पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१८

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गोल १५६४ गौर बोलू-सा स्त्री० [ देश.] १. रेब पीनी । २. वह सूचना जो सर्वसाधारण को दोस बनाकर दीपाय। विशेष-इसका पेड़ हिमालय के कांगड़ा, नेपाल, सिक्किम प्राधि घोपणा । मुनादी। प्रदेशों जगत में होता है। वहीं से इसकी जद, पो क्रि०प्र०-फिरना- फेरना। 30-वर के गामन टाहो पीली पीली होती है, नीचे की भोर भेजी जाती है और फेरी !-पो सो बायन०, भा० १, पु० ३००। पाषा में दिखती है। पर, गुण में यह चीन की रेबंद होरा- [देश एक प्रकार की पास जो खेतों में पदा ( रेवर धोनी), सुतान की रेर्वेद ( रेवंद खताई) या हो जाती है। इसमें सोया की तरह दाने पड़ते हैं को खाने में विलायती रेवंद के समान नहीं होती। इसे पदमपल पौर काए होते हैं। पुकरी भी कहते हैं। बु, डॉ6- [.स्मक ] दे॰ 'मह 11.-नील पाठ २. एक प्रकार कास। परोह मरिणगए फरिणम पौने जादा भुनपुनाकरि हसत मोहन विशेष-पहबास पूर्वी बंगाल, मासाम मोर भूटान से लेकर नपत बजाम1-सुर (धन्द०)। परमा तक होता है । इसकी दो जातियां होती है-एक छोटी, दूसरी पड़ी। यह घोंगे मोर पाते बनाने के काम मे अधिकतर डोयाममा पु० [ ७ .] काठ का पमपा । काठ की हो की पाती है। टोकरे और पान रखने के उले भी इससे बनते हैं। बड़ी करघो। उ०-साड़ी औमा करटुती सरस कानु मनुहारि। सुप्रभु साहहि परिहरहि सेवक सता विधारि।- होलोत्सव-सश [सं० पोसोरसव] दे० 'दोप्लोरस'। 10--- तुली (पप.)। तब भी गुसाई जी पा वैष्णव सौ करें, जो मन को तुम। गोलोस्सव कौन और कौन प्रकार करभो ?-दो सौ बावन, का, डोफो-सानो.[पैच.] पसी । पदुको। 3.- पभिसारिकार्मोको नोहा ऐसी प्रारूम मानो का। मा. पु२३१। --पामा.पु. ३१ डोसा-श पु.[ देव.] उदय पा पावस को पीसकर खमीर डोर'-राश पुं० [हिं० डोत] शैत ।ग। प्रकार। 30---(5) उठने पर पनाया जानेवामा पिसता या उलटा। मोरे और फौरन 4 बोरन फे गए।-पद्माकर , पृ. बोहरा-~वा पुं० [ देय० ] काठ का एक प्रकार का बरतन जिससे १६१ । (ख) पदमाकर चांदनी चदई ये फट मोर हो रन कोल्हू से गिरा हुमा रस निकाला जाता है। पे गए है।-पपाकर प्र., पृ.२० । होहली-सपा की० [हिं० डोली, मध्यगम डोहली (जैसे, अपहर- डोर -सदा श्री.हि .ओर'30-गुरनी और सुरति अंबर] दे० 'डोली'। उ०--मीरी गयौ बोहली महि । सापुर और पगो तरणी बल साहै।-रा. ०, पृ० ३३५।। मेरा मुभा मिसाही | राम० धम०, पृ.० ३७५ । डोहिल, दोही-समा सौ. [हि. डोई] दे० 'डो। उ०-धननी डीरू -संपापु[४० उम] ३० म130-(क)बहू चज्जियं डोरासमारी!-4. रामो प०१५ () बर्ष पलनी डोहि भौर करथी बहु करदा।-सूदन (चन्द०)। पर उमा तप। परमेर पुग्ध हो गेनहा- सोहीजनाg -क्रि० स० [देश, तुल.हि. टोहना ] अन्वेपण पु. रा. ११३९.। करना। ढूंढना । छोजना। उ०-मन सीपाण पर हवा पाखो हवा प्राण पाइ मिखीजा साजणा डोहीजा डोल'-पया दुहिल किसी रचना का प्रारंभिक स्म। महिराण ।-बोला०, पृ. २११। बोचा। प्राकार।डा। ठाटा ठट्टर । दा -सक पुहि .] डॉगा। नाष। उ०-घसके पहार कि००-छा करना। भार प्रगटयो पहार जल डोंगरनि मौंग पले समद सुखाने हैं। मुहा०-होल दासना = ढाँचा साकरना। रपना का प्रारम रसरतन, पु... करना बनाने में हाप लगाना। लगा लगाना। डील पर दाना-कि.4.[ हिवागोल सवारोल रहना । विपरित साना- काठ घाटफर मुडौल बनाना । दुरुस्त करना । होना । पराना। २. नायट का ठग। रचना । प्रकार | उप । जैसे,---इसी मौत - डी[सं० मिरिज्म] १. एक प्रकार का ढोल जिसे का एक गिलास मेरे लिये भी बना दो। किसी बात की घोषणा की जाती है। विठोरा। मुहा०--डौल से लगाना- ठीक कम से रखना । इस प्रकार 13.-पित डौडी बुधि फेरी लावै । मन दुनो के रखना जिससे देखने में अच्छा लगे। !--हिंदी प्रेम०, पृ. २७४। ३. तरह। प्रकार। माति। किस्म । तौर। रोका। ४. 1--बजना । -बजाना। पभिप्राय साधन की युक्ति। उपाय। तदबीर। व्योंत । = (१) डोम बजाकर सर्वसाधारण को सूपित मायोजन। सामान -कबीर राम सुपिरिए क्यों फिरे करना । (२) सब किसी से कहते फिरना। मौर की गैल।-कबीर म०, पृ. ३६५ । १) घोषणा होना । (२) दुहाई फिरना । यौ०-ौलाल। । पसती होना। उ.-लौड़ी पर डोंडी मुहा०-हौल पर साना-प्रमिप्रायसाधन के अनुक्ल करना। पमानो।-सूर (पन्द०)। ऐसा करना जिससे कोई मतलब निकस सके। इस प्रकार