पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३९५

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तसनी तस्वीर का पर उससे बड़ा गहरा वरतन जो खोह, पीतल, चवि प्रादि वसू-सा पुं० [सं० त्रि+शुक = जो की तरह का एक कदन्न] लंबाई का बनता है। की एक माप । इमारती गज का २४ वा प्रश जो 18 इच तसली-सका सी० [हिं० तसला] छोटा तसला। के लगभग होता है। तसलीम-संश स्त्री० [म. तस्लीम] १. सलाम । प्रणाम। २ फिसो तस्कर-सधा पुं० [सं०] १ घोर। २ श्रवण । कान। ३. मैनफल । बात को स्वीकृति । हामी।से,-गलती तसलीम करना। मदन वृक्ष । ४ वृहत्साहिता के अनुसार एक प्रकार के केतु जो लवे और सफेद होते हैं। ये ५१ हैं और बुध के पुत्र माने जाने कि०प्र० करना ---देना ।-पाना ।—होना। हैं। ५ चोर नामक गंधद्रव्य । ६ कान (को०)। तसल्ली-सहा स्त्री० [म.] १ ढारस । सात्वना । पाश्वासन । तस्करता-संज्ञा स्त्री० [सं०] १. चोर का,काम । पोरी। २ श्रवण। २. व्यग्रता की निवृत्ति । व्याकुलता की शाति । घयं । पीरजा सुनना (को०)। ३. सत्तोप । सम्र। वस्करवृत्ति-सक्ष० [सं०] चोर । पाकेटमार [] fo०~~करना ।--देना ।---पाना | होना। तस्करस्नायु-सक्षा पुं० [सं.] काकनासा लवा। कावा ठोठी। मुहा०-तसल्ली दिनाना-धीरज या सतोष देना । | धारण तस्करी-सशास्त्री० [स० तस्कर] १. चोर का काम । चोरी। २. कराना। चोर की स्पी। ३ वह स्त्री जो चोर हो। ४. उग्र स्वमाव तसवोर- श्री [म० तस्वीर] १. वस्तुओं को माकृति जो रंग की स्त्री (को०)। मादि के द्वारा काराज, पटरी प्रादि पर बनी हो । चित्र। तस्कीन---सज्ञा स्त्री० [प० दे० 'तसकीन'। उ०-फिराके यार में झि०प्र०-खींचना !-बनाना ।-लिखना । होने से क्या तस्कीन होती है। प्रेमधन, भाग १, पृ० १६७ महा--तसवीर उतारना-चिर बनाना तसवीर निकालना- तस्थु-वि० [सं०] एक ही स्थान पर रहनेवाला । स्यावर । अथल । चित्र बनाना। वस्तीफ-सहा स्त्री० [५० तस्नीफ] १ पुस्तक लेखन । किताव २. किसी घटना का पयातय्य विवरण। बनाना । २ लिखित पुस्तक । बनाई हुई कविता। ३. तसवीर-विचित्र सा सुंदर । मनोहर। मनगढ़त या फपालकल्पित वात [को०] । तसवीस-सपा पी० [अ० तश्वी] १ चिंता। सोच । फिक। तस्फिया-सज्ञा पुं० [प० तस्फियह] १, प्रापस का निपटारा या २. भय । डर । घास । ३ व्याकुलता घराहट । १०- समझोता। २. निर्णय । फैसला। ३. शुद्ध करना । साफ ना तसवीस खिराज न माल खौफन स्वजान तरस जवाल । करना। शुद्धि । सफाई। ४ दिलो की सफाई । मेल [को०)। -संत रे०, पृ० ११०॥ यो०-सस्फिया तलब वे बातें जिनकी सफाई होनी आवश्यक तसव्वुर--ससा पुं० [प.] फल्पना । उ०-तसव्वुर से तेरे रुख के हैं। तस्फियानामा = वह कागज जिसमे पापस के तस्फिए की गई है नींद मोतों से। मुकाबिल जिसने हो बुरशीद क्यों कर लिखापढ़ी हो। उसफो वाव पावे।--कविता को०, माग ४, पू०२६ । तस्मा- स० [फा० तस्मह] १ बम को फम चौड़ी पोर लवी तसाना-क्रि० स० [हि. पासना] त्रस्त करना। डराना । उ.- पट्ठी। २ जूते का फीता। ३ चमडे का कोला या दुर्रा [को०] । हाय दई घनमानंच है करि को लौ वियोग के ताप तसायही। यो०-तस्मापा-जिचका पांव उस्मे से बंधा हो। तस्मादाच- -धनानद, पु०६६. (१) पुतं । वचक । मयकार। छली। (२) द्यूतकार । तसि -वि० [हिं० तस] वैसी । उस प्रकार की। जुभारी । तस्मावाशी- (१) छल । कपट । (२) एक प्रकार का जुमा। तसि -कि० वि० [हिं० तस] तैसी वैसी। उ०-(क) जनु भादौ निसि दामिनी दीसी। चमकि नठी तसि भीनि बतीसी। वस्मात्-प्रव्य० [सं०] इसलिये। —जायसी पं. (गुप्त), पृ० १६१ (स) तसि मति फिरी तस्य----सर्व० [म.] उसका। प्रहर बसि नादी। रहसी चैरि घात पनु फावी।-मानस, तस्लीम-सा स्त्री॰ [म.] १ सलाम करना। प्रणाम करना । २. २।१७। स्वीकार करना। कवूल करना। ३. सौपना। सिपुर्द करना। तसिल्वार-संघ [हिं०] दे॰ 'तहसीलदार'। 30-बड़ी वटी ४ माज्ञा का पालन करना । [को०) । मूली पठवायो तसिल्दार तय ।-प्रेमघन॰, भाग २, पृ०४१६तस्वीर-सी स्त्री० [४०] १ चिया प्रतिकृति । २ चित्र बनाना। मूर्ति पनाना। ३ पहुत ही सुंदर शुक्ल । वसी-सा स्त्री० [देश॰] तीन बार जीता इमा सेठ। प्रतिमा। मुति । वतीन-संगा स्नी [अ० तहसील १. तहसील । २. वसूली । प्राप्ति । यो०---तस्वीरकणी-चित्रण | चित्रकर्म । तस्वीरसाना%3 (१) वसीलना-क्रि० स० म० तहसील, हिं. तसील से नामिक धातु] वह स्थान जो चित्रो के लिये हो या जहाँ चित्र बनाए पए बसूच करना, पाना। उ०-वक तसोजत फिती, महाजन हो। चित्रशाला। (२) वह स्थान जहाँ बहुत सी मुंघर मितों कोइ अव !-प्रमधन, माग १, पृ०५४॥ स्त्रिया हो । परीखाना । तस्वीरे मक्सी छायाचित्र । फोटो।