पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३७४

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समारी २०२० समीपर तमारी-संक भी [हिं० ] दे॰ 'तापरा'। तमाशबीन-सबा पुं० [म. समामा+फा० मीन] १ तमासा देखने तमाल-सबा पुं० [सं०] १. बीस पचीस फुट ऊँचा एक बहुत सुंदर वासा । सैलानी। २ रडीबाज । वेश्यागामी। ऐयाच। सदाबहार वृक्ष जो पहाड़ों पर गौर जमुना के किनारे भी कहीं तमाशबीनी-सक्षा स्त्री० [हिं० उमाशबीन+ई (प्रत्य०)] रहीबाणी। कही होता है। ऐयायो । बदकारी। उ.-फारसी पढ़ने से इश्कबाजी तमा विशेष—यह यो प्रकार का होता है, एक साधारण पोर इसरा बीनी पौर प्रय्याशी ।-प्रेमघन॰, भाग २, पृ०७२। श्याम तमाल । श्याम तमास कम मिलता है। उसके फूल तमाशा-सधा पु[म.]१ वह दृश्य जिसे देखने से मनोरजन हो। लाल रंग के मोर उसकी लकडी मानुस की तरह काली चित्त को प्रसन्न करनेवाला दृश्य । जैसे, मेला, पिएटर, होती है। तमाल के पत्ते गहरे हरे रंग के होते है और शरीफ नाच, प्रातिशबाजी भादि। उ०-मद भोलक जब खुलत है पत्ते से मिलते जुलते होते हैं। वैसाख के महीने में इसमें तेरे दुग गजराज। माइ तमासे जुरत हैं नेही नैन समाज ।- सफेद रंग के बड़े फूल लगते हैं। इसमें एक प्रकार के छोटे रसनिषि (शब्द०)। फल भी लगते हैंषो बहत मषिक ब होने पर भी कुछ कि.प्र०-करना ।-राना ।-देखना ।-दिखाना।-होना। स्वादिष्ट होते है ये फल सावन भादों में पकते है मौरन गीदड़बड़े चाव से खाते हैं। श्याम तमाल को वैयक में २ मत व्यापार । विलक्षण व्यापार । मनोखी बात। कसैला, मधुर, बचवीर्यवर्धक, भारी, शीतल, श्रम, सोष पौर मुहा०--तमाशे की बात कपाश्चर्य भरी पौर मनोखी बात। वाह को दूर करनेवाला तथा कफ पोर पित्तनाशक माना है। यौ०-तमाशागर = तमाथा करनेवाला। तमाशागाह कीड़ा- पर्या०-फालस्कंध । तापिरप । प्रमितमा लोफस्कंध । नीमध्वज। स्थल । कौतुकागार । तमाशबीन-तमाशा देखनेवाला। नीलताल । तापिज । तम । तया। कालवाल । महाबल। तमाशाई-संशपु[० तमाशा+फाई (प्रत्य॰)] तमाशा २ तेजपत्ता। ३. काले खैर का वृक्ष । ४.पांस की छाल । ५. देखनेवाला । वह जो तमाशा देखता हो। वरुण वृक्ष। ६ एक प्रकार की तसवार। ७. तिलक का तमास -ससा पु० [हि.] दे० 'तमाशा'। उ०--काहू सग मोह पेड़। . हिमालय तथा दक्षिण भारत में होनेवाला एक नहिं ममता देखहि निपंष भये तमास । -सुपर प्रभा , प्रकार का सदाबहार पेड़। पृ० १५५। विशेष-इसमें से एक प्रकार का गोद निकलता है जो घटिया तमासा-सा ०० तमाशा11०-मेहर की पाठा तमासा रेवद चीनी की तरह का होता है। इसकी छाल से एक प्रकार भी मेहर का, मेहर का माब दिल को पिलाए |--कबीर का पदिया पीला रंग निकता है। पूस, माघ में इसमें फल रे०, पृ० ३४॥ लगता है जिसे लोग यों ही खाते अथवा इमली की तरह दाल तरकारियों मे शमते हैं। इसका व्यवहार मोषप में भी तमाहय-सद्या मुं० [सं०] तालीशपत्र को। होता है। लोग इसे सुखाकर रखते मोर इसका सिरका भी तमिसन पुं० [सं०] १ रात । २. मोह। बनाते हैं। इसे महोला मोर उमदेव भी कहते है। तमिनाथ-सा पुं० [सं०] घरमा। ६. सुरती (को०)। १० तमास के बीज रस भौर चंदन का तमिल'--सा पुं० [देश० ] तमिल भाषा का प्रदेश । २ तमिल | तिलक (को०)। भाषाभाषी। तमालक-सक्षा पु० [सं०] १ तेजपत्ता २. तमाल वृक्ष। ३. बाँस की धमिन-समा श्री. १. तमिल जाति । २. तमिल जाति की भाषा। । छाल । ४ चौपतिया साग । सुसना साग। वि० दे० 'तामिल। तमालपत्र--संका पुं० [सं०] १. तमाल का पत्ता। २ सुरती का तमिल'-वि० रात्रि में विचरण करनेवाला [को०] । पत्ता 12. सांप्रदायिक तिलक [को०] । तमिसरा -पंच श्री. [हिं०] दे० 'तमिना' 136-रवि परभात तमाला--सका पुं० [हिं० तमारा पाखों में पंधियारी छा षामा। झरोखे उवा । गयठ तमिसरा बासर हमा।--दा०,०६० पकाचौंध । उ.-होस उडे फाटै हियो, पड़े तमाखा पाय । देखे तमिल-सबा पुं० [सं०] मधकार । अंधेरा। २ कोष । गुस्सा । जुष तसवीर प्रग, मावड़िया मुरमाय |--बांकी , भा.२, ३ पुराणानुसार एक नरक का नाम।४ पज्ञान । मोह (को०) . पृ. 101 ५ कृष्ण पक्ष (को०)। तमालिका-संवा खो० [सं०] १ भुई पावला। भूम्यामलकी । २ ताम्रवल्ली नाम की लता। - तमिस्रपक्ष-संचा पुं० [सं०] किसी मास का कृष्ण पक्ष । अंधेरा पक्ष । तमानिनी-संज्ञा श्री सं०] १ ताम्रलिप्त देश का एक नाम । २. दमिना-सचा बो• [सं०] १ अधेरी रात। २ गहरा अंधेरा या । भूम्यामलकी। भुभावला। ३ काले खैर का वृक्ष । कृष्ण ममकार (को०)। खदिर। ४. वह भूमि यही तमाल पक्ष प्रषिक हों (को०)। तमा-सहा सा । स० १ समाली-संक सी० [सं०] १. वरुण वृक्ष। २सामवल्लीं नाम की हलदी। मता जो चित्रकूट में बहुत होती है। तमीचर-संक पुं० [सं०] निशाचर । राक्षसाय । नुष। तमाशगीर- पु. [फ्रातमाह+गोर] दे० माधवीन'। समीचर-वि. रात्रि में विचरण करनेवासा [को॰] ।