पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१६

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मेरक रोज होरक--संज्ञा पुं० [सं०] डोरा । तागा। सुत्र । धागा । शिकारी कुत्तों की रक्षा पर नियुक्त रहती थी। मे सोग कुत्तों डोरडाई-मक्षा पु० [देश॰] धागे का ककन, जो व्याह में बघता है को शिकार पर सघाते थे। और जिसे खोलकर वर वध को जमा खेलाने की रीति चलती बोरियाto:-संधा बी० [हिं०] दे० डोरी'। उ०-सुरत सहागिनि है। 3-खेले जुवा डोरडा खोरी, सह सुभ कारण सारिया। जल भरि खावै विन रसरी बिन डोरिया ।--धरम०, पृ० ३५॥ -रघु० २०, पृ.८७। डोरियाना-क्रि० स० [हि• डोरी+प्राना (प्रत्य०) ] पशुओं को डोरना -सचा पु० [हिं० डोर दे० 'डोरा'110-हरीचद यह प्रेम रस्सी से बांधकर ले चलना। बागडोर लगाकर घोगों को ले डोजा को कैसे करि छूट।-भारतेंदु प्र०, भा० २, पु. ४६२१ जाना । उ०-गवने भरत पयादेहि पाये। कोतल संग जाहि सोरही-संशा श्री० [देश॰] बडी कटाई। बड़ी भटकटैया। डोरियाये ।-तुलसी (शब्द०)। २. परचाना । हिलगाना। सोरा-समा पुं० [सं० डोरक] १. रूई, सन, रेपाम प्रादि को स्टकर डोरिहार-सचा पु० ! हिं० डोरी+ हारा ] [ मी डोरिहारिन ] बनाया हमा ऐसा खंड जो चौड़ा या मोटा न हो, पर लंबाई पटवा। में जकीर के समान दूर तक चला गया हो। सूत्र। सूत। डोरी-सदा पौ। हि० डोरा] १. कई डोरों या वागों का बटकर तागा। धागा। जैसे, कपड़ा सोने का डोरा, माला गूधने का बनाया हमा खड जो बबाई में दूर तक लकीर के रूप में डोरा । २ घारी। लकीर । जैसे,—फपडा हरा है, बीच बीच चला गया हो। रस्सी। रज्जु । जैस, पानी भरने की डोरी, में लाल डोरे हैं। पखा खीचने की मेरी। क्रि० प्र०-पड़ना होना। मुहा०-डोरी खींचना - सुष करके दूर से अपने पास बुलाना। ३ माखों की बहुत महीन लाल नसें जो साधारण मनुष्यों की पास बुलाने के लिये स्मरण करना । जैसे,---जब भगवती डोरी पांख में उस समय दिखाई पड़ती हैं जब वे नशे की उमंग में खोंचेगी सब जायगी (लि.)। डोरी लगना = (१) किसी होते हैं या सोकर उठते हैं। जैसे,-पांखों में लाल डोरे के पास पहुँचने या उसे उपस्थित करने के लिये लगातार ध्यान कानो मे वालिया। ४. तलवार की धार। उ०-डोरन में मना रहना। जैसे,-मब तो घर की डोरी लगी हुई है। छाछ पीनी भाछे मागे पाछे मति भारी।- पद्माकर प्र०, पु० Pa-प्रारति परज लेह सुनि मोरी । परनन लागि रहे छ २८७ । ५ सपे धो की पार, जो दान मादि में ऊपर से डोरी।-जग० १०.५८ । भालते समय वैध जाती है। २ वह तागा जिसे कपड़े के किनारे को छ मोड़कर उसके भीतर मुहा०-होरा देना- तपा हुमा घी ऊपर से डालना। डालकर सीते हैं। ६. एक प्रकार की करछी जिसकी डीडी को बल लगी रहती क्रि.प्र.-भरना। हैं भौर जिससे घी निकालते हैं या दूध मादि कहाह में पलासे ३ वह रस्सी जिसे राजा महाराजाभों या बादशाहों की सवारी के है। परी। ७ स्नेहसूत्र प्रेम का पधन । लगन। पागे मागे हुदोषने के लिये सिपाही लेकर चलते हैं। मुहा०-डोरा डालना-प्रेमसूत्र में यह करना । प्रेम में फंसाना । विशेष---यह रास्ता साफ रखने के लिये होता है जिसमें डोरी अपनी भोर प्रवृत्त करना। परचाना। उ०-यह डोरे कहीं __को हुद के भीतर कोई जान सके । पौर डालिए, समझे माप ।-फिसाना, भा० ३, पृ. १२५ । क्रि० प्र०-पाना !-चलना। डोरा लगना-लेह का वधन होना। प्रीति संबंध होना। ४. चांधने की डोरी। पाश। बधन । 30-मैं मेरी करि बनम ८. वह वस्तु जिसका मनुसरण करने से किसी वस्तु का पता गवावत जद पगि परत न जम की मेरी।-सूर (शब्द०)। लगे। मनुसषान सूत्र । सुराग । उ०-जुबति जोन्ह में मिलि गई नेकन देत लखाय । साँफे के डोरे सगी, प्रली पली संग महा०-होरी टूटना-सबध टूटना। 30---का तकसीर मई जाय।-बिहारी ( शब्द.)। ६. काजल या सुरमे की प्रभ मोरी। काहे दुटि जाति है डोरी।-जग श०, पृ. ६४॥ रेखा।१०. नृत्य में कंठ की गति । नाचने में गरदन हिलाने होरी ढीली छोड़ना-देखरेख कम करना । चौकसी कम का भाव । करना । जैसे,-जहाँ ओरी डोली छोगे कि बच्चा बिगहा। ५ डाहीवार कटोरा जिससे कड़ाह में दुष, पाशनी प्रापि होरा-मक पु० [हि. दोंड पोस्ते का ओड़ा डोहा। चलाते। डोरिल-संका श्री० [हिं० डोर] दे० 'डोरी' । उ--ज्यों कपि होरि विक्रिवि. हिंडोर साथ पकड़े हए। साथ साथ। वधि पाजीगर फन फन को चोहटें नचायो।--सुर०, १६३२६ । सग सग । उ०-(क) अमृत निचोरे कल बोलत निहोरे नैक, रोरिया-सबा पुं० [हिं० डोरा] १. एक प्रकार का सूती कपड़ा सखिन के डोरे 'देव' डोले जित तित को।-देव (शब्द)। जिसमें कुछ मोटे सूत को लंधी पारियां बनी हों। २ एक (ख) बानर फिरत डोरे डोरे अप वापसनि, शिव को प्रकार का बगना जिसके पैर हरे होते है। यह ऋतु के समाज कैधों ऋपि को सदन है। केशव (धम्द०)। पनुसार रग बदलता है। ३ जुलाहों के यहाँ तागा उठाने- होल-मशा पुं० [से बोल ( भूलना, लटकाना)] १. लोहे वाला लड़का। ४. एक नीच जाति षो राजामौ के यहाँ का एक गोल परतन जिसे कुएँ मे बटकाकर पानी खींचते है।