पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३८९

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- २०॥ उसवार विशेष—पपरासियों को खाने पीने मादि लिये जो भेंट या सरीर भस्म होना। तलवे सहलामा-(१) प्रत्यंत सेवा शुभ्रषा व जमींदार देते हैं, उसको मी सलवाना कहते हैं। करना । (२) बहुत खुशामद करना । तलवी-सी - [म. उलय+फा०६ (प्रत्य॰)] १. बुलाहट । तलवार-सका स्त्री० [सं० तरवारि] लोहे का एक लंबा पारपार २. मांग। इपियार मिस प्राधात से वस्तुएँ कट जाती है। खङ्गा । कि० प्र०- होना। - मसि । कृपाण। तलवेली-सहा स्त्री॰ [हि. तसफना ] किसी वस्तु के लिये मातुरता पर्या०-पसि । विशसन । खन। जीक्षणवर्मा। दुरासद। या बेचैनी। छटपटी। घोर तत्कंठा। 30-काम्ह उठे पति श्रीगर्भ । विजय । धर्मपाल । धर्ममाए । निस्त्रिप्त । पद्रहास । प्रातही तलवेली लागी। प्रिया प्रेम के रस भरे रति अंतर रिष्टि । करवाल । कोक्षेयक । कृपाए । खागी ।—सूर (शब्द०) क्रि० प्र०-चलना। -चलाना। -माना।-लगना।- तलमल-सा पुं० [सं० ] तलछट । तरोंछ । गाद। लगाना।-करना। वलमलाना -कि. म.[देश॰] तड़फड़ाना । तरपना। बेचैन महा०-तलवार करना-लवार चलाना। तलवार का वार होना। करना। तलवार कसाना= तलवार झुकाना। तलवार का तलमलाना-कि.म० दे० 'तिलमिलाना'। खेत % लड़ाई का मैदान । युद्धक्षेत्र । तलवार का घाट= तलमलाइट-सज्ञा स्त्री० [देश॰] व्याकुलता। तड़पने का भाव। तलवार में वह स्थान जहां से उसका टेढ़ापन पारंम होता बेचैनी । है। तलवार का छाला= तलवार के फल मे उभरा हमा दाग। तलवार का डोरा- तलवार की घार जो पतले सूत तलमलाहट-संज्ञा स्त्री० दे० 'तिलमिलाहट' । की तरह दिखाई देती है। तबकार का पट्टा तलवार की तलमाना-फ्रि० प्र० [हिं०] दे० 'तलमलाना'।-(क्व०)। 3.- चौडी घार। तलवार का पानी %D तलवार की भाभा या लगे दिवस कई वेग पाया न पान, थी पान उसकी पौर लगी दमक । तलवार का फल मूठ के अतिरिक्त तलवार का तलमान । दक्खिनी०, पु०५७ सारा भाग। तलवार का बल - तलवार का टेढ़ापन । तलव-सज्ञा पुं० [सं०] गानेवाला। तलवार का मुंह तलवार की धार । तलवार का हाय- तलवकार-संज्ञा पुं० [सं०] १. सामवेद की एक शाखा। २ एक (१) तलवार चलाने का ढग। (२) तलवार का वार । उपनिपद का नाम । खङ्ग का प्राघात तलवार की प्रचितलवार की चोट का तलवा सज्ञा पुं० [सं० तल ] पैर नीचे का भाग जो चलने या सामना। तलवार की माला तलवार का यह जोड जो खरे होने में जमीन पर पड़ता है। पैर के नीचे की ओर का दुवाले से कुछ दूर पर होता है। तलवारो को छोह में ऐसे वह भाग जो एँड़ी भौर पजों के बीच मे होता है। पादतल । स्थान में जहाँ अपने ऊपर चारो मोर तलवार ही तलवार मुहा०--तलवा खुजलाना तलवे में खुजली होना जिससे यात्रा विखाई देती हो। रणक्षेत्र में। तलवार के घाट उतरना- का शकुन समझा जाता है। तलवे चाटना बहुत मुशामद लड़त लड़ते मर जाना। तलवार के घाट उतारा जाना- करना। अत्यत सेवा शुध पा में लगा रहना तलवे छलनी मारो जाना। वीरगति पाना। उ०—महासा मे बहुत से लामा होना%चलते चलते पैर घिस जाना। चलते चलते शिथिल और विद्वान् तलवार के घाट उतारे गए हैं।-किन्नर, हो जाना। महत दौड़ धूप की नौवत माना । तलवे तले प्रांखें पु०९ तलवार खीचना =म्यान से तलवार बाहर करना। मलना= दे० 'तलवों से प्राखें मलना। तलवों तले मेटना = तलवार जहना = तलवार मारना। तलवार से पाघात कुचलकर नष्ट करना । रौंद डालना। -(स्त्रि.)। तलवे चो करना । तलवार तौलना= तलवार को हाथ में लेकर मंदाण घोकर पीना - प्रत्यंत सेवा शुथ पा करना। प्रत्यत श्रद्धा करना जिससे वार भरपूर बैठे। तलवार संभालना। तलवार भक्ति प्रकट करना। पत्यत्त प्रेम प्रकट करना। तलवान पर हाथ रखना - (१) तलवार निकालने के लिये तैयार टिकना-पैर न टिकना । जमकर बैठा न रहा जाना । मासन होना। (२) तलवार की शपथ होना। तलवार न जमाना। एक जगह कुछ देर बैठे न रहा जाना। तलवान चौधना= तलवार को कमर में लटकाना। तलवार साय में भरना = दे० 'तलवा न टिकना'।-(स्त्रि.)। लषों से पाखें रखना। सलवार सौतना = तलवार म्यान से निकालना। मलना- (१) प्रत्यत दीनता प्रकट करना। वहत अधिक धार करने के लिये तलवार खींचना। मधीनता दिखाना । (२) प्रत्यत प्रेम प्रकट करना। (३) दे० विशेष--तलवार का व्यवहार सब देशों में प्रत्यंत प्राचीन काम 'तलवों तले मेटना' । तलवों से माग लगना - क्रोध से शरीर से होता माया है। धनुर्वेद आदि ग्रयों को देखने में पाना भस्म होना। प्रत्यत कोष चढ़ना । तलवों से मलना-पैर से जाता है कि भारतवर्ष में पहले बहुत अच्छी सलवारें बनती कुचलना । रीदना । कुचलकर नष्ट करना । तलवो से लगना- थी जिनसे पत्थर तक कट सकता था। प्राचीन काल में (१) क्रोष पढ़ना । (२) बुरा लगना। मत्यत मप्रिय खट्टर देश, प्रग, वंग, मध्यग्राम, सहप्राम, कालिंजर इत्यादि लगना । कुढ़न होना । चिढ़ होना । तलवो से लगना, सिर मे स्थान खत के लिये प्रसिद्ध थे। ग्रयों में लोहे को उपयुक्तता, जाकर बुझझना=सिर से पैर तक कोष पदना । क्रोष से खगों के विविष परिमाण तथा उनके बनाने का विधान भी ।