पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३९०

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वलवारण २०३६ दिया हमा। पानी देने के लिये लिखा है कि भार पर नमक तलाउ-सका पुं० [हिं॰] दे० 'तसाव। या क्षार मिली गीली मिट्टी का लेप करी तसवार को पाग तलाक-सक पुं० [५० तलाक ] पति पत्नी का विधानपूर्वक में तपावे मोर फिर पानी मे बुझा दे। उपाना मौर शुक्राचार्य संपत्याग। ने पानी मतिरिक्त रक्त, घृत, ऊँट दूध प्रादि में बुझाने कि० प्र.-देना। का भी विधान बतलाया है। तबवार की झनकार (ध्यान) तलाची सहा श्री.[सं०]पटाई। तथा फच पर पापसे पाप पर हुए चिह्नों के अनुसार तलवार तलातल -सका . [सं०] सात पातामों में से एक पाताल का नाम । के शुभ, पशुम या मच्छे बुरे होने का निर्णय किया गया है। तमाफी-सक बी० [4. तमाफी] क्षतिपूर्ति। हानि की पूर्ति । ऐसे निएंयलिये जो परीक्षा की जाती है, उसे मष्टांग नुकसान का बदला । तदायक (को०] । परीक्षा कहते है। तमवार चलाने में हाथ ३२ गिनाए पप तलाव-सक्ष पुं० [हि.]. 'वासार। है। जिनके नाम ये-भ्रोत, उद्धांत, पाविद्ध, साप्लुत, । विप्लुत, सृत, मुबात, समुवीणं, निग्रह, प्रग्रह, पदावमर्षण, तलाबेलीgf-सबा स्त्री० [हिं०] ३० वमली। सभाम, मस्तक भ्रामण, भूष भ्रामण, पाश, पाद, विषय, तलामलो-सबा बी० ['ह.] दे० 'तसादेखी। भूमि, सभ्रमण, गति, प्रत्यागति, माक्षेप, पाचन, उत्थानक- तलामली--संवा बी० [.] ३० 'नमस' । उ.-दिन पहास प्लुति, अधुता, सौष्ठव, योभा, स्थैर्य, दृढ़मुष्टिता, तियंक सा मालूम होने मया खासकर डाकको डी तसामची बा प्रबार और ध्वं प्रचार। इसी प्रकार पट्टिक, मौष्टिक, महि रही यो।-श्रीनिवास १०, पृ.११ पास प्राधि सलवार के १७ भेद भी बतलाए गए हैं। माषकल तमाया-- . [हिं० ताल तलैया। बसाई। उ-- भी तलवारों के कई भेद होते हैं, जैसे खाँग को सीधा मौर तलायो गोठ जुरे बहे पाकवै। परको विहे पावामी छोर पर पीड़ा होता है, सैफ, जो बबी पतली भौर सीधी पक्सवै । --राम• धर्म०, १० २०२। होती है, दुधारा, जिससे दोनों पोर पार होती है। इसके तलार -वि० [सं० उल+हि. पार (प्रप.)] . 'तल्हार। प्रसिरिता स्थानभेद से भी तलवारों कई माम। १०-वे पानी में सजो निकमे भार रखे।वो परपर हो सिरोही, दरी, जुनूनी इत्यादि। एक प्रकार की बहुत पतली उस तसार ।-वक्सिनी०, पृ. ३३७ । पौर सपीली तलवार ऊना कहलाती है विसे राषा तकिप में तल्लार.-सधा पुं० [सै० स्वस (= तस) रखक] नगररक्षक। रख सकते या कमर मे लपेट सस्ते है। तलवार दुर्गा का -- II प्रधान पस्न,, इसी से भी फभी तलवार को दुर्गा मी तलार. . .] नगररक्षक प्रधिकारी या कोतवाम कहवे । उ.---प्राचीन बिमालेखो तथा पुस्तकों में तबारक्ष मौर तसार वलवारण-[.] तलवार । पसि [को०] । शब्द नगररक्षम अधिकारी (कोतवाल) पर्व में प्रयुक्त तलवारिया-या पु० [हिं०] तलवार चलाने में निपुण व्यक्ति । किए पाते । सोडस रचित 'सदयसुधरी कपा' मे एक ततबारी-वि० [हिं० सलवार] तसवार सबधी। गक्षस का वर्णन करते हुए पिता है कि वृणा उत्पन्न करने तलहदी- श्री. [म. तल+घट्ट] पहाड़ के नीचे की भूमि । वाले उसके प. कारण या नरक नगर के तसार के पहार की तराई। समान था।-राज. इति०, ३.४५६ । तलहट्टी-सका श्री [हिं०] दे० 'तलहटी'। ७०-तमहट्टी सुरताण, तलाव- पु. से. ताग>प्रा. लामबाव, या सं. रहे जोधाण महल्ले । मजन प्राय तप प्रकल। तल्ल ] यह लबा चौड़ा गड्डा जिसमें सामन्यत. बरसात का तमहा-वि० [हिं० तान] १ ताल म्बधी। तास का या ताल में पानी जमा रहता है। वासा तालाब पोखरा । ३०-- होनेवाला। सिमिटि सिमिटि जल महतसाया। जिमि सद्गुण सज्जन तलाही-सौ . [हिं० ताल+दी (प्रत्य॰)] ताल में रहनेवाली पंह मावा ।—तुलसी (शब्द॰) । चिड़िया । .--कोउ तसही, मुर्गापी फोऊ कराकुल मारे ।- मुहा० -तलाव बाना= धौष जाना । पासाने पाना। प्रेमपन०, ५० २६ । तमांगलि-संक्षा श्री० [सं० तलाङ्गलि] पैर का मंगूठा [को०] तलावा२-वि० [हिं० तलना] तबाहमा । से, तलाव हींग। तला'-सका • [सं० तप] किसी वस्तु के नीचे की ससाह । पेंचा। तलाव- तबने की क्रिया या भाव। २. मोचे का चमड़ा जो जमीन पर रहता है। तलावडी@- -[ • तहाग, मामिका, प्रा. बाग, तला-सबा जी (स०] दे० 'तलवाण' [को०)। तमाश्या, साप, दमाई, सा+को (प्रत्य॰)] तला-वि० [सं० सम] दे० 'हल्ला '। 'सर्थया'।.-जोवरण फट्टि तलायकी, पालिका तलाई-सका बी० [हिं• ताल छोटा तार। इसेया। बावमी। बोला., दू. १२२ तलाई-सज्ञा स्त्री० [हि./ल+पाई (प्रत्य॰)]लने को तलावरी-माजी. [ हिसाव+री (D' प्रत्य॰)] बार। क्रिया या भाव। छोटा ताल । उ-वाल समावरिभरण न चाही। सूझा वसाई-सज्ञा स्त्री० [हिं० तसाना] १. तमाने का भाव । २. वारपार तेन्ह नाही!-बापसी (गुप्त), १.१४१। वलाने की मजदूरी। तलाश-संश्री.[..सोजावडाडामवेषय । अनुसंधान।