पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३६३

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वन्नी २००६ तन्नी-सया पुं० [हिं० तरनी] किसी व्यापारी पहाज का वह तन्विनी-सभा सी० [सं०] दे० 'तन्वो'। प्रफसर जो यात्राकाल में उसके व्यापार सरधी कार्यों का तन्वी-सी० [सं०1१. एक वृत्त का नाम जिसफे प्ररयेक प्रबंध करता हो। चरण में कम से भगण, तपण, नगण, संगण, भगरण, यगण तन्नी-समा पुं० [हिं०] दे० 'तरनी'। नपण पोर यगण (1-551--111-115-51-51-111-15 ) होते तन्मनस्क-वि० [सं०] तन्मय । तल्लीन [को०] 1 है। इसमें ५, १२वें मोर २४ वें पक्षर पर यति होती तन्मय-वि० सं०] जो किसी काम में वहत ही मग्न हो। लवलीन । है। २ फोमलागी। कुशागी (को०)। लीन । लगा हुमा। दत्तचित्त। उ०-कवहें कहति कौन तन्वी-वि० दुबले पतले और कोमल अगोंवाली। जिसके अंग कृण हरि को मैं या तन्मय ह्र जाही।-सूर (शब्द०)। पौर कोमल हों। तन्मयता-सवा स्त्री. [सं०] लिप्तता। एकाग्रता। लीनता । तदा- तप.कर-महापुं० [सं०] १ तपस्वी । २ तपसी मछली। कारता । लगन । तप'कृश-वि० [सं०] तप से क्षीण। । तन्मयासक्ति-सपा की. [सं०] भगवान मे तन्मय हो जाना। भक्ति में अपने पापफो भुल जाना मोर अपने को भगवान ही तप.पूत-वि० [सं०] तपस्या करके जो शरीर एव मन से पवित्र हो समझना। गया हो [को०] । तन्मात्र-सचा पुं० [सं०] सास्य के अनुसार पंचभूतों का भविशेष तपप्रभाव-सहा पुं० [सं०] तप द्वारा की हुई पाक्ति को०| मूल । पचभुतो का मादि, अमिश्र भोर सूक्ष्म रूप । ये संख्या तप'भूत-व० [सं०] तपस्या द्वार, पात्मशुद्धि प्राप्त करनेवाला (को०)। में पांच है-धब्द, स्पर्श, रूप, रस मोर ग । तप साध्य-दि० [सं०] जो तप द्वारा सिद्ध हो [को०] । विशेष-साल्य में सृष्टि की उत्पत्ति का जो क्रम दिया है, उसले तप'सुत-सचा पुं० [सं०] युधिष्ठिर [को०] । अनुसार पहले प्रकृति से महत्तत्व की उत्पत्ति होती है। तप.स्थल-समा पु० [सं०] तप करने का स्थान । तपोभूमि (को०)। महत्तत्व से अहंकार और पहफार से सोलह पदार्थों की उत्पत्ति होती है। ये सोलह पदार्थ पाँच ज्ञानेंद्रिया, पांच तपस्थती-सक्षा श्री० [सं० ] काशी (को०] । फमंद्रियाँ, एफ मन पोर पाच तन्माष हैं। इनमें भी पाप तप-सया पु०० तपस् ] १. शरीर को कटदेने वाले वै व्रत और तन्मार्यों से पाच महाभूत उत्पन्न होते हैं। पति शब्द तन्मात्र नियम प्रादि जो चित्त को शुद्ध मौर विपयो से निवृत्त करने के से पाकाण उत्पन्न होता है और पाकाश का गुण शब्द है। लिये झिए जायें। तपस्या । शब्द मौर स्पर्श दो तन्मानापो से वायु उत्पन्न होती है मोर क्रि० प्र०-करवा ।-साधना । प्राब्द तथा स्पर्श दोनो ही उसके गुण है। शब्द, स्पर्ण, रूप विशेष-प्राचीन काल में हिंदुओं, बौखों, यहूदियो पौर ईसाइयों पौर रस तन्मात्र के सयोग से बल उत्पन्न होता है और मादि में बहुत से ऐसे लोग हुमा करते थे जो अपनी इद्रियो को जिसमें ये चारो गुण होते हैं। शब्द, स्पर्श, रूप, रस पौर वश में रखने तथा दुष्कर्मों से बचने के लिये, अपने धार्मिक पंध इन पापों तन्मात्रों के सयोग से पृथ्वी की उत्पत्ति होती विश्वास के अनुसार वस्ती छोडकर जगलों और पहाड़ों में जा है जिसमें ये पांचो गुण रहते हैं । रहते थे। वही देमपने रहने के लिये घास फूस की छोटी मोटी तन्मात्रा-सश खौ० [सं०] दे॰ 'तन्मात्र। कुटी बना लेते थे पोर कर मूल प्रादि खाकर पीर तरह तरह तन्मात्रिका-सा सी० [सं०] दे॰ 'तन्मात्रा' । वेदात शास्त्र की एक के कठिन व्रत मादि करते रहते थे। कभी वे लोग मौन रहते, सज्ञा। पाँच विषयों की पांच तन्मात्राएं। 30---इनि कभी गरमी सरदी सहते पोर उपवास करते थे। उनके इन्हीं तन्माधिका सहेता। ये पच विषय को होता !-सु दर ०, सब भाचरणों को तप कहते हैं। पुराणो मादि में इस प्रकार से • भा०पू०६७ तपो मोर तपस्वियों मादि की अनेक कथाएँ हैं। कभी किसी तन्मलक-वि० [सं०] उससे निकला हुमा (को०)। अभीष्ट की सिद्धि या किसी देवता से घर की प्राप्ति मादि के तन्य-वि० [हिं० तनना ] तानने या खीचने योग्य । लिये भी तप किया जाता था। जैसे, गंगा को लाने के लिये भगीरप का तप, शिव जी से विवाह करने के लिये पार्वती तन्युत-सा पुं० [सं०] १ वायु । हवा । २ रानि। रात । ३ का तप । पातंजल दर्शन में इसी तप को क्रियायोग कहा है। गर्जन । गरजना । ४ प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा। गीता के अनुसार तप तीन प्रकार का होता है-शारीरिक, तन्वंग--वि० [सं० तन्वङ्ग] सुकुमार या क्षीण शरीरवाला [को०] । वाचिक पौर मानसिक । देवतामों का पूजन, बड़ों का पावर तत्व गिनी-वि०बी० [सं० ] तन्वगी। उ०--विवसना लता सी, सत्कार, ब्रह्मचर्य, अहिंसा मादि शारीरिक तप के भवर्गत है, तन्वगिनि, निर्जन में क्षणभर की सगिनि ।-युगांत, सत्य पौर प्रिय बोलना, वेदशास्त्र का पड़ना मादि वाचिक तप पृ० ३७। हैं मोर मोनावलबच, पारमनिग्रह मादि की गणना मानसिक तन्वंगी-वि० [सं० सन्दगी ] कुचागी। दुबली पतली। तप मे है। तन्वि-सचा श्री• [0] काश्मीर की पदकुल्या पदी का २. शरीर या इद्रिय को वश में रखने का धर्म। ३. नियम । एक नाम। ४. माप का महीना। ५ ज्योतिष में लग्न से नवा स्पान ।