पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/३९७

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तहरीरी २०४३ तांडवित, तहरीरी-वि० [फा०] लिखा हुपा। लिखित । लेखबद्ध । जैसे, तह- या महसूल वसूल करने का काम । मालगुजारी बसून करने का. रोरी सबूत, तहरीरी बयान । काम । तहसीलदार का काम । २ तहसीलदार का पद । तहलका-सम पुं० [५० तहलकह] १. मौत । मृत्यु । २. वरवादी। क्रि० प्र०—करना । ३ खलबली । धूम । इलपक्ष। विप्लव । तहसीलना-क्रि० स० [अ० महसील से नामिक घातु ] उमाहना । क्रि० प्र०-परना ।—मचा । वसूल करपा ( कर, समान, मालगुजारी, रमा पावि)। ४ कोलाहल | कोहराम (को०)। . वहाँ-क्रि० वि० [• दत्+स्थान, प्रा. थाण, पान ] वहाँ। तहलील-स० बी० [म. तह सीस ] १. पचना । हजम होना। उस स्थान पर। उ०--तहां बार देखी बन सोभा ।- २ घुलना । मिलना (को०)। उ०-डो खाना सहनील करने तुलसी (बन्द०)। पौर हरारत मिटाने को लेटे।-प्रेमघन॰, भाग २, पृ० १५९ विशेष लेख में पर इसका प्रयोग उठ गया है, केवल बहा का यो०-तहां बहवा । तहाँ ऐसे दो एक वाक्यो में रह गया है। तयाँ-पम्य० [हिं० तह+वा (प्रत्य॰)] वहाँ । उ.--(5) वधु वहाना-फि० स० [फा० तह से नामिफ पातु ] ug करता। घरी समेत पए प्रभु तहवा -मानस, ३ | २४ । (ब) पापस करना । लपेटना । नपर धरम पस्थानू । तदवा यह कवि कीन्ह बच्चा बायसी संयो० कि०-खना ।-देना। ग्र.(गुप्त), पृ० १३४। तहिया-फि० वि० [हिं० ] तप। उस समय । उ०-मुष पर तहबील-संशा सौ.[म. सहवीन] सुपुर्दगो। २ पमानत। बिस्व जितब तुम्ह जहिमा। परिहहिं विषा मनुव तनु वहिपा। धरोहर । ३ किसी मद की पामदनी का रुपया जो किसी ~मानस, १५१३६1 पास पमा हो । साना । बमा। रोकड़। ४ फिरना (को०)। तहियाँ -क्रि० वि० [सं० तदाहि] तथ। उस समय । Vo-छ ५ फिरारा (मो०) १. प्रवेश करना । दाखिल होना (को०)। चीर कछु पछिलो व जहिया। परि पिरवा प्रतिपालेसि ७ किसी ग्रह का किसी राशि में प्रवेध (को०)। तहिया। कबीर (शब्द॰) । "यौतहवीलबार । तहवीले प्राफ्तार-सूर्य का एक राशि से तहियाना-क्रि० स० [फा० तह तह लगाकर लपेटना । दुसरी राशि में प्रवेश । संक्राति । तही--कि० वि० [हिं० तह ] वहीं। उसी जगह। उसी स्थान तहवीलदार-सहा पुं० [म. तह वील+फा० पार (प्रत्य॰)] वह पादमी जिसके पास किसी मद की प्रामदनी फा रुपया जमा पर। उ०-दुखु सुखु जो लिखा लिलार हमरे पार पहे होता हो । खजानची। रोकडिया। पाउस यहीं।-मानस, १।१७। वहशिया-सदा पुं० [4. तह थियह ] किसी पुस्तक पादि पर पावं तहस-कि० वि० [सं० तवपि] तब पी। 30-~खंड ब्रह्मड सखा , मे टिप्पणी लिखना [को०] ।, पर, सहून विष्फल जाय--वीर सा०, १.७॥ तहस नहस-वि० [देश॰] विनष्ट । बरवाद । नए प्रा । ध्वस्त । तहोवाला-वि० [फा०] नीचे ऊपर । ऊपर का पीचे, नीचे का क्रि० प्र०—करना ।—होना। अपर । उस पखट । क्रममग्न । तहसीन-सा स्त्री० [म० तह सीन ] प्रशंसा । तारीफ । पलाघा । क्रि० प्र०—करना । —होना । उ०-वहा कवरदानी पोर तहसीन, इससे मेरा काम न चला। वहीं -क्रि० वि० [हि. तहां +ओं (प्रत्य॰)] वहां भी। उ.-- -प्रेम. पोर गोर्की, १०.५६ । तहों मतीपहि कहत है फवि कोरिव सब फोय ।-मति० ग्रा, तहसील-धबा श्री.[प्र.11 बहुत से प्राधमियों से रुपया पैसा पृ० ३७२। वसूल करके इकट्ठा करने की क्रिया । वसूली । उगाही । जैसे,- तांडव-समा पुं० [सं० ताण्डव ] १ पुरुषों का तस्य । पोत तहसील करना। विशेष-पुरुषों की नृत्य को मांडव पौर स्त्रियों नृत्य को बास्य क्रि० प्र०-करना-होना । कहते हैं। तारव नृत्य पिव को मत्यत प्रिय है । इसी कोई २ बरपामदनी को लगान वसूल करने से इकट्ठी हो । पमीन की तह पर्याद नबी को इस नुत्य का प्रवतंप मानते हैं। किसी सापाना पामवनी । जैसे,—इनको पचास हजार फी सहसील किसी अनुसार ताडव नामक ऋषि ने पहले पहल इसकी है। ३. बहु दफ्तर या कचहरी बहा जमीदार सरफारी शिक्षा दी, इसी से इसका नाम तास्व हुमा। मालगुजारी जमा करते हैं। तहसीलदार की कचहरी। २ वध नाच जिसमे बहुत उछल कूद हो । उक्त नुस्य । ३ शिव माल की छोटी कचहरी। का वाम।४ एक तृण फा नाम । तहसीलदार-सबा [म. तहसील+फा० - दार (प्रत्य॰)] १ तस्वितालिक-सबा पु० [सं० तारस्वतालिफ ] नंदीश्वर [को०] । कर वसूल करनेवासा । २. वह अफसर जो किसानों से सर- तांडवप्रिय-सहा पु० [सं० ताण्डवप्रिय ] पार [को०] । कारी मालगुजारी वसूल करता है पीर माल के छोटे मुकदमो वांडवित-वि० [६० ताण्डवित ] १ नृत्यशीष । २ ताडव नृत्य का फैसला करता है। " गोलाई में घूमता हुमा । ३ चक्कर खाता हुमा । ४. वहसीलदारी-समा नौ [अ० तहसील +झा पार द्व हो ।