पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३७५

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तमीस २०२१ तयार समीज-संशा सो [भ० तमोज] १ भले और बुरे को पहचानने को तमोरि-समा० [सं०] सूर्य । शक्ति । विवेक। २ पहचान। ३ ज्ञान । बुद्धि। ४. अदब । तमोरो@t-सहा पु[हिं० 1 दे० 'तंबोली' ! कायदा। तमोलgf-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ताम्बूल ] १ पान का बीड़ा। 30- यौ०-तमोजदार =(१) बुद्धिमान । समझदार ( २ ) शिष्ट। वदी भाल तमोल मुख सीस सिलसिले बार। घग प्रांजे राजे सभ्य। खरी ये ही सहज सिंगार ।-विहारी (शब्द.)।२ दे. तमीपति--सा पु० [सं०] पद्रमा । निशाफर । क्षपाकर । 'तबोल'। वमीश--सा पुं० [सं० तमी+ईम पद्रमा । क्षपाकर। उ-तौ वमोक्षिा-समा स्त्री० [हि. तमोली का स्त्री.] दे० 'तयोलिन'। लों तम रातमी बोलौं नहिं रजरीय । केशव ऊगे तरणि के तमोलिप्ती-सबा खी० [सं०] दे० ताम्रलिप्त'। तमु म तमो न तमीषा-पाव (शब्द॰) । तमोजी-सक्षा पुं० [हिं०] दे० 'तबोली'। तमु - पुं० [हिं०] दे० 'तम'। तमोविकार-सक्षा पुं० [सं०] तमोगुण के कारण सत्पन्न होनेवाला तभरा-सा पुं० [हिं॰] दे॰ 'ता'। विकार । जैसे, नीद, मालस्य मादि । तमुला-मापुं० [f] दे॰ 'वूिम'। तमोहंत--सका पुं० [सं० तमोहन्त ] दस प्रकार के ग्रहणों में तमे --सर्व [ गुज० तमे (तुम)] तुम!-दो सौ पावन०, से एक। विशेष-दे० 'तमोत्य। मा..पू. २१८ तमोत्य-वि० [सं० तमोऽत्य ] सूर्य और चंद्रमा से दस प्रकार वमोहपह'-- पुं० [सं०] १. सूर्य । २ चंद्रमा । ३ पग्नि । ग्रामों में से एक। ४ दीपक । दीमा। तमोहपह-वि०१ मोहनापाक १२ अपकार दूर करनेवाला । विशेष-इसमें 'पद्रमसनकी पिछली सीमा में राह की छाया रहत तमोहर'-सहा पुं० [सं०] १ चद्रमा । २ सूर्य। ३ मरिन । माग । अधिक पौर पीच के भाग में बहुत थोड़ी सी जान पड़ती है। ४ ज्ञान। फक्षित ज्योतिष अनुसार ऐसे प्रहरण से फसल को हानि पह- पती है और भोगें का भय होता है। तमोहर-वि० [सं०] अषकार दूर करनेवाला । २ मज्ञान दूर करनेवाला। तमोध-वि० [सं० तमोऽन्ध] १ मज्ञानी । २ कोपी। तमोहरि -सशपुं० [हिं० ] दे॰ 'समोहर'। तमोगुण-सदा ० (सं०] दे॰ 'तमस्'-३। । तम्मना-क्रि० स० [हिं० तमकना ] तप्त होना । क्रुद्ध होना। तमोगुणी-वि० [सं.] घिसकी घृत्ति में तमोगुण हरे। अधम वृत्ति- उ.-परि लर पर उ? एक। तम्मी उकसि झारें नेक । वाला। उ०--तमोगुणी पाहे या भाई। मम वैरी क्यों ही (वेक)।-पृ. रा०, १६४ मर जाई!-सूर (शद्र.) तय-वि० [म.] १ पूरा किया हुप्रा । निघटाया इमा। समाप्त। मोघ्न-स ) १ मग्नि 1 २ चद्रमा । सूर्य। ४ बुद्ध। जैसे, रास्ता तय करना। काम तय करना । २ निश्चित । ५ यौद्ध मठ के निपम आदि। ६ विधा। शिका. स्थिर । ठहराया हुमा । मुकर्रर । जैसे,-सोमवार को पसना • ज्ञान ६ दीपक । दीया । चिराण। तप हमा है। तमोन्न-चि० जिससे अंधेग दूर हो। क्रि० प्र०करना होना। मोज्योति-सज्ञा पुं० [सं० तमोज्योविम् ] जुगनू [को०] । मुहा०-ठय पाना= निश्चित होना । ठहराना। तमोदर्शन--सया सिं०] वह ज्वर जो पित्तप्रकोप से उत्पन हो। तयार---प्रव्य. [हिं० तह] उहाँ। वहाँ। २९-बुल्माय पार समोनुद--सा पुं० [सं०] 1 ईश्वर ! २ चंद्रमा। २. भग्नि माग | सुपर षित्रिय । पठ्यो प्रति बहुमान तय ।--००,६९। तमोभिद्-सश ० [सं०] जुपन् । तय-सचा पुं० [सं०] १ रक्षा । २ रक्षा [को०] । तमोभिद्-वि० अधकार दूर करनेवासा । तयना -फि० प० [सं० तपन] १ बहत परम होना । सपना । तमोमणि-सत पुं० [सं०] १ जुगनू । २ मोमेद मणि। उ.-निसि घासर तया तिहूँ ताय।-तुमसी (शब्द०)। २. तमोमय-वि० [सं०] १ तमोगुणमुक्त २ पज्ञानी । ३ कोपी। तप्त होना। दुषी होना। पीड़ित होना। 'तमोमय-सचा पु० [सं० } राष्ट्र । विशेष-दे० 'तपना। तमोर -सबा . [ से• वाम्म ] दादून। पान ! 8.--(क) सयना -कि० स० [हि.] ३. 'तपाना'। यार समोर दुध पधि रोपन हरवि पयोधा मा -सर तयना-वि० [हिं० ] दे० 'वैरात। (पद)-(ब) सुरंग अपर पो मीन तमोरा। सोह पान तया--स एं० [हिं० ] 'वा' । फूल कर जोरा।-जायसी प्र०, पृ. १४३ । व्यार---वि० [हिं॰] दे॰ 'तयार'।