पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३८८

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तिलक २०१४ तलवाना विराव फानन । जंगल । ११ गड्ढा । गढ़हा। १२. चमड़े का बल्ला विशेष-भावप्रकाश में 'धी में भुना हमा' के मयं में 'कलित' जो धनुष की डोरी की रगड बचाने के लिये बाई बाँह में शब्द भाया है, पर वह संस्कृत नहीं जान पड़ता। पहना जाता है। १३. घर की छत । पाटन । बैसे, चार तला तलप -सहा पु० [सं० तल्प ] दे॰ 'तल्प' । उ०-तुम जानकी, मकान । १४ ताड़ का पेड । १५. मुठिया। मुठ । दस्ता । जनकपुर जाह। कहा मानि हम संग भरमिही, महबर वन १६ बाएं हाथ से वीणा बजाने की क्रिया। १७. गोषा। दुख-सिंघु प्रयाहु । तजि वह जनक राज भोजन सख, कत तन- गोह। १८ फलाई। पहुंचा। १६ वालिएत । पित्ता । २० वक्षप, विपिन फल खाहु ।-सूर०,१।३४। माधार। सहारा। २१. महादेव । २२ सप्त पातालों में से तलपट-वि० [ देश०] नास । बरवाद । चौपट । पहला । २३ एक नरक का नाम । २४ उद्देश्य (को०) । २५.. क्रि०प्र०-करना । —होना । मूल । कारण (को०)।२६ ताल । तलाव (को०)। तलपट-सधा पुं० [सं०] कोठा। प्रायव्यय फलक । तलक'-सहा पु[सं०] १ ताल । पोखरा । २ एक फल का नाम ३. सिगड़ी। अंगीठी (को०)। तलपत्त--सधा स्त्री० देश० बिछौने की चादर । ---हरि वलक -प्रव्य० [हिं० तक ] तक । पयंत। . मगहि हरनछ करहि तलपत्त पत्त धर!-पू० रा०, २।३०८। तलकर-संज्ञा पुं० [सं०] वह कर या लगान जो पौदार ताल की वस्तुमों (जैसे, सिंघाड़ा, मछली मादि) पर लगाता है। तलपना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'तलफना'। ३०-तलपन लागे। प्रान नगल ते छिनह होहु जो न्यारे। भारतेंदु प., मा० २, दलकी-सचा स्त्री॰ [देश॰] एक पेड़। पु. १३३ । विशेष-यह पजाब, पवध, बंगाल, मध्यप्रदेश पोर मद्रास में तलफ वि० [अ० तलफ ] नष्ट । वर्वाद । होता है। इसको लकडी ललाई लिए भूरी होता है मौर खेती के सामान बनाने तथा मकानों में लगाने के काम में क्रि० प्र०—करना ।—होना । आती है। यौ०-मुहरिर वलफ।। तलकीन-.--सहा त्री० [म. तल्कोन] १ पिक्षा। उपदेश । २ दीक्षा तलफना-क्रि.म. [ हिं• तड़पना अथवा मनु.] १ कर पा देना। गुरुमत्र देना। पीर का मुरीद को अमल मादि पीड़ा से अग टपकना। छटपटाना। २ व्याकुल होना। पढ़ाना [को०] । वेचैन होना । विकल होना । तखख-वि० [फा. तल्ख] १ करमा । भप्रिय । २ अरुचिकर । तलफाना-क्रि० स० [ पनु० ] तड़पाना । नागवार । १०-तेरी जैसी रामसिन के हाथ में पककर तलफी---सबा खी० [फा० तलफ़ी ] १. खराबी। बरवादी । नाश। जिंदगी वलप हो गई।-गोवान, पु. ५७ ।। २ हानि । सलखी-सा श्री फा० तलनी] कड़वाहट । कटुता । फवापन । यौ०-हक तलफी = स्वत्व का मारा जाना । उ०—हिन की तलखी नहीं है जिसमे तलख जिंदगानी वह तलफ्फुज-सञ्ज्ञा पुं० [म. तलप्रफुज] उच्चारण [को॰] । है।-भारतेंदु म, भा॰ २, पृ० ५६९ । तलय पर श्री० [म.] 1.सोज । तलाश । २. चाह । पाने की । सलग -प्रव्य- [हिं०] दे० 'तलक', 'तक'। उ०-'माये सलग इच्छा । ३. मावश्यकता । मांग। पक्ल कर इलाज | चलाउँगी में सब तेरा मुल्को राज : मुहा०तलब फरना मांगना या मंगाना। पक्खिनी०, ५० १४५ । ४ बुलावा । बुलाहट। सलगू-संशा श्री० [सं० तैलग] तैलग देश की भाषा । तेलगू भाषा। मुहा.-तलब करना = बुला भेजना। पास बुलाना। तलघरा-सका पुं० [सं० तल+हिं० घर ] तहखाना । ५ तनखाह । वेतन । सलछट-सबा बी० [हिं० तल+छंटना पानी या मोर किसी द्रव क्रि० प्र०-खाना ।-घुकाना।-देना।-पाना। मिलना ।। पदार्थ के नीचे बैठी हुई मैन । तलौछ । गाद । —लेना ।-मांगना-चाहना।। तलछत -सचा स्त्री० [हिं०] दे० 'तखछट'। ल-तिमि उक्त तलबगार-वि० [फा. चाहनेवाला । मायनेवाला। कोट पम्बै सहित पल पम्यै सलछत परे ।-हम्मीर, तलबदार-वि० [फा०] चाहनेवाला। तक्षपदास्त-सबा पुं० [मतलब +फ्रा० दास्त ] समन । सलठी-सका श्री. [हिं०] दे० 'तलछट'। 30-तिल तिल झार तलवनामा-समा०प० तलब+फा० नामह. ] समन । मदाला कबीर लए सलठी झारे लोग।—कबीर०म०, पृ. ३२५ । मे उपस्थित होने का लिखित माज्ञापत्र । वक्षत्र, तलवाण-सका पु० [सं०] धनुधर का दस्ताना [को०] । तलवाना-सम पुं० [फा० तसवानह] १ वह स्वयं जो गवाहों को तलना-क्रि० स० [सं०तरण (=तिराना)] कड़कड़ाठे हुए घी या तलब करने के लिये टिकट के रूप में अदालत में दासिल तेल में डालकर पकाना । जैसे, पापड़ सलना, घुधनी तलना। किया जाता है। २ वह खर्च जो मालगुजारी समय पर संयो० कि०-देना। लेना। षमा करने पर जमींदार से रोकप मे सिया जाता है।