पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१४

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डोज डेहरी-संघाखी हिवह मम रखने के लिये कच्ची मिट्टी शू मागे । भरि बंदूक पठारह छोड़े। इतने सदिय होय तब का ऊँचा बरतन । है। हनुमान (द)। डेहल-सबा पुं० [सं० देहली ] देहली। पहलीज । डॉदी-सबा सी-सेतुए] १. पोस्ते का फल जिसमें से प्रफोम हैंगू फीवर-सक्षा पुं० [अ० देंगे फीवर ] दे० 'डगू ज्वर' । 30- निकलती है। कपास की कली। 50-सोजा, मणिपुर वै० १९२६ का रंगू फीवर ।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ. ३४३ । राजकुमार । ज्यों कपास की रोंडो में सोता है पैर पसार । ढंगना-सया पुं० [हिं० डैग ] काठ का लंबा टुकड़ा जो नटखट पक कीठ नन्हा सा श्वेत, मृदुख सुकुमार।-बदन, पु.१५॥ चौपार्यो के गले में इसलिये वाष दिया जाता है जिसमें वे २. उमरा मुंह । टोंटी। अधिक भाग न सकें। गुर। लंगर। डौंधी-संवा सी० [सं• द्रोणी ] मेंगी। छोटी नाव । डैन -सधा पु० [सं० व्यन ( उड़ना)] दे० 'डेना'। - डाँडो’-सवा सौ. [ हिं.] दे० 'डौंहो। गरजै गगन पखि जब बोला। डोल समुद्र हैन पब मेला।- डॉब-सक्षा पुं० [वेशी] दे. 'होम'। जायसी पं., पृ०१३ । डोई-या लो. [ देशी डोमा; हि सोको ] काठ को गडी को बही इना-सा पुं० [सं० डयन ( - उडना) चिड़ियों का वह फैलने करमी जिससे कडाह में दूध, घी पाशनी माधि पलाते हैं। भौर सिमटनेवाला अग बिससे वे हवा में उड़ती हैं। पंख। विशेष-यह वास्तव में सोहे या पीतल का एक कटोरा होता है पक्ष । पर। वाजू। जिसमे काठ की संगी डाँडो खड़े बल लगी रहती है। सफल-सपु०[40] एक अंगरेजी गाली। अभागा मुख। बोक-सबा [ देश छहारा जो पककर पीसा हो जाय। पकी नारकी। सत्यानाशी। उ०-ौर इसपर बदमाशों को हुई खतर। डैमफूल । वहजीप के साथ बात करना जानते ही नहीं।- गेकनी-सका सौ. [ देश०] कठोती। उ.माँ का ठोगा, काठ झांसी०, पृ० २५१। को होकनी तथा बेंत को रसिया -नेपाल, पु० ३१ । डेली -सचा पुं० सं० उम] दे॰ 'डमरू' । उ०-सरस मरै बाँची डोकर-- पुहि ] [बी. डोकरी]. 'डोकरा। उठि नाचे कर विनु डेरू बाजे ।-गोरख०, पृ० २०८। इंश-संश्चा० [म.] एक प्रकार का अंग्रेजी विरामचिह्न जिसका डोकरदोई-संवा ५० [हिं०] दे० 'शेकरा'। प्रयोग कई उद्देश्यों से किया जाता है। डोकरा-सका पुं० [सं० दुष्कर, प्रा. सकर?][ली. डोकरी] विशेष-यदि किसी वाक्य के रीष देश देकर कोई लिखा १. बूढ़ा माश्मी। मथक्त भौर पर मनुष्य ।२ पिता। आता है तो उस वामय का व्याकरणसबष मुख्य वाफ्य से नही डोकरिया-समा सी० [हिं०डोकरी+इया (प्रत्य॰)] दे० 'होकरी'। होता। वैसे,-जो पाब्द बोलचाल में पाते हैं-चाहे वे फारसी डोकरी-सधा श्री [हिं० डोकरा] दुस्ती स्ली। 30--तही मायं के हो, चाहे मरबी के, चाहे अंगरेजी के-उनका प्रयोग में एक डोकरी को घर मिल्यो ।--दो सौ बावन०, भा०1, बुरा नहीं कहा जा सकता। डैच का चिह्न इस प्रकार का- पू. ३२० । होता है। होकरो-संवा पुं० [हिं०] दे० 'डोकरा। डोंगर-सबा पु. [सं० तुज (पहाड़ी) या देशी डुगर ][ो . दोका-सहा द्रोणका काठ का छोटा परतन या कटोरा मपा० डोंगरी] पहाही। टीला । भीटा। 30--(क) एक जिसमें तेल, बटना भादि रखते हैं। फक विष ज्वाल के जल गेगर जरि जाहि।-सूर (शब्द०)। . डोका -श पुं० [देश॰] उठल । १०-उकारही होका धुगा) (ख) डोंगर को बल उनहिं बताऊँ। तापाचे बज खोषि मएस डमायर मारण।-होला, दू० ३३६ । बहाऊँ।- सूर (शब्द०)। (ग) चित्र विचित्र विविष मृग बोलत होंगर डांग । जन पुर बीपिनि निद्वरत छैल संवारे होकिया--सबा श्री० [हि. डोका ] काठ या छोटा कटोरा या स्वांग ।-तुलसी (शब्द०)। बरतन जिसमे तेल, उबटन प्रादि रखते है। डोंगा-सा पुं० [ोणखीमपालगीचिना पाल सोकी-सका सी.[हिं० डोका ] काठ का छोटा बरतन या कटोरा की नाव । २. बडी नाव। जिसमें तेल, पटना मादि रखते हैं। मुहा०-डोंगा पार होना या लगाना काम निबटना । छटकारा डोगर-सा पुं० [हिं०] दे० 'डोगर'। होना। डोगरा--सहा •[हिं० डोंगर जम्मू कश्मीर, कांगडा मादि में डॉगी-संज्ञा स्त्री॰ [हिडॉगा] १.बिना पाल की छोटी नाम । २. बसी एक प्रसिद्ध जाति या उस जाति के व्यक्ति । खोटी नाव । ३ वह परतन जिसमे लोहार लोहा लाल करके सोगरी-सहा मी [हिं०] १. डोगरा जाति के लोगों की बोली बुझाते हैं। को पंजाबी की एक शाखा है। २. छोटे छोटे घर। उ- डॉदहा-सहा . [हि ] ३० 'डोबहा'। काम करने के लिये मीलों दूर साधारण से छोटे छोटे पर बना डोदा-संश [सं०तुएड 11 बड़ी इलायची। २. डोटा। लिए है, जिन्हें डोगरी कहते हैं। किन्नर०,१०१६! कारतूस । उ०-चदवाण सत्रएँ विराणे । शत्रु हने सोडवो डोज-संक्षा बी• [ मं. डोज ] मात्रा । पुराक । मोवार।