पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३४०

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तंतुशाला डोमिनि ढोलिनी सहनाइनि भेरिकार। निरतत तत विनोद तंतुक'-मा पु० [सं० तन्तुक] १ सरसो। २. (केवल समासात में सत बिहसत खलात नारि ।--जायसी (प्राब्द०)। (ख) तनन सूत्र । रस्सा (को०)। ३ सप (को०)। की झनकार बजत झीनी झीनी ।-सतवाणी०, पृ० २३ । २. ततक - सौ. [-] नाठो। क्रिया। उ०-जनु उन योग तत पर खेला ।--जायसी __ततुकाष्ठ-ससा पु० [ मे० तन्तु काष्ठ ] जुलाहो को एक लकड़ो जिसे (शब्द०)। ३ तत्रपाास्त्र । 30--कह जीउ तत मंत सउ हेरा। तुली कहते है। गएउ हेराय सो वह भा मेरा ।-जायसी (शब्द०) ४ इच्छा। ततुकी--मचा स्त्री० [सं०] नाडी। प्रबल फामना । उ०—(क) दिसि परजत मनत ख्यात जय बिजय तत जिय ।---गोपाल (शब्द॰) । (ख) बुद्धिमत दुतिमंत का ततुकीट--सहा पुं० [स० तन्तुकीट] १. मकड़ो। २ रेशम का कोठा। तुप तंत जय मय निरधारत ।-गोपाल (पाद)। ५ वश। तंतुजाल - सहा पु० [ सै० तन्तुमाल ] नसों का समूह (वैद्यक)। मधीनता। उ०-यो पदमाफर प्राइगो कत इकत जवे निज ततुण-सक पृ० [सं० तन्तुण] १. एक रडी मछली। २ मगर (को०] । तत मैं जानी । पभाकर (शब्द०)। ततुन-सया ५० [सं० तन्तुन ] दे० 'ततुण' [को०) । विशेष-दे० 'तंत्र तंतुनाग-सका पुं० [सं० तन्तुनाग ] मगर । तंत-वि. जो तौल में ठीक हो। जो वजन में बराबर हो । तंतुनाभ-सा पुं० [सं० तन्तुनाम ] मकड़ी। संतमंत -समा पु० [सं० तन्त्रमन्त्र] दे० 'सत्र मम' । उ०-फर जिउ तंतुनियर्यास--सका पु० (सं० तन्तुनिर्यास] वाहका पेछ। व मत सों हेरा। गएउ हिराय जो वह मा मेरा-- तंतुपर्व-सफा पुं० [सं० ततुपयन्] श्रावण की पूणिमा जिस दिन । जायसी (शब्द०)। राखी बांधी जाती है । रक्षावधन । तंवरी -सक्षा पुं० [सं० तभी ] वह जो तारवाले बाजे बजाता हो। तंतम-सचा पुं० [सं० तन्तुभ] १ सरसो। २ बछड़ा। १०-मायो दुसह बसत री कंत न माए वोर। जन तंतुमत्-सया पुं० [सं० तन्तुमत्] पाग। मन बेघत ततरी मदन सुमन के तीर!-शृ० पत० (शब्द०)। तंतमान-सभा पुं० [सं० तन्तुमत] प्राग [को०] | ताल.-सहा पुं० [?] पाताल । उ०--नम नाल तताल तंवर-सहा पुं० [सं० तन्तुर मृणाल। भसीड़। मुरार । कमल की घराल मिले प्रयलोक सुरप्पति विद्धि सही।-राम० धर्म, बढ़। कमलनाल । पृ०३००। तंतुल-सा स्त्री० [सं० तन्तुल] दे. 'ततुर'। तंति-समी सं० तन्ति ] 1 गौ। गाय । २. रस्सी (को०)। ३. तंतुवर्धन'–वि० [सं० तन्तुवन] जाति को बढ़ानेवाला (को०। पक्ति (को०) । ४ शृखला (को०)। ५ फैलाव । प्रसार (को०)। तंतवर्धन-समा ०१ विष्णु । २ शिव [को०)। तंति-सज्ञा पुं० जुलाहा । ततुवादक-सज्ञा पुं० [सतातुवादक तत्री। बोन मादि वार के तंति -सज्ञा स्त्री० [सं० तन्त्री ] १ तत्री। वीणा।10-नृत्तन वाजे बजानेवाला। उ०--बहरि ततुवादक रघुराई। गान एक सगीत भति । नारद्द रिमझ कर धरत तति । -पु. करन में निपुन बनाई।-रामाश्वमेध (शब्द०)। रा०, ६४१ १२ तात। प्रत्यचा । होरी । गुण । 30-नव तंतवाद्य-ससा पु० [म० तन्तुवाच १ तारवाला बाजा [को०] । पुहुपन के धनुष बनावे । मधुप पौति तिनि तति चढ़ावे।। ततुबाप-सका पुं० [सं० तन्तुवाप] all । २. ताती । दे० 'ततुवाय'। -नद० अं., पृ० १६४। तंतुवाय-सहा पुं० [सं०] १ कपड़े धुननेवाला । ताती। तंतिपाल-सबा पुं० [तन्तिपाल ] १ सहदेव का वह नाम जिससे वह प्रज्ञातवास के समय विराट के यहाँ प्रसिद्ध थे । २. यह जो विशेष-मिन्न भिन्न स्मृतियो मे इनकी उत्पति भिन्न मिल गो की रक्षा या पालन करता हो। प्रकार से बतलाई गई है। किसी में हे मरिणवष पुरुष पोर तंती -समस्त्री० [हिं०] दे० 'तत्री' 130-ततिनाद । बोल रस मरिणकार स्त्री से और किसी में वैश्य पिता और मत्रियाणी माता के गर्भ से उत्पन्न बतलाया गया है। इनकी उत्पत्ति के सुरहि सुगपत बांदा-ढोला०, दू० २२३ । सबंध में अनेक प्रकार की कथाएं भी हैं। तंतु-समा पु० [ ० वन्तु ] १. सुत । गेरा । तागा । २ मकड़ी। उ०-माकाश जाल सब मोर तना, रवि ततुवाय यौ.-ठतुकोठा है पाज बना। करता है पदपहार वही, मक्खी सी भिन्ना २. ग्राह। ३ संतति । सतान। बाल बच्चे। ४. विस्तार । रही मही-साकेत, पृ० २५७ फैलाद । ५ यज्ञ की परपरा। ६. वशपरपरा। ७ तात। ततुवायदंड-सका पुं० [सं० तन्तुवायदएड] करघा (को०] 1 ।। ८ मकही का बाला। तंतुविग्रह-सपा पुं० [सं० तन्तुविग्रह] केले का पेड़ । । संत -सपु० [सं० तन्त्र] तत्र । उ०--जिहि मुरि पोषद लगै, ततविग्रहा-सहा स्त्री०म० तन्तुविग्रहा], केले का पेड. [को०] 1.-". जाहि ततु नहिं मंतु । पिय पकष पार्व नही, व्याषि कहत ततशाला-सयामी (म० तन्तुगाला] जुलाहे का कपड़ा बुनने का ' मि जतु :--रस २०, पृ०५०। स्थान [को०]