पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३६२

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तनुमध्या वन्नी' तनुमध्या-सहा त्री० [सं०] एक वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक तन-प्रव्य० [हिं० तनै1 को प्रोर । की तरफ। परण में एक तगण पौर यगण ( 5-15s) होता है। तननना-कि. स० [हि. ] दे० 'तानना'। 10-तू इत घेठी मोह इसको चौरस भी कहते हैं। से, तू यो किमि माली, धुमै तनेनत नहिं सोहात मोहिं यह रूखो कलि । मा०प्र० मतवाली।-(शब्द०)। भा० १, पृ. ४८३ । तनुरस-सा पुं० [सं०] पसीना । स्वेद । तनेना-वि० [हितनना+ एना (प्रत्य॰)] [वि०सी० तनेनी] | तनुराग-संवा पुं० [१०] १. केसर, कस्तूरी, चदन, कपूर, अगर खिचा हुमा । टेढा। तिरछा । उ०-बात के बूझत ही मतिराम माधि को मिलाफर बनाया हुमा उबटन । २ वे सुगधित द्रव्य कहा करती व भौंह तनेनी।मतिराम (शब्द०)। २ जिनसे उक्त उबटन धनाया जाता है। कुद्ध । जो नाराज हो। उ०-माली हौं गई ही पाजु भूमि तनुरुह-सज्ञा पुं० [सं०] रोम रोम । बरसाने कहूँ ताप तू परे है पद्माकर तनेनी क्यो। ---पमाकर तनुल-वि० [सं०] विस्तृत । फैला हुआ (को०] । - (शब्द०)। तनुलता-सहा त्री० [सं०] लता सदृश सुकुमार पतला शरीर [को०] । तनै@'-सञ्ज्ञा पुं० [हिं० ] दे० 'तनय'। तनुवात-समा पुं० [सं०] १ वह स्थान जहाँ हवा बहुत ही कम तना-वि• हि तन (-भोर, तरफ) तई। लिये। उ.--दोउ हो। २ एक नरक का नाम । जंघ रम कंचन दिपत, थरी कमल हाटक तनौ ।--ह. तनवार-सचा पुं० [सं०] कवच । बखतर। रासो, पृ० २५। तनुवीज-सक्षा पं० [सं०] राजवेर । तनैनाg..-सज्ञा पुं० [हिं०] विली. तनैनी] दे० 'तनेना'। सना तनुवीज-वि० जिसके वीज छोटे हों। हुमा । खिचा हुआ। तनुव्रण-सचा पुं० [सं०] बल्मीक रोग । फीलपाँव । तनैयाg+-सक्षा नी[सं० तनया } पुत्री । वेटी। कन्या । लड़की। तनशिरा'-सहा पुं० [ सं० तनुशिरस ] एक वैदिक छद । तनैया -वि० [हि. तानना ऐया (प्रत्य.) ] ताननेवाला। तनुशिरा-वि• छोटे सिरवाला (को०] । तनैला-सक्षा पु० देश० 1 एक प्रकार का छोटा पेठ जिसके फूल तनुसर-सन पुं० [सं०] पसीना । स्वेद । - खुशबूदार भोर सफेद होते हैं। तनू-सज्ञा पुं० [सं०] १ पुत्र । बेटा । लड़का ! २ शरीर । ३ प्रजा- तनो-वि० [हिं० सन ( =तरफ)] तई । के लिये । वास्ते । १०-- पति । ४ गौ। पाय । ५ अग। अवयव (को०)। नहि त सेख को प्रण करिव, सरन घरम छत्रिय ठनों।- तनूर -सहा पुं० [सं०] दे० 'तनुज'। B. रासो, पृ० ५७ । तन पु-पशा स्त्री० [सं०] दे० 'तनुजा'। तनो -सक्षा ० [ हि०. तानना] १ वह वस्त्र जिसे ' तानकर र निसझा पुं० [सं०] पुत्र । बेटा [को०] । छाया की जाती है । २ चंदोगा। हा त्मा-सज्ञा पुं० [सं० तनूजन्मन् ] पुत्र [को०] । तनोजा-सा पुं० [सं० तनूज ] १. रोम । लोम । रोमा। 30-- त -संज्ञा पुं० [सं०] लवाई की एक माप जो एक हाथ के अंग थरहरे क्यो मरे खरे तनोज पसेव ।-शृ० सत. बराबर थी (को०] । (शब्द०) । २ लड़का । बेटा। तनाप-सा पुं० [हिं०] दे॰ 'तनुताप' (को०] । तनोरुह -सज्ञा पुं० [हिं० ] दे॰ 'तनुरुह' । तनूतप-सचा पं० [सं०] घृत । घो। तनोवा-सबा पुं० [हिं०] दे॰ 'तनोमा' । तननपात तनूनपाद्-सहा पुं० [सं०] भग्नि । माग । २ चीते तन्ना-सश हि० जानना 1१. बुनाई में ताने का सूत जा का वृक्ष । चीता । चीतावर । चित्रक । ३. प्रजापति के पोते लवाई मे ताना जाता है। २. वह जिसपर कोई चीज तानी का नाम । ४ घी । धृत ! ५ मक्खन ।। जाय । तनूनप्ता-सहा पुं० [सं० समूनप्त ] वायु को। वन्नाना-क्रि० स० [हिं० तनना ] पकड़ना। पेंठना । मकड तनूपा--सका पुं० [७० ] वह अग्नि जिससे खाया हुमा अन्न पचता दिखाना । बिगड़ना । कुव होना। है। जठराग्नि। तनूपान-सहा पुं० [सं०] वह जो शरीर की रक्षा करता है। .. तनि- सच्चा श्री० [सं०] १. पिठवन । २. काश्मीर की पतुल्मा नदी का नाम। मगरक्षक। - तन्नी'-सबा खी. [सं० तनिका, हितानना या तनी] - १. तराजू वनूपृष्ठ-सा [सं०] एक प्रकार का सोमयाग । में जोती की रस्सी। वह रस्सी जिसमें तराजू के पल्ले तनूर-सका पुं० [फा०] खमीरी रोटी पकाने की गहरी डहरनुभा लटकते हैं। जोती। २. एक प्रकार की मंकुसी जिससे दोहे भट्ठी। दूर। को मैल खुरचते हैं। ३. जहाज मस्तुत की घर में बंधा तनूरुह-सहा पु. F०१ रोम। लोम । रोमा। २.पक्षियों का हुमा एक प्रकार का रस्सा जिसकी सहायता से पास मावि पर । पख ३. पुत्र । लड़का । बेटा । चढ़ाते हैं (प.)।