पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३५३

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सड़कीला १६६ यदि ३ जोर का शब्द उत्पन्न करना । ४ किसी को कोष दिलाना ताक-संज्ञा पुं० [सं० तडाक] तड़ाग । तालाव। सरोवर । यो खिजाना। वड़ाकर--सचा त्री० [मनु०] तडाके का शब्द । किसी चीज के टूटने तडकीला-वि० [हिं० तटकना+ईला ( प्रत्य.)] १. चमकीला । का महकीला । २ तडकनेवाला । फट जानेवाला । ३ फुर्तीला। तडाक--क्रि. दि.१ पवई' या 'तड़ाक' पद के सहित । २ बल्दी तदक्का -सा पुं० [भनु• तड़] तर का शब्द । से । चटपट । तुरंत । तड़क्का -क्रि० वि० [हिं० ताका ] जल्दी । झटपट 1 उ०-चेतहु यौ०--तड़ाक पाक = घटपट । तुरत । काहे न सर्वर यमन सों रारिहे। कास के हाप कमान तडक्का तडाका-सबा पुनअनु1१. 'त' शब्द । जैसे,-न जाने कहाँ कल मारिहै ।-कबीर (शब्द०)। रात को बड़े जोर का तडाका एमा। २. कमख्वाब चुननेवालों तड़ग-सा पुं० [सं० तहग] तालाब । तडाग [को॰] । का एक उठा जो प्रायः सवा गज लंबा होता है मौर लफे तड़तड़ाना'-क्रि० म० [अनु॰] तड तड शन्द होना । में बंधा रहता है । इसके नीचे तीन भौर उडे घे होते हैं। तड़तड़ाना-कि० स० तडतड़ शब्द उत्पन्न करना। ३ पेड़ । क्ष। -(कहारों की परि०)। तड़ाकार-क्रि० वि० [हिं. ताक ] घटपपट । जस्वी से । तुरत । तड़तड़ाहट-सका श्री० [पनु०] तडतड़ाने की क्रिया या भाव । जैसे-तड़ाका जाकर बाजार से सौदा ले मामो (कोलचाल)। तड़ता -सशास्त्री [सं० तडित] बिजली । विद्युत ।-(डि.)। तड़ाग---सच्चा पुं० [सं० तडाग] १ तालाव। सरोवर । ताल । तड़प---सा स्त्री० [हिं० तड़पना ] १ तड़पने की क्रिया या भाव । पुष्कर । पोखरा । पयादियुक्त सर । १०-(क) मरतु हस २ चमक। भदक। रवि बस तडागा। अनमि कीन्ह गुन दोष विभागा। मानस, तड़प झड़प-सभा सी० [अनु॰] घे० 'तडक भड़क' । १०-चिल ३।२३१ । (ख) अनुराग तड़ाग में भानु उदै विगसी मनो कपरी तड़पाप रखनेवाली पश्चिमीय सभ्यता ।-प्रेमधन, मजुल कजकली । तुलसी ग्र०, पृ. १६७ । भा० २, पृ० २१५ । विशेप-प्राचीनो के अनुसार तडाग पांच सौ धनुष सेवा, घोडा तड़पदार-वि० [हिं० तड़प + फा० दार ] चमकीला। भडक- मोर खूप गहरा होना चाहिए। उसमें कमल मादि भी होने धार । भरकीला। चाहिए। सड़पन-सका सी० [हिं०] दे० 'ड' तड़ागना-क्रि० स० [मनु०] १. गर्जन वर्जन करना। तड़फडाना । तड़पना-कि०म० [अनु॰] १ बहुत अधिक शारीरिक या मानसिक २ डोंग मारना । ३ प्रयास करना । 10--पहुंचेंगे तब कहेंगे वेदना के कारण व्याकुल होना। छटपटाना। तडफड़ाना । वही देश की सोच । प्रवही कहा तहागिए वेडी पायन वीच । तलमलाना। -सतवाणी०, पृ० ३५। -- संयो० क्रि०--जाना। तड़ागी-सद्या स्त्री॰ [ से० तडाग ] १. करधनी । २ कमर । २ घोरं शब्द करना। भयकर ध्वनि के साथ गरजना । जैसे, तडाघात-सका पुं० [सं० तडघात ] दे० 'तटाघात' [को०] । किसी से तस्पकर घोलना, शेर का वडपकर झाड़ी में से तडातड-क्रि० वि० [अनु.] १ तडतड शब्द के साथ । इस प्रकार निकलना। जिसमे तडता शब्द हो । जैसे, तडातड चपत जमाना । 30- तड़पवाना-क्रि० स० [हिं० तडपाना का प्रे०रूप] किसी को ता. मागे रघुवीर के समीर के तनय के सग तारीदे तदाफ तहातद पाने का काम दुसरे से कराना । के तमका मे।-पयाकर (शब्द॰) । २ जल्दी से । तड़पाना-क्रि० स० [हिं० तउपना का स०रूप ] १ शारीरिक या तदातड़ी-क्रि० वि० [ अनु० मि० बंगला ताडताड़ी ] जल्दी मे। मानसिक वेदना पहुँचाकर व्याकुल करना। २ किसी को गर- जने के लिये वाध्य करना। शीघ्रता में। 1०-भो कुछ शुना नेई पोर घड़ा तड़ातको मे संयो०कि.-देना। भाग!-प्रेमघन, भा॰ २, पृ० १४५ । तड़फड़-सक्षा श्री० [हिं० तरफडाना] तउपने की क्रिया । तड़ाना'-क्रि० स० [हिं० ताड़ना का प्रे०रूप] किसी दूसरे को वाहने में प्रवृत्त करना । भैपाना। सड़फड़ाना-कि.प. [हिं०] तरूपना । छटपटाना । तलमलाना। वड़ाना--क्रि० स० [हिं०] जल्वी मचना । तरफड़ाहट-सक्षा बी० [हिं० तड़फड+मह (प्रत्य॰)] १ छट- - पटाहट । तलमलाहट । बेचैनी । २ मारे जाने या जलकर तड़ावा-सधा श्री. [हिं० तड़ाना (-दिखाना)]१ कपरी तडक वाप मरने के समय की बेचैनी या तपन । भडका वह धमक दमक जो केवल दिखाने के लिये हो । २ सड़फना-कि०म० [हिं०] दे० 'तडपना'। घोखा छल ।-(क्व०)। क्रि० प्र०-देना। तभड़---सबा खी० [अनु०] हडबड 1 जल्दी जल्दी। उ०-पातसाह वड़ि-सा[सं० तहि माघात [को०] । - अजमेर परस्से । कूप फियो तड़भड मढ़ कस्से ।-रा० रू०, तडि-वि०माघात करनेवाला [को०] । तांदी-सधा सी० [हिं० त+फा० बदी समाज, विरादरी या तड़ि-सवा स्त्री० [सं० तहित्] विजली । ३०--मेपनि वि पलप जल लग अलग तह बनाना। परे। तब भई पलुप ने परिहरे। नद. ०, पृ. २९० ।