पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०१० 1@४—संझ स्त्री. [fear कान का एक गाना । तरिवन। तरुणज्वर-सबा पुं० [सं०] वह ज्वर पो सात दिन का हो गया। कणंफूल । उ-काने कनक तरी बर बेसरि सोहि ।- तरुणतरणि-सधा पुं० [सं०] दे॰ 'तरुण सूर्य तुलसी (स.)। तरदधि-संज्ञा पुं० [सं०] पाँच दिन का दही। ११- मी० [f] पाल। पूणाल। 10-से सुंदर विशेष-वैद्यक अनुसार ऐसा रही लाना हानिकारक है। कमल को हंस ग्रहण करे तैसे पिठा वरण ग्रहण किया। तरुणपीतिका-सा श्री. [सं० ] मैनसिल । जैसे कम तरे कोमल तरिया होती है, दिम तरियों सहित कमल को हंस पकडता है, वैसे दसरय जी की अंगुरीन को तरुणसूर्य-संच पु. [ सं०] मध्याह्न का सूर्य । राम जी ने ग्रहण किया ।--योग०, पृ०१३। । तरुणा-संका सी० [सं०] युवती। 10-भव प्रणंव की तरणी तरुणा । बरसीं तुम नयनों से करुणा ।-अर्चना०, पृ.१। तरीक'--फि० वि० [देश तहका, तड़के प्रात.काल तडका । सबेरा। उ.-कहे साहि गोरी गरम महो पान तत्तार । कल्हि तरीक तरुणाई -सस नी[सं० तरुण+माई (प्रत्य॰)] युवावस्या। सुच दिन पढ़िपरि सधौ सार ।-पु. रा०,६३ । जवानी। तरीक-सहा पुं० [म तरीका १. मार्ग। रास्ता। शैली। तरुणानाकु-शि.प्र. [सं० तरुण+माना (प्रत्य॰)] जवानी रविण । उ०-वाद पढे हजरते शेखे थफीक, वाकिफ़े पर माना । युवावस्था में प्रवेश करना । पसरारे हफ हादी तरीक ।-दक्खिनी०, पु. २०३ । २. तरुणास्थि-संज्ञा स्त्री॰ [सं०] पतली लचीली हडौ। राज । ३ धर्म । मजहर । ४. युक्ति । तरकीब । तरुणिमा-सधा स्त्री० [सं० तरुणिमन् ] जवानी [को०] । ५ नियम । दस्तुर । तरुणी'--वि० स्त्री-[सं०] युवती । जवान स्त्री। तरीकत-सवा स्त्री० [म.तरीकत ] मात्मशुद्धि। प्रत.शुद्धि। तरुणी:--सक्षा स्रो०१. युवती । जवान स्त्री। मो . दिल की पवित्रता । २. ब्रह्मज्ञान । मध्यात्म । तसव्वुफ । विशेष-भावप्रकाश के अनुसार १६ वर्ष से लेकर ३२ वर्ष तक उ.---यूले निद्रा सुख सपने का जागा कन बैठे, राह तरीकत की स्त्री को तरुणी कहना चाहिए । मारग उनके मुस्तैद होकर उठे ।-दक्खिनी०, पृ०५५ । २. घीकुमार 1 ग्वारपाठा । ३ देती। जमालगोटा । ४ पीड़ा तरीका-सज्ञा पुं० [अ० तरीकह ] १. ढग। विधि। रीति । प्रकार । ढव । २. चाल । व्यवहार। ३. युक्ति । उपाय । नामक गधद्रव्य । ५ वृना का फूल । मोतिया । ६ मेष राग तववीर । तरकी। की एक रागिनी। तरीष--सा पुं० [सं०] १. सूखा गोबर । २ नौका । नाव । ३ पानी तरुणीकटाक्षमाल-सशा बी० [१०] तिलक वृक्ष । में बहनेवाला तता। बेड़ा। ४. समुद्र । ५. व्यवसाय विशेष कवि समय के अनुसार तिलक का वृक्ष तरुणियों को ६. स्वर्ग । ७ कुशल व्यक्ति (को०)। ८. सजावट (को०)। कंटाक्ष दृष्टि से पुष्पित होता है। मतः इसका एक नाम ६ सुदर माकार या माकृति (को०)। 'तरुणीकटाक्षमाल' है। तरीषी--समा स्त्री० [सं०] इद्र की कन्या। तरुतूलिका-सज्ञा स्त्री० [सं० ] चमगादड । तरसा पुं० [सं०] १. वृक्ष । पेड़ । २ गति। वेग (को०)।३ तरुन -सचा पुं० [स० तरुण ] दे॰ 'तरुण'। काठ का एक पात्र जिसमें सोम लिया जाता था (को०)। ४. तरुनई --सच्चा सी० [हिं० ठरूर+ई (प्रत्य॰)] दे० 'तरुनाई। एक प्रकार का चीड़ जिसके पेड़ स्खसिया की पहाड़ी, चटगांव तरुना-वि० श्री० [हिं० दे० 'तरुण'। उ०-ऐसे विरह विकल पौर वरमा में होते हैं। कल बैन । सुनि के तरुना करना ऐन ।-नंद प्र०, पृ० ३२१॥ विशेष—इसमें से जो विरोजा या गोंद निकलता है, वह सबसे तरुनाईg--सबा स्त्री० [सं० तरुण हिं० माई (प्रत्य०) | तरुणा प्रच्छा होता है। तारपीन का तेल भी इससे बहुत अच्छा वस्था । जवानी। निकलता है। तरुनापाहु-समा पुं० [सं० तरुण+हिं० मापा (प्रत्य०) ] युवा- तरु-वि. रक्षक । रक्षा करनेवाला । वस्था। जवानी। उ.-बालापन खेलत में खोयो तनापै तरुया'.-सका पुं० [देश॰] सबाले हुए पान का चावल । भुजिया पावल। गरबानी।-सूर (शब्द०)। तरुया-सा पुं० [हिं० तलवा ! दे० 'तलवा।। वरुनी -सबा सो. [ सं० तरुणी ] दे० 'तरुणी' । उ०-अज तरुनि तरुटी:---सा स्त्री [हिं॰] दे० 'श्रुटिं। उ०-भंडारा समाप्त हो रमन मानवधन चातकी निसद प्रभुत प्रखरित जगत पानी :- गपा । कोई तरुटी नही हुई।-मैला, पृ० ४८ । घनानंद, पृ. ३८६। तरुण-वि० [सं०] [विखी तरुणी, युवा । जवान । २. तरुबाहीरा-सका बी० [सं० तरु+हि.नाह ] पेड़ की भुजा । नया। नूतन । ' शाखा । डाल । उ.--क सराय फल है तरु माहीं। पषि तरुण-सधा पुं०१. का जीरा। स्यूल बोरक । २ एरड । रें। कोटि दल हैं वरुचाही। -सदल मिश्र ( शब्द०)। ३. कृषा का फूल । मोतिया। तरुभुक्--पक पुं० [सं० तरुभुक] बदाक बौदा । तरुणक-सबा [सं०] अंकुर को। वरुभुज-- पु. [सं० तरुभुक् ] दे॰ 'रुमुक्'।