पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१३

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डेरी डेहरी को डेरावाली सुदमाकर बालदेव को बुढ़िया मौसी से कह गई उभरा हमा भाग जिसमे पुतषी होती है। प्राख का कोया । पी।---मैसा. पृ. १२ ३. एक जंगमी वृक्ष । देररा'। उ.-हेले, पोल, माक डेरी-सी० [म. डेयरी] वह स्थान जहाँ गोएं, मैसें रखी मोर जर के कुसमुदाप वृक्ष ।--ज्ञानदान, पृ० १.३॥ मोर दूध मक्खन मादि वेचा जाता है। डेला-सा पु० [हिं० ठेलवा] यह काठ जो नटखट चौपायों में गर्म यो०-डेरीफार्म। में बांध दिया जाता है । गुर। डेरीफार्म-सहा पं० दे० 'डेरी'। डेलिगेट-संघा पुं० [१०] वह प्रतिनिधि को किसी सभा में किसी डेरा --संवा ० [हिं० हर] दे.'डर' 80-जप को देखि मोहि स्थान के निवासियों की पोर से मत देने लिये डेर लाग्यो । जग०, बानी०, पु०२८। भेजा जाय। डेरु-संथा पुं० [सं० मरू दे० 'डमक। उ०-सिव सखी भेख डेलिया---सपा पुं० [दरा०] एक पोषा जो फूलों के लिये लगाया जाता साजिक, पाए गौरा को तजिकै । नाचै है डे के लेके, ब्रजवाल है। इसका फूल लाख या पीसा होता है। देखि झिझिक ।-व्रज प्रस, पृ०६१ । डेलो'--सका श्री [हिं० डला] दलिया। बांस की झापी । देउत। उ०-धिगा सुग्रा करत सुख केली। चुरि पास मेलेसि परि डेनसरा श्रीदेश०] वह भूमि जो रवी की फसल के लिये जोतन डेखी।-जायसी (शब०)। कर छोड़ दी जाय । परेन । डेसर-समा डेली-वि० [20] दैनिक ( प्रखबार मादि)। [देश॰] कटहल की तरह का एक बड़ा चा पेड़ जो लका में होता है। डेवदा-वि० [हिं० डेवढ़ा] डेढ़ गुना । डेवढ़ा। 30-सुर सेनप उर बहत उछाहू। विधि ते उंबढ़ सुनोचन साहू-तुलसी विशेष-इसके दौर की लकड़ी चमकदार और मजबूत होती है, इसलिये वह मेज कुरसी तथा सजावट के अन्य सामान बनाने के काम में माती है। नावें भी इसको मन्छी डेवढ़ा-सका स्त्री तार । सिलसिला । क्रम। बनती हैं। इस पेड़ में कटहल के बरावर बड़े फष लगते है मेर मेamar लगते. क्रि० प्र०-लगना। जो साए जाते है। बीर भी खाने के काम में पाते हैं। इन डेवढ़ना-कि० म० [हिं० डेवढ़ा ] मोच पर रखी हुई रोटी का पीजो में से हेल निकलता है जो दवा भौर जलाने के काम फूलना। मे माता है। डेवढ़ना-क्रि० स०१ कपड़े को मोड़ना । कपड़ों को तह लगाया। डेल'-सेवा पु० [सं० दुराहुल ] उस्नु पक्षी। उ.--धननाद. जोवन, किसी वस्तु में उसका माधा और मिखाना । डेवढ़ा करना। राजमद ज्यों पछिन मह डेल ।-स्वामी हरिदास (शन्द०)। ३ पौष पर रखी हुई रोटी को फुलाना। रेल या सं० दल, हि० ला ] ढेला । पल्पर, मिट्टी या इंद डेषदा-वि० [हिं० डेढ़] भाषा भोर मषिक । किसी पदार्थ से उसका का कहा। रोड़ा। उ०--(क) नाहिच रास रसिक रस भाषा मीर ज्यादा डेढगुना। चासो ताते डेल सो गरो। -सूर (गन्द०)। (ख) व टेलटा-मक्षामा : सोपनाय माप मेलन सभा के बीच लोगच कविठकीवी खेख पढ़ा हो (पालकी के कहार)। २ गाने में वह स्वर पो करि जानो है।-इतिहास, पृ. ३५४। साधारण से कुछ मषिक कॅचा हो। ३. एक प्रकार का कि००-डेखकरवा नष्ट करता । ढेला या रोड़ा कर देना। पहाड़ा जिसमे क्रम से पकों को डेढ़गुनी सख्या पतलाई समात करला। उ०--मोरोखर पाए रिस भीने । वे सबै जाती है। डेन से कौने ।-न.प्र., पृ०२७७ 1 डेवदो-संक श्री. सं० वेहली] दे० 'इघोड़ी 110-पस पविड़े देना-- पु.हि. डबा ] यह इला जिसमे बहेलिए पक्षी पादि डारि रहींगी डटी डेवढ़ी डर घोषि मषीरतियाँ।-श्यामा०, बंद करके रखते हैं। उ०---कित नहर पुनि माउव, कित पृ० १६६। लाप प्रापछ होइहि पर पंखि जस जेव। डेवलप करना--कि. म.मं. देवलप+ हिं० करना फोटोग्राफी ---ायसी (सन्द०). में प्लेट को मसाले मिले हुए जल से धोना जिसमें प्रति चित्र रेलपायरियन--संका स्त्री. [भारिश] (स्वतंत्र) पायरलैंड की का माकार स्पष्ट हो जाय । भावस्थापिका परिषर जिसमें उस देश के लिये डेसिमल-सहा पुं० [40] दशमलव। उ०-अपना भाप हिसाब कानुन कायदे मादि बदले हैं। लगाया। पाया महा दीन से दीन । डेसिमल पर दस शुन्य डेलटा-हा.[ यू०,०] नदियों के मुहाने या संगमस्थान पर जमाकर, लिखे जहाँ तीन पर तीन ।-हिम त०, पृ०७०। उनके द्वारा लाए हए कीचड़ और बालके जमने से बनी हुई डेस्क-सबा पुं० [म.] लिखने के लिये छोटी ढालूमो मेज। निको धारा के कई शाखामों में विभक्त होने के कारण डेहरी'-यक्ष श्रीसं० देहमी ] दरवाजे के नीचे की उठी हुई तिकोनी होती है। अमीन जिसपर चौसठ के नीचे की लकड़ी रहती है । दहलीज। देखा- [सं० ] १. देखा । रोग। २. मोर का सफर खतमः। खन