पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दुलकाना हूँढी - हि लुढ़कना] १. नीचे ऊपर होते हुए फिसलना या सरकना । दुताना'--क्रि० स० [हिं० ढाल ] १. गिराकर बहाना। ढरकाना। कपर नीचे चक्कर खाते हुए बढ़ना या चल पड़ना । लुढ़कना ।। ढालना। - ढंगलाना। २ दे० 'दुरना"। संयो.क्रि—देना। संयो० क्रि०-जाना। २. नीचे ढालना । ठहरा न रहने देना । गिराना । पृ०-स्पंदन दुलकाना-क्रि० स० [हिं० डुलकना] टपकाना । गिराना । बहाना। खडि, महारय खंडी कपिध्वज सहित दुलाऊँ।-सूर लुढ़काना । ढंगलाना। उ०-जिसे मोस बल ने दुलकाया। (शब्ब.)। ३ लुढ़काना । ढंगलाना। ४. पीडित करना। धवल धूलि ने नहलाया ।-वीणा पु०१२। . . जलाना । जलन या दाह उत्पन्न करना। 30-रमैया बिन दुलदुल-वि० [हिं० दुलना] एक मोर स्थिर न रहनेवाला । लुढकने- नींद न पावे। नीद न पाये बिरह सतावे, प्रेम की पांच दुलावै ।--सतवाणी०, भा॰ २, पृ०७३ । वाला । अस्थिर । फभी इधर कमी उघर होनेवाला । संयो० कि०-देना। दुलना-कि. म. [हि. ढाल] १ गिरफर वहना। ढरकना । ५ प्रवृत्त करना । झुकाना। संयो० क्रि०-जाना। संयो० कि०--देना ।-लेना। २ लुढ़कना । फिसल पड़ना। ६ अनुकूल करना। प्रसन्न करना । कृपालु करना । संयो॰ क्रि०---जाना। संयो• क्रि—देना । लेना। ३ प्रवृत्त होना । मुकना । । । ७. कभी उधर, कभी उघर फरना । इधर उधर डुलाना । घर से संयो० क्रि—प्राना !-पाना !' उघर हिलाना । जैसे, चंवर ठुलाना । ८. चलाना । फिराना । ४. मनुकूल होना । प्रसन्न होना । कृपालु होना। उ०—सूर स्याम श्यामा वश कीनो ज्यों सँग छह लावै हो। संयो॰ क्रि०-बाना ।-पटना। ---सूर (शब्द०)। @t६. फेरना । पोतना। उ०-ऊँचा ५ कभी इधर कभी उघर होना। इधर उधर डोलना । घर से महल चिनाइया चूना फलो दुलाय ।-कवीर (शब्द०)। उघर हिलना। उ०-दुलहि ग्रोव, लटकति नकवेसरि, मद दलाना'-क्रि० स० [हिं० ढोना] ढोने का काम कराना। मद गति पाये।- सूर (६०)। ६. सूत या रस्सी के रूप लिया पुं० [हिं० ढोल+इया (प्रत्य॰)] ३. 'ढोलफिया'। की वस्तु का घर उघर हिलना । लहर खाकर डोलना। ___ 30-जैसे नटवा चढ़त बांस पर, ढुसिया ढोल बजावै ।-- लहराना । जैसे, पंवर ढुलना । फबीर० पा०, भा० १, पृ० १.२३ ढलना+२ सक्षा पुं० [सं० ढोल] एक वाद्य । दे० 'ढोल'। २०- दलिया-सया स्त्री० [हिं० दुलना] १ छोटी ढोलक । २ छोटा ठूलना सुनो घधकारी। महलौं उठ झनकारी। घट०, पालना या डोलो। सज्जा सहित इक दुलिया लेयो पो पानन पृ. ३७१। को डोली जू ।-नद० न०, पृ. ३३१। दुलमुल-वि० [हिं० ढुलना, या अनु.] ३० 'दुलदुल' । उ०-गा गया दलुआ-सपा स्त्री॰ [देश॰] खजूर या ताड़ की बनी शकर। फिर भक्त दुखमुल पाटुना से वासना को झलमलाकर ।-- दुबारा-सहा पुं० [देश॰] घुन नाम का कीड़ा । इत्यलम्, पृ. १६७। हूँकना-क्रि०प० [हिं०] दे॰ 'ढुकना। दुलमुलाना-कि. ५० [हिं० तुलना] कपित होना। हिलना। द्वका --सहा पुं० [हिं० दुकना] किसी बात या वस्तु को गुप्त रूप से उ०-पत्तियों की चुतकिया भट दी बजा, डालिया कुछ देखने के लिये पाट में छिपने का कार्य ! पिना अपनी माहट ढुलमुलाने सी लगी। किस परम पाननिधि के चरण पर, दिए कुछ देखने की बात में छिपने का काम । विश्व सा गीत पाने सी लगी 1-हिमत०, पृ. ४०) क्रि०प्र०लाना। ढनसाई–साक्षी• [हिं० ढोना] १. ढोने का काम । २. ढोने को हँद-सया श्रीहि. ना] खोज । तनाय । अन्वेषण । मजदूरी। मुहा०हूँ ना = खोज । तलाश । ढलवाई -सपा श्री. [हिं० दुलना] १ ठुलाने की क्रिया। २ ढूँढ़ना-क्रि० स० [स० ढुएढन] खोजना । तमाय करना । मन्वेपण दुलाने की मजदूरी। करना। पा लगाना । दुलवाना--क्रि० स० [हिं० ढोना का प्रेहप] ढोने का काम सयो० कि०-- डालना-देना (दुसरे के लिये):-लेना (पपने कराना । वोम लेकर जाने का काम कराना । सिये)। दलवाना-क्रि० स० [हिं० ठूलाना का प्रे० रूप] दुलाने का योग-हूँदना ढोढना = खोजना । तलाश करना। काम कराना। ढूँढलाई-सक्ष श्री० [सं० ढुएढा] ढु ढा नाम की राक्षसी । हलाई सानो काढलानादुलने की क्रिया। २ ढोए हूँढी-सक श्री [देश॰] १ किसी चीज का गोल पिंड या सौदा। जाने की क्रिया । जैसे,--माजकल सामान की ठुलाई हो २ भुने हुए पाटे मादि का बड़ा गोल बद्ध जिसमें गुरु पौर रही है। ३ ढोने को मजदुरी। विस प्रादि मिसे रहते हैं। अधिकतर यह देहातों में बनती है।