पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३३४

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देगा का-मम्ब [./स.प्रा.सा] पास । निकट । समीप । 30-गरपान पिरियड, मवि तिमी। पाद महना , शमी रोमा० . १८७ तुम्ना-कि- HOMVतो,मा. शुक,हिक दुकना) 1. पास बाना। मीर जाना। ३०-पहर रंग र हुवा, मुरा न मसि अन्न । नापत पुजाहस पक्षा, ते नजर अन्न !-डोना०५२। फा'-ut.12ठन, पास मादि योग का एक मान जो रस पून का हो॥ है। रदिया और पेनों का एफ मद।। विरोप- प्रदाय के मोगमति नहीवे मोर भोजन स्नान समयको घोर सदाम पर पट्टी पप रहते है। मर-det. [ पनियों कोसपाहि। उसा--पु. [ग] कुओका एक पेप सिमे पर पापा हमा पहसवान नीरवाने को गरदन पर हाप मारकर उसे पित करता। बदा-vt. [HET..। प्रामा। २. टीला । भीटा। उ.- रफवाको नाम, पाम गिरि ग्रह पयो पनि ।- प्रेमभर., मा.१, पृ. ११।३ मिट्रीफा दोदा टीला जो मामा या मूषित सरने के लिये मना किया जाता है। ३ धान फूटने का लकड़ी का यत्र जिसका माकार मापने को उँकती होसे मिलता जुलता पर बहुत छोटा पोर जमीन से लगा हुमा होता है। धनकुट्टो। की। ४. भबके से एक उतारने का मंत्र । वकतु ड य । ५. सिर नोचे पोर र पर फरके उसट बाने को किया। कनावापी । नया। कि०प्र०-चाना। ढेंका-सा पु० [हिं० (पक्षी)]. कोल्ह में वह वास यो जाट के सिरे से तरी तक लगा रहता है । २ बड़ी रेंकी। दें किया--सशी [हिं०]की ] डेढपटी पद्दर बनाने में कपड़े की एक प्रकार की माट पोर सिलाई जिससे फपरे की लगाई एक तिहाई जाती है और घोटाई एक तिहाई बढ़ जाती है। विशेष- इस काट को विशेषता यह है कि इसमें मारा जोड़ किनारे तक नहीं पाता, पीप ही तक रह जाता है। धमें कपड़े की सगाईको तीन वरावर भागों में वह करीमारे निशान हाल देते है। फिर एक माली सकीर पर पापी पर तक एक किनारे फी भोर से फारते हैं। इसी प्रकार सरे फिनारे की पोर दूसरी माडी लकीर पर भी भाषी दूर तक फाइते हैं। इसके उपरात बीच में पड़ने वाले भाग फोड़ेबस भायेगा काट देते हैं। इस तरह जो दो टुकड़े निकलते हैं उन्हें खाली स्थान को पूरा करते हुए जोर देते है। पूरा कपका कटाहमा कपा डकिहा-सा श्री. [H•दिरा] एक प्रकार का नुत्य । -- श्री. 110343] पानी किनारे रहनेवाली दोनो जुड़े हुए कपडे एसपिदिया सिकी पोर पोर मरन सबी होती है। 10- (5)श सोनक बक लेवी। रहे पूरि मौन जस भेदी। -नापसी (पद.)। (H) जव पिक मानहु गजमाते । मोबियारा -तुलसी (द०)। 5-ua[दयो ] धान (टने का तक का एक पत्र। को-सश श्रीक ( एक पदी) ] मनाज कूटने का 16सो। लकड़ी का एयर फली। twiदेती। अपवा हिउँ (-चिड़िया, जिसकी कर देकी ---सा मो० [० लैङ्गिका, डेङ्गी ] दे० 'फिका'। नसी होती है)] १. मिपा लिये एँ से पानी ढकुरी-सादी हि.] दे. कली। निभाने का पता दफुलो-पानी हि०२० रुसी'। पिरोप-- एपीडी मोके पर एक पाड़ी सकी। ददी- खो• [देश॰] धन का । प्रारहराई रहतीरि सम दोनों छोर , भागीरे कार हो । हामे एक दोर में, देड -पा० [दरा०] १ कोया । २ एक नीच वाति जो मरे जान मिल रही है। पा परपर बंधा रा है और दूसरे सरों का मांस माती है। उ.-मांस साय वे सब मद पारन निवासी पोर होता रोल को रस्सी बंधी पी मोनोप!-कोर (सन्द०)। ३. मुए। मूढगा । हयो । छोर परपर पोत पर द-17 • [म. तुएट, हि० कोड ] कपास कादिका रोगा। दोड। उ०--सेगर सुगना संपए दुइ की पाय - फीर (धन्दा)। aftोमोशनसरी ढटर-11 [हि.7] देने का विकलामापन रोग, पासी होती है। पा शेम की मिला। नास टॅटर। FRE-भार टेडया---गया . [२०] का मुंह का पदर । सगर।