पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

डोल डोली हा २. हिंडोला। मूला। पालना। 10-(क) सधन कुज में धात पर ) जमा न रहना । हिना । 30--(क) ममं बन डोल बनायो झूलत है पिय प्यारी।-सूर (शब्द०)। जर सौता बोला। हरिप्रेरित लछिमन मन डोला । तुलसी (ख) प्रभुहि चितै पुनि चितै महि, राजत लोचन लोख । खेलत (धन्य) । (ख) बद्ध करि कोटि कुतजपारुचि बोला अचल मनसिब मीन जुग, अनु विषि मंडस डोल ।--तुलसी सुता मनु पचल बयारिकि डोलाई ?-तुलसी (सम्द०)। (शब्द०)। डोलना–समा पुं० [सं० वोजन ] दे० 'होला। यौ०-~-डोल उत्सव -दे० 'दोलोस्सव'। उ.-सो इतने ही टोकानि -सभा सी० [हि. टोलना] रोलने की स्थिति या उनको सुधि पाई जो भाजु तो डोल उत्सव को दिन है।- कार्य । १०-वैसिऐ हॅननि, चहनि पुनि बोलनि । वैसिपे दो सौ पावन, मा० १, पृ०२२६ । लटकनि, मटकनि, गेलनि !-नद००, २६५। १. डोली। पालकी। शिविका। उ०-महा डोल दुलहिन के डोलरी-सहासी० [हिं० डोल+री (प्रत्यापलंगा घाट । झोषी। भारी। देह पताय होहू उपकारी 1-रघुराज (शब्द)। डोला-सका मु० [सं० डोल][स्त्री. मल्पा. मोती] १. स्त्रियों १४. यामिक उत्सवों में निकत्तनेवाली चौकियों या विमान । के बैठने की वह बंद सवारी जिसे कहार कों पर लेकर ६ पहाज का मस्तुल (बश०)। चलते हैं। पालकी । मियाना। शिविका । क्रि० प्र०-खड़ा करना। महा.-(किसी का) होला भेजना-दे० 'डीखा देना' 10- ७. कंप। सलमखी। हवयच । १०-पावसाह कह ऐस न टोला मेजि दी जौन मांगत दिल्ली को पति, मोल्हन कहत बोलू । पदैवी पर जगत मह डोल।-बायसी (शब्द॰) । सीख मेरी सीस पारे। -हम्मीर०, पृ. २०1 डोला क्रि० प्र०-पड़ना। मापना-न्याह के लिये कन्या मांगना। उमुसलमानों द्वारा डोला की मांग को अस्वीकार करने पर उनपर माक्रमण होलर-सका सौ[देश॰] एक प्रकार की काली मिट्टी को बहुत किया गया था उनका किला जीत लिया गया।--स.परिमा उपजाऊ होती है। (९०), पृ०1०1(किसी का) डोला (किसी के) हिर डोला-वि० [हि. डोलना ] डोलनेवाला। पचल । उ०-तुम पर या चौड़े पर उछलना-किसी दूसरी स्ली का संबंध या बिनु कार धनि हिया, तन तिनउर मा ओल। तेहि पर विरह प्रेम किसी स्त्री के पति के साथ होना। डोला देना=(किसी पराइक, पहै उड़ाया झोल !-जायसी (शब्द०)। राजा या सरदार को भेंट की तरह पर अपनी बेटी देना। सोलक-पा पुं० [सं०] प्राचीन काम का पाल देने का एक प्रकार (२) शूद्रों पौर नीची जातियों में प्रचलित एक प्रथा। का बाजा। अपनी बेटी को वर के घर पर से बाफर न्याहना । डोला डोक्षपी-सश श्री. [हिं० झोल+भी (प्रत्य॰)]. छोटा निकालना- दुलहिन को विदा फरनर डोसा सेना-मेंट में टोल । २ फूल या फल प्रादि रखकर हाथ में लटकाकर ले कन्या लेना। चखने योग्य नस, बॅव मादि का पात्र । २. वह झोंका जो झूले में दिया जाता है । पेंग। मलादेशल पक्षना फिरना। २. विसा के लिये डोलाना-क्रि० स० [हिं. डोलना] १ हिलाना। पलाना । गति जाना । पाक्षाने जाना। में रखना। वैसे, पंखा टोलना । क्रि० प्र०---करना। संयो०कि०-देना। डोलढाक-समापुं० [हिं० ढाक?] गरा नाम का वृक्ष जिसकी २ हटाना। दूर करना । भगाना। लकड़ी के तस्ते बनते हैं । वि० दे० 'पंगरा। होलायंत्र- पु. [सं० दोलायत्र ] दे॰ 'पोलायंत्र'। सोमनाrfo1 हलचल । उ--डोत्सदहल क्षणभगुर होलिया -पशवी-हि. होली । डोखो। पालकी। उ०- है, मत व्यर्थ डरो। सौ बार उजड़ने पर भी है दुनिया छोट मोट डोलिया घदन के छोटे पार कहार हो।- बसती । सुत०, पृ०४०। परम०, पृ०६२। डोलना'-- शिप. [सं० दोनन (= लटकना, हिलना )] १. डोलियाना-क्रि० स० [हिं• डोलना] १. किसी वस्तु को चुपके से हटा हिलना। पलायमान होना । गति में होना। २ पलना देना। किसी चीज को गायब कर देना। २० डोली करना फिनालना । जैसे,-पीपाए चारों मोर डोज रहे है। डोली-शा बी० [हि. डोला] स्त्रियों के बैठने की एक सवारी उ.--(क) मतविरह कातर करनामय, डोखत पा सागे ।- बिसे कहार कघों पर उठाकर ले चलते हैं। पासकी। सुर०, १ (ख) जाहि बन कपो न डोल रे । ताहि बन पिया शिविका । उ०-गांव चांपासर की डोली के बाबत जो हाल हसि बोल रे ।--विद्यापति, पृ० ३१९ । महकमे बंदोषात से मिला उसकी नकल भापकी सेवा में यौ०-डोसना फिरना-पलना धूमना। भेजता हूँ। पर पं० (पी.), भा० पृ. ७५॥ ३. घना जाना । हटना। दूर होना । जैसे,—वह ऐसा मडकर डोली करना-क्रि० स० [हिं० डोलन मांगता है कि उलाने से नही डोलता। ४. (विस) विचलित टासना।-(दलाल)। होना। (पित्तका) च न रह जाना। (चित्त 'का) किसी डोली ईशा-सा • [हिं०] पालकों का एक खेस।