पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३१९

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गेल १९१५ उपोदीवान प्रवृत्त करना जिससे कुछ प्रयोजन सिद्ध हो सके। मैल रन मारि उपाभियाँ जापान में भी प्रचलित हो गई है। बोधना-दे० 'डौल लगाना' । गैस लगाना = उपाय करना। २ सार्मत । सरखार । राजा। युक्तिबठाना । जैसे,-कहीं से सौ रुपए १००) का गेल त्य.टी-संकबी. पिं.1१. करने योग्य कार्य। कर्तम्प । धर्म। लगापो। फर्ज। जैसे,--स्वयसेवकों ने बड़ी तत्परता से अपनी ड्यूटी , ५ रग ढग । लक्षण । मायोजन । सामान । जैसे,--पानी बरसने पूरी की। २ बह काम वो सुपुर्द किया गया हो। सेवा। का कुछ डोल नहीं दिखाई देता। ६. वदोबस्त में जमा का सिबमत । पहरा । जैसे,—(क) स्वयसेवक अपनी ड्यूटी पर ' तकदमा । तखमीना। थे। (ब) कल सवेरे वहाँ उसकी ड्यूटी थी। ३. नौकरी डोलर-सञ्ज्ञा स्त्री० खेतों की मेड़। और। का काम । जैसे,—वह मपनी ड्यूटी पर चला गया। ४. डोक्षडाल-सबा पुं० [हिं० डौल] उपाय । प्रयत्न । युक्ति । व्योत । कर। चुंगी। महसूल । जैसे,—सरकार ने नमक पर यूटी कम नहीं की। डौलदार-वि० [हिं० शैल+फा० दार (प्रत्य॰)] सुगैस । सुदर। ड्योढ़ा-वि० [हिं० डे] [सी० घोड़ी] प्रापा मोर मधिक। खूबसूरत । किसी पदार्थ से उसका भाषा पोर ज्यादा । डेबाना । हौलना-क्रि० स० [हिं० गैल] गढ़ना। किसी वस्तु को काट छाँट या पीट पाटकर किसी ढांचे पर लाना । दुरुस्त करना। यौ०-ज्योढी पाठ - एक पूरी और उसके ऊपर दूसरी माघी गांठ । रेडपाठ । मुदी। डौला-सहा पुं० [देश॰] हाथ का गट्टा । 30---(क) मम्बन की पांच के डौले मे गोली लगी थी।-फलो०, पु०११। (ख) करि ड्योढ़ा-संवा पु०१ ऐषा तग रास्ता जिसके एक किनारे पर ढास हिकमत रहकला बनाई। उलि तले ले धरी कलाई।-प्राण, या गड्ढा हो।-(पानकी कहार)। २. गाने में वह पृ. २२ । स्वर जो साधारण से कुछ ऊंचा हो। ३. एक प्रकार का डोलियाना-क्रि० स० [हिं० डोल] १. ढग पर माना। कह पहाडा जिसमें क्रम से प्रकों की उढ़गुनी सल्या पतलाई सुनकर अपनी प्रयोजन सिद्धि के भनुकूल करना। फाट घाँट- पाती है। कर किसी ठीक माकारका पनाना। गढकर दुरुस्त करना। ड्योढ़ी-सका जी० [सं० देहली] १.द्वारपासको समि। वह स्थान जहाँ से होकर किसी पर भीतर प्रवेश करते हैं। औषर-सका पुं० [देश॰] एक प्रकार की विडिया जिसके पर, छाती पोखट । दरवाया। फाटक । २. वह स्थान जो पटे हए मोर पीठ सफेद, दुम काली और बोच लाल होती है। फाटक नीचे पाता है या वह बाहरी कोठरी जो किसी डौवा-सा पुं० [देश॰] दे० 'दौमा'। बड़े मकान में घुसने के पहले ही पड़ती है। उ०-महरी ड्यंभक -सज्ञा पुं० सं० डिम्भक ] दे० हिमक'। उ०---मेष ने दरोगा साहब को स्पोढी पर जगाया। -फिसाना, विजित भीख विजित, बिजित यंभक रूप। कहे कबीर मा० ३, . २४ । ३. दरवाजे में घुसते ही पहनेवाला बाहरी तिहूँ लोग शिवजिन, ऐसा तत्त अनूप-कबीर ग्र., कमरा। पौरी । पंवरी। पृ० १६३ । यौ०-योढ़ीदार राज्योढ़ीवाम । ड्यक-समापुं० [प्र. (खीरचेज] १. इंगलंह, फास, इटली पादि मुहा०-(किसी को) स्योड़ी खुलना-दरबार में माने को देशों के सामंतों पौर सुम्यधिकारियो की वंशपरपरागत इजाजत मिखना। माने जाने की माशा मिलना। (किसी उपाधि । इगलैड के सामतों और भूम्यधिकारियों को दी की) स्योढ़ी बद होना=किसी राजा या रईस के यहाँ जानेवाली सर्वोच्च उपाधि जिसका दर्जा प्रिंस के नीचे है। माने जाने की मनाही होना। माने जाने का निषेष होना। से, कनाट के ड्यूक, विंडसर के ग्घुक । स्वोढ़ी मगना महार पर बारपाल बैठना जो बिना माशा विशेष-जैसे हमारे देश में सामत राजामों तथा बो बने पाए लोगों को भीतर नहीं जाने देता। ज्योढ़ी पर होना = जमीवारों को सरकार से महाराजाधिराज, महाराजा, दरवाजे पर या पधीनता में होना। नौकरी में होना । 30- राजावहादुर, राजा पादि पाधियाँ मिनती, उसी बमोहतर, हमने पहात किसी स घर में पाजतक प्रकार इगलैंड में सामतों या बड़े बड़े जमीदारों को देसी ही नहीं। पहा पाहे बढ़ बढ़ के जो चावें पनाएँ, किसी ड्यूक, मास्विस, मल, वाइकोंट, परन मावि की उपाधियाँ पौर की योढ़ी पर होती तो बड़े निकलवा दी पाती। मिलती हैं। ये उपाधियाँ वशपरपरा लिये होती। —सैर .पू१२॥ उपाधि पानेवाले के मरने पर सफा ज्येष्ठ पून. या योदी-f. ] अवगुनी । स्यौदा। 'उत्तराधिकारी उपाषि का भी अधिकारी होता है। इस प्रकार पधिकारी क्रम से इस वंश में उपाधि बनी रहती है। ज्यादापार सपु० । गहु अघाड़ा+फार]. "घोड़ीवान'। प्रब यह भी नियम हो गया है कि जिसे सरकार चाहे केवल व्योढ़ीवान-संवा पुं० [हिं० स्योढ़ी ] पोढ़ी पर रहनेवामा जीवन भर लिये यह पाधि प्रदान करे। मास्विस, पलें, - सिपाही या पहरेदार द्वारपास। दरबान उ..- बाइकौंट मौर बैरन उपाधिधारी ला कहलाते हैं। मास्विस, स्पीढ़ीवान पायजामा तम पारे।-श्रीधर पाठक (ग्रा.)।