पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४०२

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तागरी २०४८ ताजमहल पूजन मादि के पीछे वर के बड़े भाई ( दुलहिन के जेठ ) का शूद्र वर्ण: कर्कट, वृश्चिक और मीन का कफ स्वभाव और वधू को तागपाट पहनाना । प्राह्मण वर्ण। इस नप मे जो सशाएँ भाई हैं, वे भधिकांश तागरी-सक्षा श्री० [हिं. तागडी ] दे तागडी'-२। उ०- अरबी और फारसी की है, जैसे, इक्कवाल योग, इतिहा योग चिरगठ फारि चटरा ले गयो तरी तागरी छूटी।-कबीर इत्यशाल योग, इशराक योग, गैरफवूल योग इत्यादि । म०, पृ०२७७ । साजकुला-सज्ञा पुं० [प० ताज+फा० कुलाह ] रत्नजटित मुकुट । तागा--सपुं० [सं० तार्फव, प्रा. ताग्गो, प०हि० तागो 1१. रूई, उ.-बादशाह बाबर लिखता है कि जिस समय सुलतान रेशम मादि का वह मंश जो तकले भादि पर बटने से लंबी महमूव राणा सांगा के हाय कैद हमा, उस समय प्रसिद्ध रेखा के रूप में निकलता है। सूत । डोरा घागा। 'ताजकुला' (रत्नजटित मुकुट ) और सोने की कमर पेटी क्रि० प्र०-डालना ।-पिरोना। उसके पास थी ।--राज. इति०, पृ०६६७ ! महाव-तागा डालना-सिलाई के द्वारा तागा फंसाना। दूर दूर ताजगी-सहा सी० [फा० ताजगी १ शुष्कता या कुम्हलाहुठ का पर सिलाई करना । तागना। अभाव । ताजापन । हरापन । २ प्रफुल्लता । स्वस्थता । २ वह कर या महसूल जो प्रति मनुष्य के हिसाब से लगे । शिथिलता या धाति का मभाष । ३ सद्य प्रस्तुत होने का विशेष-मनुष्य करधनी, जनेऊ मादि पहनते है इसी से यह भाष । नयापन। म लिया गया है। ताजदार-वि० [फा०] १ ताज के ढग का। २. ताजवाला। तागीर-सशपुं० [हि.] दे० 'तगीर'। उ०-तब देसाधिपति ने ताजदार--संज्ञा पुं० ताब पहननेवाला बापवाह । उ०-सत्ताईस उन सौ परगना तागीर करि उनको अपने पास बुलाए।-दो वंश है उनके ताजवार-कधीर म०, पृ० १३ । सौ बावन०, भा० १. पृ० २०१४, ताजन--सज्ञा पुं० [फार ताजियाना] १. कोड़ा। चाबुक । उ०- तागडदिए-सबा पुं० [अनु० ] तडतड़े शब्द | उ.-दुहु प्रोडा लाज न मावति मोर समाजन लागे पलोक के ताजन ताह।- दल गाज, वाडदि तवल पाजें रिणातूर-रघु०, रू०, केशव प्र०, पृ०७२। २ दड। सभा (को०) 11. उत्तेजना पु० २१६ ।- प्रदान करनेवाली वस्तु (को०)। ताचनाल-क्रि० स० [हिं० तचाना ] जलाना । तपाना । उ०- साजना-सका-० [हिं. ताजन ] दे० 'तागन' । उ०--तनक ताजना विस्फलिंग से जग दुख तजि तब विरह पगिन तन ताचौं 1---- लगत ही, छाद देत भुष प्रग!-प. रासो, पु० ११७ । भारतेंदु अं०, भा॰ २, पृ० ५३६ । ताजपोशी-सहा ली [फा०] राजमुकुट धारण करने या राज- ताज-सज्ञा पुं० म.] १ बादशाह की टोपी । राजमुकुट । सिंहासन पर बैठने की रीति या उत्सन । यौ०-ताजपोशी। ताजबख्शा सच्चा पुं० [प्र. ताज+फा० बरुश ] दादयाह बनाने- २ कलगी। तुर्रा । ३ मोर, मुर्गे मादि पक्षियों के सिर पर की वाला या हारे हुए बादशाह को बादशाह बनानेवाला सम्राट चोटी। पिखा। ४ वीवार की कंगनी या छज्जा। ५ वह [को०] । वर्जी बिसे मकान के सिरे पर शोमा के लिये बना देते हैं। ६ साजबीबो-सधा सी० [अ० ताज+फा० बीवी] चाहजहा को गजी फे के एक राग का नाम आगरे का ताजमहल । मत्यत प्रिय और प्रसिद्ध वेगम मुमताज महल जिसके लिये ताज२-सहा . [फा० ताजियाना] घोटे को मारने का चाबुक । मागरे में ताजमहल नाम का मकबरा बनाया गया था। ०-तीख तुखार चोड पो बाँके । सँचरहिं पोरि ताज विनु । ताजमहल-सा पुं० [.] प्रागरे का प्रसिद्ध मकबरा जिसे शाह- • हाक ।-जायसी (शब्द०)। जहाँ पावशाह ने अपनी प्रिय भेगम मुमताज महल की स्मृति ताजक–समा ई० [फा०] १ एक ईरानी जाति जो तुकिस्तान के में बनवाया था। बुखारा प्रदेश से लेकर बदस्या, काबुल, विलोचिस्तान, फारस विशेष--ऐसा कहा जाता है कि वेगम ने एक रात को स्वप्न प्रादि तक पाई जाती है। देखा कि उसका गर्भस्थ शिशु इस प्रकार रो रहा है जैसा विशेष-बुखारा में यह जाति सत, अफगानिस्तान में देहान और कभी सुना नही गया था। बेगम ने बादशाह से कहा- मेरो बिलोचिस्तान में देहवार कहलाती है। फारस में ताजक एक प्रतिम काल निकट-जान पड़ता है। आपसे मेरी प्रार्थना है साधारण शव ग्रामीण के लिये हो गया है। कि भाप मेरे मरने पर किसी दूसरी वेगम के साथ निकाहन २ ज्योतिष का एक ग्रंथ जो यावनाचार्य कृत प्रसिद्ध है। करें, मेरे सड़के को हो राजसिंहासन का अधिकारी बना-मोर विशेष-यह पहले मरवी भौर फारसी में पा, राजा समरसिंह मेरा मकबरा ऐसा बनवावें जैसा कहीं भूमाल पर न हो। नीलकठ मादि ने इसे संस्कृत में किया। इसमें बारह गणियों प्रसव के थोड़े दिन पीछे ही पेगम का शरीर छूट गया। के भनेक विभाग करके फलाफल निश्चित करने की रीतियाँ बादशाह ने वेगम की प्रतिम प्रार्थना के अनुसार जमुना के बतलाई गई है। जैसे, मेष, सिंह और धनु का पित्त स्वभाव किनारे यह विशाल पोर मनुपम भवन निमित्त कराया जिसके पौर क्षत्रिय वणं, मकर, वृष और कन्या का वायु स्वभाव जोड की इमारत संसार मे कहीं नहीं है। यह मकबरा मौर वैश्य वर्णगियुन, तुला मोर कुम का सम स्वभाव और बिल्कुल संगमरमर का है। जिसमें नाना प्रकार बहमूख्य