पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३४८

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तक्रमांस तक्षा उक्रमांस--सज्ञा पुं० [सं०] मास का रसा। मखनी। सीन के निवासी अबतक अपने पापको तक्षक या नाग के तक्रवामन--सद्या पुं० [सं०] नागरग।। वघर बतलाते हैं। महाभारत के युद्ध के उपरात धीरे धीरे तक्रसंघान-सया पुं० [सं० तऋसन्धान] वैद्यक अनुसार एक प्रकार तक्षकों का पधिकार बढ़ने लगा और उत्तरपश्चिम भारत को कोजी। मे तक्षक लोगो का बहुत दिनो तक, यहां तक कि सिकदर विशेष—इसे सो टो भर छाछ में एक एक टके भर सांभर के भारत पाने के समय तर राज्य रहा। इनका जातीय चिह्न सर्प था। ऊपर परीक्षित और जनमेजय की जो नमक, राई और हल्दी का चूर्ण डालकर पनाते हैं। यह काजी पहले पद्रह दिन पडी रहने दी जाती है, तब तैयार कया दी गई है, उसके सबंध में कुछ पाश्चात्य विद्वानों का होती है। ऐसा कहते है कि यदि २१ दिनों तक यह नित्य त है कि तक्षको के साथ एक वार पाडवो का बड़ा भारी युद्ध हुमा या जिसमें तक्षको की जीत हुई थी मौर राजा परीक्षित दो दो टक पी जाय तो तापतिल्ली अच्छी हो जाती है। मार गए थे, और अंत से जनमेजयो फिर तक्षशिला में युद्ध तक्रसार--सहा पुं० [सं०] मक्खन । करके तक्षको का नाश किया था और यही घटना जनमेजय के तक्राट-सचा पुं० [सं०] मथानी । सपंपज्ञ के नाम से प्रसिद्ध हुई है। तक्रार-सहा स्त्री० [अ० तक्गर ] २० 'तफरार'। २ साप । सर्प। ३ विश्वकर्मा । ४. सूत्रधार । ५ दस वायुमों मे सक्रारिष्ट-सया पुं० [सं०] वैद्यक में एक प्रकार का मरिष्ट जो मट्ठे से एक । नागवायु। उ०-प्रान, अपान, व्यान, उदान मौर __ में हर पौर प्रावले प्रादि का चूर्ण मिलाकर बनाया जाता है। कहियत प्रारा समान । तक्षक, धनजय पुनि देवदत्त और पौड़क विशेप-यह सपहणी रोग का नाशक पोर मग्निदीपक माना शंख धुमान !-सूर (शब्द०)। ६ एक प्रकार का पेड । ७. जाता है। प्रसेनजित् के पुत्र का नाम जिसका वर्णन भागवत में पाया तकाहा-सश सी० [सं०] एफ प्रकार का सुप। है । ८. एक सकर जाति जिसकी उत्पत्ति सूचिक पिता मौर तक्वा-सज्ञा पुं० [सं० तक्वन] १, चोर । २ शिकारी चिडिया कोना ब्राह्मणी माता से मानी गई है। तक्वीम-सञ्ज्ञा स्त्री० [प] १ सीधा करना । २ मूल निश्चित तक्षक-वि० छेदनेवाला । छेदक । करना । ३ पचाग । जंतरी । उ०-मनज्जिम अक्ल का देखा तक्षण-सचा पुं० [ स०] २ लकडी को साफ करने का काम । रदा ताजा तक्वीम । किया है वात सू उस वक्त तरकीम । करने का काम । २ बढ़ई । ३ लकड़ी पत्थर पादि में -दक्खिनी०, पृ० २७६ । खोदकर मूर्तियों पर वेल बटे बनाने का काम । लकड़ी पत्यर तक्ष-सहा पुं० [म.] १ रामचद्र के भाई भरत का बहा पुत्र । मादि गढ़कर मूर्तियां बनाना । २ वृक के पुत्र का नाम ! ३ पतला करने की क्रिया। तक्षणी-सञ्चा स्त्री० [सं०] बढ़ाइयों का वह औजार जिससे वे लकडा तक्ष-वि• काटनेवाला (केवल समासात में प्राप्त) । छीलकर साफ करते हैं। रदा। तक्षक'-सबा [सं०] पाताल के पाठ नागो में से एक नाग जो तक्षशिल'--सज्ञा पुं० [सं०] तक्षशिला का निवासी [को०) । फश्यप का पुत्र था पोर कद्र के गर्भ से उत्पन्न हमा था। तक्षशिल-नि० तक्षशिला संवधी (को०] 1 . विशेष- गी ऋषि का शाप पूरा करने के लिये राजा परीक्षित तक्षशिला-सचा सौ. [सं०] एक बहत प्राचीन नगरी का नाम जो को इसी ने काटा था। इसी कारण राजा जनमेजय इससे बहुत भरत के पुत्र तक्ष की राजधानी थी। विगडे और उन्होने ससार भर के सांपो का नाश करने के विशेष-विद्वानो का मत है कि प्राचीन काल में इस मासपास लिये सयज्ञ मारम किया । तदाक इससे डरकर इद्र की शरण के प्रदेश में तक्षफ लोगो का राज्य था, इसलिये इस नगरी में चला गया। इसपर जनमेजय ने अपने ऋषियों को प्राज्ञा का नाम भी तक्षशिला पडा था। महाभारत में लिखा है कि दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़ें, तो उसे भी सक्षक के यह स्थान गांधार मे है। मभी हाल में यह नगर रावलपिंडी साय खींच मंगामो मोर भस्म कर दो। ऋत्विको के मत्र के पास जमीन खोदकर निकाला गया है। वहाँपर बहुत पढ़ने पर तक्षक के साथ इद्र भी खिचने लगे। तब इद्र ने से वौद्ध मदिर और स्तूप भी पाए गए हैं। महाभारत में हरकर तक्षक को छोड दिया। जब तक्षक खिचकर मग्निकुट लिखा है सिजनमेजय ने यही सर्पयज्ञ किया था। सिकदर के समीप पहुँचा, तब मास्तीफ ने माकर बनमेजय से प्रार्थना जिस समय भारत में पाया था, उस समय यहाँ फ: राजा ने की मौर तक्षक के प्राण बच गए। उसे अपने यहाँ ठहराया, था मोर उसका बहुत प्रादर सस्कार माजफल , विद्वानो का विश्वास है कि प्राचीन काल मे किया था। कुछ समय तक इसके पास पास का प्रदेश मशोक भारत में तक्षक नाम की एक जाति ही निवास करती थी। के शासन मे था। अनेक यूनानी मौर चीनी यात्रियो ने नाग जाति के लोग अपने मापको तक्षक की मतान ही तक्षशिला वैमा पौर विस्तार मादि का बहुत अच्छा वर्णन यतनाते हैं। प्राचीन काल में ये लोग सपं का पूजन करते किया है। - बहुत दिनों तक यह नगरी पश्चिम भारत का ये। कुछ पाश्चात्य विद्वानो का मत है कि प्राचीन काल में प्रधान विद्यापीठ थी। दूर दूर से यही विद्यार्थी भाते थे। कुछ विशिष्ट मनायों को हिंदू लोग तक्षक या नाग कहा करते चाणक्य यही का था। ये। पौर ये लोग संभवतः एक थे। तिब्बत, मगोखिया मोर तक्षा-सबा पुं० [स० तमन] बदई ।