पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३९६

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तस्सवीर २०४२ तस्वीरे खयाली=चित्त या खयाल मे पाई हुई प्राकृति। क्रि० प्र०-उड़ता। काल्पनिक चित्र। तस्वीरे पिली-मिट्टी की मूर्ति । तहकीक-सका श्री० [अ० तहकीक] १. सत्य । यथार्थता । २. सचाई तस्वीरे नीम रुख-एक तरफ से लिखा हा चित्र जिसमें की जांच। यथार्थ घात का अन्वेषण। खोज। मनुसधान । मुख का एक ही रुस पाए । २ जिज्ञासा । पूछताछ तस्सबीर -सस बी० म० तस्वीह दे० 'तसबीह । उ०-धे क्रि० प्र०—करना ।-होना । पाहि गोरीही तस्सधीर । पराज चौहान न्योते सरीर। तहकीकात-साडी.[4. तहकीकात, सहकीक का वह व.] -पु. रा०, २१११८ । किसी विषय या घटना की ठीक ठीक बातों को खोज। मनु- सस्सू-सक पुं० [हिं०] दे॰ 'तसु'। संधान । अन्वेषण । जाँच । जैसे, फिसी मामले की तहकीकात, तह। क्रि० वि० [हिं०] दे० 'तहो । किसी इल्म फी रहकीकात । यौ0-तह तह - वहाँ वहाँ। उस उस स्थान पर। १०-जह मुहा०-तहकीकात माना-किसी घटना या मामले के सबध में जह प्रावत को बराती । तहँ तह सिद्ध पला बहु भाती।- पुलिस के अफसर का पता लगाने के लिये पाना । - मानस, ११३३३1 तहखाना-सका पु.का. तहखानह ] वह कोठरी या घर जो सहवाँ -कि० वि० [हिं०] दे. 'तही। जमीन नाचे मना हो । मुरहरा। तलगृह । तह-शा स्त्री० [फा०] 1 किसी वस्तु की मोटाई का फैलाव बो विशेष-ऐसे घरों या कोठरियों में लोग धूप की गरमी से बचने किसी दूसरी वस्तु के ऊपर हो। परत । जैसे, कपड़े की नह, के लिये जा रहते या धन रखते हैं। मलाई को तह, मिट्टी की तह, घट्टान की तप । उ०-(क) इसपर पमी मिट्टी की कई तहें चढ़ेगी (शब्द॰) । (ख) तहजद-वि० [फा० तहबर्द] दे० 'तहपरज' [को०] । इस कप को पार पांच तहों में लपेटकर रख दो (शब्द०)। तहजीब-सहा स्त्री० [अ० तहजीय ] शिष्ट व्यवहार। शिष्टता। हि०प्र०-पढ़ना !-पढ़ाना ।-जमना।-अमाना !-लगाना । सभ्यता। यौ०-तहदार- जिसमें कई परत हो तह बह- ए नीचे तहदरज-वि० [फा० तहवजं] ( कपड़ा मादि ) जिसकी तह तक एक। परत पर परत। न खोली गई हो। बिलकुल नया। ज्यों का त्यों नया रखा मुहा०-तह करना = किसी फैली हुई ( चद्दर प्रादि के पाकार हुमा। की) वस्तु के भागों को कई पोर से मोर और एक दुसरे तहनी -वि० [फा०] तरल पदार्थ मे नीचे बैठनेवाली (वस्तु) । पर फैलाकर उस वस्तु को समेटचा। चीपरत करना। तहनिशाँ-पंचा० [फा०] लोहे पर सोने चांदी की पच्चीकारी। तह कर रखो खिप रहो। मत निकालो या दो। नहीं 1 तहपेच-सा पु० [फा०] पपडी के नीचे का कपडा। - चाहिए। वह जमाना या बैठाना=(१) परत के ऊपर परत तहपोशी-सहा भी [फा०] साडी के नीचे पहनने का पाजामा [को०] पबाना । (२) भोजर पर भोजन किए जाना । तह तोडना- " - (१) झगड़ा विवटाना। समाप्ति को पहुंचाना। कुछ बाकी तहबद-सा पुं० [फा०] लु पी को। न रखना। निबटवा। (२)कएका सर पानी निकाल देना तहबाजारी--सबा वी० [फा. तहबाजारी ] वह महसूल जो सट्टी जिससे जमीन दिखाई देने लगे। (किसी चीज को) वह देना = में सौदा वेचनेवालों से जमीदार लेता है। झरी । (१) इसकी परत चढ़ावा। थोडी मोटाई में फैलाना या तहमत-सा पुं० [ फा. तहबद या तहमद ] कमर में लपेटा हुमा बिछाना। (२) हुलका रप चढ़ाना । (३) पतरे वनाने मे कपडा । अपोछा । लु गी। अंपला। जमीन देना। पापार देना । जैसे,-चंदन की तह देना। क्रि० प्र०-बांधना-लयाना। सह मिलाना = जोड़ा लगाना । नर मोर मादा एक साथ करना । वह लगाना - चौपरत कर समेटना। ५ तहम्मुल-सका पं० [अ०] । सहिष्णुता । सहनशीलता । २ गभी- २ किसी वस्तु के नीचे का विस्तार । तल । पेंदा । जैसे, इस । . रता। सजीदगी । ३ धैर्य । सन्न । ४ नम्रता । नर्मी (को०] । मिलास में पुषी दवा तह में जाकर जम गई है। तहरा सफा पुं० [हिं॰] दे० 'सतहडा'। मुहा०-तफा सच्चा = वह कबूतर जोपराबर प्रपने छत्ते पर तहरी-सबा बी० [देश॰] १. पेठे को परी.और चावल की खिचड़ी। चला पाये, पपना स्थान व मुले । सहकी बात छिपी हुई । २ मटर को खिचष्टी । ३. कालीन बुननेवालों की दरको । 'पात 1 गुप्त रहस्य । गहरी बात। (किसी बात की तह तहरीर-धका बी० [म.] 1 लिखावठ । लेखु । २. लेखसी । - को पहुँचना= दे० 'तह तक पहुंचना'। (किसी वात को) सह उमको तहरीर पड़ी जबरदस्त होती है। लिसी हुई बात। तक पहुंचना = किसी पात में गुप्त मभिप्राय का पता पाना । लिखा हुमा मजमून । ४ लिखा हमा प्रमाणपत्र । लेखबद यथार्थ रहस्य जान लेना । असली बात समझ जाना। प्रमाण । ५ लिखने की उजरत । लिखाई। लिखने का मिहन- ३. पानी। नीचे की जमीन । तप्त ।पा। ४. महीन पटल । ताना । जैसे,—इसमें १) तहरीर लगेगी। ६. गेस की कच्ची वरका झिल्ली। छपाईको कपड़ों पर होती है। कटर की स्टाई। (छीपी)। ...- -- -- -