्यारे को चलाचल में तब तो चले न, भाव चाहत डेगा' -समाहि० डग ] दे० 'डग'। उ०-बात बात में गाक्षी कितै चले। पौर डेग डेग पर डासी ।-मैला, पु०२३ । २.सूर्य, ग्रह, नक्षत्र मादि का मस्त होना । सूर्य या किसी तारे डेग-सधा पृ० [हिं० देग ] दे० 'देग'। का पदृश्य होना । से, सूर्य डूबना, शुक्र डूबना । डेगची-सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'देगची'। संयो.कि-बाना। डेट-सबा सो• [0] तिथि । तारोस । ३. चौपट होना। सस्यानाथ जाना। परमाद होना। बिगडना। डेडरा-सना पुं० [सं०वादुर दे० 'दादुर'। उ०-डेडरा से डर, नष्ट होना । जैसे, वंश डूबना । उ०-हुना वश कवीर का, सोंगी मच्छ को मरोड डारे । कानन के बीच जाय कुंजर को उपजे पूत कमाल ।-(शब्द॰) । पक्करे।--राम. धर्म, पु०१। संयो.क्रि०-जाना। उ.-पावत जावत कोई न देखा डूब डेडरिया-संश [हिं. डेडरा] दे० 'डेडरा'। उ०-डेडरिया गया बिन पानी !-कवीर शु., पृ. ३१ । खिण मह वा पण बूढा सरचित्त।-ढोला, पृ० ५४८ । मुहा०-नाम हुपना= मर्यादा बिगड़ना। प्रतिष्ठा नष्ट होना। डेडहा-सा पु० [सं० डुण्डुम ] पानी का सांप पिसमें बहुत कम कुख्याति होना। विष होता है। ४ किसी व्यवसाय में लगाया हपा धन नष्ट होना या किसी को डेढ़--वि० [सं०पध्यदप्रा०डिवड्ड] एक मौरपाषा सार्वक । दिया हुमा रुपया न वसूल होना । मारा जाना । जैसे,—(क) जो गिनती में १३ हो। जैसे, डेढ़ रुपया, डेढ़ पाय, डेढ सेर, उसने जिवना रुपया इधर उधर कर्ज दिया था सब दूब गया। डेढ़ बजे। (ख) जिसने जिसने हिस्सा सरीदा सबका रुपया दूब गया । मुहा०-डेढ़ ईंट की जुदा मसजिद बनानाखरेपन या प्रसा- संयो० कि०-जाना। पर कारण सबसे मलग काम करना । मिलकर काम न करना । डेढ़ गांठ - एक पूरी और उसके ऊपर दूसरी माधी ५. बेटी का बुरे घर न्याहा जाना। कन्या का ऐसे घर पडना गाँठ। रस्सी तागे मादि की वह गांठ जिसमें एक पूरी गांठ जहाँ बहुत कष्ट हो। लगाकर दूसरी गांठ इस प्रकार लगाते हैं कि तागे का एक संयो.कि-जाना। छोर दूसरे छोर की दूसरी पोर बाहर नहीं खींचते, तागेको ६.चितन में मग्न होना। विधार में लीन होना । पच्छी तरह पोड़ी दूर ले जाकर नीच ही में कस देते हैं। इसमें दोनों छोर घ्यान हटाना। जैसे, डूबकर सोचना। लीन होना । एक ही मोर रहते हैं मौर दुसरे छोर को खींचने से गांठ खुल तन्मय होना । लित होना । अच्छी तरह लगना । जैसे, विषय जाती है। मुखी। चावल की खिचड़ी पकाना - मपनी राय वासना में वना, ध्यान में डूबना।। सबसे अलग रखना। बहुमत से भिन्न मत प्रकट करना। डेढ़ मा-सबा पु० [सं० हुम्ब ] दे० 'डोम । 10--सुधर यहु मन ड्रम पुल्लू = थोड़ा सा । डेढ चुल्लू लहू पीना=मार डालना । खूब है, मांगत करे न सका दीन भयो जात फिर, राजा होइ बड देना। (कोषोक्ति, स्त्रि०)। किरक!-सुदर० प्र०, भा॰ २, पृ०७२६ । विशेष--जब किसी निर्दिष्ट सख्या के पहले इस शब्द का प्रयोग ड्रमा-संवा पु० [रूसी ] स को पार्यमेट या राजसभा का नाम । होता है तब उस संख्या को एकाई मानकर उसके माधे को इमना-कि- म. [ हि. हुलमा] ३० डोलना'। ४०-पहिले जोड़ने का अभिप्राय होता है । जैसे, डेढ सौ सौ पौर उसका पोहर रण, दिवला प्रवर इस । पण कस्तूरी हुह रही, प्रिय प्राधा पचास प्रर्थात् १५०, डेढ हजार हजार और उसका चंपारी फूल !-ढोला०, ४० ५५२ । पाषा पांच सौ, पर्याद १५००। पर, इस शब्द का प्रयोग डेंटिस्ट-सज्ञा पुं० [मं० डेन्टिस्ट] दंतचिकित्सक । दात का डाक्ठर । दहाई के मागे के स्थानों को निर्दिष्ट करनेवाली संख्यामो के दात पनानेवाला। साथ ही होता है। जैसे, सो, हजार, लाख, करोड, परव हंसी-सम स्त्री० [ टिएिडश ] ककड़ी की तरह की एक तर- इत्यादि। पर पनपढ़ और गंवार, जो पूरी गिनती नहीं जानते, कारी जिसके फल कुम्हड़े की तरह गोल पर छोटे होते हैं। पौर सस्पामों साथ भी इस शब्द का प्रयोग कर देते हैं। जैसे, डेढ़ बीस प्रर्थात् तीस । डेउढा-वि०, संशा पु० [हि.] ३. 'डेवढ़ा', 'ड्योढ़ा। डेदखम्मन--सबा बी० [हिं० डेढ़ + फा० खम ] एक प्रकार का डेउढ़ी-मा सौ.[हिं०]. 'डयोढी। पिरका या गोल रुखानी। डेका-सहा . [ देश.महानिया पकायन । डेदखम्मा-सधा पुं० [हिं० डेढ़+मा० स्वम (= टेढ़ा) ] वाकु डेकर-सन पुं० [40] बहाष पर लकड़ी से पटा हुमा फर्श या छन। पीने का वह सस्ता नैना जिसमे कुलफी नहीं होती। इसके डेक्टरनाल-क्रि० स० [अनु० ] ध्वनि करना । दे० 'डकरना' । घुमाव पर केवल एक घोहे की टेढ़ी सलाई रखकर उसे पयाल उ.-सब दिसे डाकिनि डेकर -कीति०, पृ० १०८। पौर चिपड़े मादि से लपेट देते हैं। डेक्कार-सहा पुं० [अनु.] डमरू ध्वनि । उ.---उछलि डमरु डेढ़गोशी-सा पुं० [हि० डेढ़+फा० गोथह (कोना) एक ___ डेक्कार कर !--कीति. पृ० १०८ । बहुत छोटा मोर मजबूत बना हमा जहाज।