पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३८२

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तरहदार २०३८ तरायन तरहशार-वि० [H० घरह+फा० दार (प्रत्य॰)] १ सुदर प्रकार ठीक ठीफ पराबर होना कि एक दूसरे को परास्त न बनावट का। अच्छी चाल या ढांचे का। जिसकी रचना कर सके। मनोहर हो। पैसे, तरहदार छींट। २ सजषजवाला। तराटक -सपा पुं० [सं० त्राटक ] दे० 'पाटक' । उ०-त्रिकुटी शौकीर । वादार । जैसे, तरहदार मादमी। संग भ्रूभय तराटक नैच नैन लपि चापे। -पोद्दार० प्रमिल तरहदारो- यो [फा०] वजादारी । सजधज का ढग । पं., पु०११॥ तरह -शिवि० fgo सर+हर (प्रत्य॰)] तले । नीचे । तरातर+-वि० [फा० तर (गीला) ] मत्यत गीला । भाद्रं । १०-बम परि गृह तरहर परमो इहि पर हरि चित लाइ। उ.-घलत पिचुका पर पिचकारी करत तरातर।- विषय त्रिपा परिहरि प्रज्यों नर हरि के गुन गाइ।- प्रेमघष, भा० १, पृ. ३४ । बिहारी (शम्द०)। तरात्यय-सक्ष. [सं०] विना पाज्ञा लिए नदी पार करने का तरहर'-वि.१ बीचा । तले का।नीचे का।२ निकृष्ट । बुरा। जुरमाना [को०] । सरहरिल-कि.पि.fgo तर+हरि (प्रत्य) नीचे। तराना-सवा . [फा०तरामद ] १. एक प्रकार का बलता गाना जिसका बोध इस प्रकार का होता है-दिर दिर ता दिमा तरहा- पु. [हिं० तर+हा (प्रत्य॰)] १. कुो खोदने में मारे दी मता दी म्ता मा ना रे दा दारे वा निता एक माप षो प्रायः एक हाथ की होती है। २. वह कपड़ा ना ना रे चा वा ना ना देरे नाता ना ना ताना तो जिसपर पिट्टी फेवाफर कहा ढालने का सांधा बनाते हैं। दरतारे दानो। सरहारि -शि.वि. [fe.] दे० 'तरहर । मिशेष-तराना हर एक राय का हो सकता है। इसमें कमी तरक्ष@t-वि० [हि. तर+हर, हल (प्रत्य॰)] १. अधीन । कभी सरयम पोर तबले बोम पी मिला विए जाते। निम्बस्प। २ वश में पाया हया। पराजित । १०- तो २. कोई पच्छा गाना बिढ़िया गीत ।-(क्व०)। पोपम खेलो करिहीया। षो तरहेल होय सो तीया:- तराना-क्रि० स० [हिं०] दे॰ 'राना। बायसी (शब्द०)। तराना--कि० [हिं० तर नामिक पातु ] ३. 'तरिमाना' ।। तरांधु-सा पुं० [ सं० तरान्धु ] चौड़े पैदे की नाय (को॰] । तरापन-सका मौ० [अनु.] तलाक शब्द । बंदूक, तोप मादि का । तरों'--सा • [हिं०] दे॰ 'तराना' । धन्य । १०. सेन पफमान सैन सगर सुतन झागी कपिल तरा२-पथ्य [सं० तदा ] तब । उ.-मन्तो जरा विवाह रो, तरी ___ सराप लौ तराप तोपखाने को।-भूषण (शब्द॰) । विचारी ढीला-रा०६०, पृ० १२॥ तरापा-सा पु नः हाहाकार | हराम । पाहि पाहि । तरामधा पुं० [ देश० ] पटुमा । पटसन । उ०-परी धर्मसुत शिविर तरापा। पजपुर सकल शोकबस तरा-पेशा पुं० [हि तला] १ दे० 'सला'।२ दे० 'तलवा'। कोपा! सबसिंह (गन्द०)। तराई–वा[हि. तर(नीचे)+भाई पत्या , तरापा-सबा पूनहिं. तरना ] पानी में तैरता हुमा पाहतीर । पहाड़ के नीचे की भूमि । पहाड़ के नीचे का वह मेवान बहाँ बेड़ा।-(स.)। सीर या तरो रहती है। जैसे, नेपाल की तराई। २. पहावी तराबोर-वि० [फा०र+हि.बोरवा शुद्ध रूप फ्रा० शरापोर ] की घाटी। ३ मुज के मुद्दे जो छापन में खपरों के नीचे खूब भीगा हमा'! खुप वा हुमा । सराबोर । दिए जाते। कि० प्र०—करना । —होना । तराई -सक्षा बी. [ सं० तारा ] तारा । नक्षत्र । तरामल-सबा . हि तर ( - नीचे)] १ मुंज के वे मुठे जो तराई13---साधा खी० [हिं० तथाई छोटा ताल । तलैया। । छावन में खपरैल के नीचे दिए जाते है। र जुए के नीचे यो सकती। तरापल-प्रपा . फातराण (फाट छाँट )12. 'तराण'। तरामीरा-सहा देश 1 सरसों की सरह का एक पौधा जिसके स-पचर फार कागज फर, एजो कोई ऊँगली सराप बीजों से तेले निकलता है। उखम ।--पोद्दार० प्रभि. पु. ६४५। विशेप-मरीय भारत में बाकी फसल के साथ इसके तरान-सना पी० पुं० [फा.सराज रस्सियों के द्वारा एक पीपी बीज दोए जाते रवी की फसल के साथ इसके दाने भी डोडी बोरों से थे हए वो पलों का एक यत्र जिससे पक आते है। पत्तियां बारे काम में पाती है। तेल निकाले वस्तुओं की तो मालूम करते है। तोप का यंत्र । हुए बीजों की बनी भी चौपार्यों को खिलाई जाती है। इसे सुषा । सफपी। , दपा भी कहते हैं। महा०-तराजू को पाना (१) तीर का निशाने के इस प्रकार तरायला-वि० [ देश 1 तेजा वेगवाम् । फुर्सीला। वरावान् । पारपार घुसना कि उसका भाषा भाग एक पोर, मौर शोनम । उ०-मागे मागे तरुन तरायले पलत घले । भाषा दुसरी मोर निकला रहे। (२) यो सैनिक पलों का इस -सूषण प., पृ.७३।।