पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४०३

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२०४६ वाजा वाजीरो रगीन पत्थरो के टुकड़े जड़कर वेल बूटों का ऐसा सुपर काम बिरगे कागज, पन्नी सादि चिपकाकर बनाया हुमा मकबरे के वना है कि चित्र का धोखा होता है। रग विरग फूल पत्ते प्राकार का मउप जिसमे इमाम हुसेन को न बनी होती है। पच्चीकारी के द्वारा सचित हैं। पत्तियो की नसें तक विशेष-मुहर्रम के दिनों में घीया मुसलमान इसकी माराधना दिखाई गई हैं। इस मकवरे को बनाने में ३० वर्ष तक हजारों करते पौर पतिम दिन इमाम के मरने का थोक मनाते हुप मजदुर पौर देशी विदेशी कारीगर लगे रहे। मसाला, मजदूरी इसे सड़क पर निकासते पोर एक निश्चित स्थान पर ले जाकर मादि मावल की अपेक्षा कई गुनी सस्ती होने पर भी इस वफन करते हैं। इमारत में उस समय ३१७३८०२४ उपए लगे। मुहार-ताजिया ठहा होना = (१) ताजिया दफन होना । (२) टेवनियर नामक फेंच पात्री उस समय भारतवर्ष ही मे था जब किसी बड़े मादमी का मर जाना। यह इमारत बन रही पी। इस अनुपम भवन को देखते ही विशेप-ताषिया निकालने की प्रथा के वक्ष हिंदुस्तान के शीया मनुष्य मुग्ध हो जाता है। ठगों को दमन करनेवाले प्रसिद्ध मुसलमानो मे है। ऐसा प्रसिद्ध है कि मर कुछ जातियो का कर्नल स्लीमन जब ताजमहल को देखने सस्त्रीक गप, तव नाग करके जब फरवला गया था तब वहां से कुछ उनकी स्त्रो के मुह से यही निकला कि 'यदि मेरे कार भी चिह्न लाया था जिसे वह अपनी सेना के पागे मागे लेफर ऐसा ही मकबरा बने, तो में पाज़ मरने के लिये तैयार हैं। चलता था। तभी से यह प्रथा पल पड़ी। ताजा--वि० [फा० ताजह] [वि प्रोताजी ] १ जो सुखा या कुम्ह- ताजियादारी-सक्षा श्री० [हिं० ताजिया+फादारी (प्रत्य॰)] लाया न हो। हरा भरा । जैसे, ताजा फूल, ताजी पत्ती, ताजिया के प्रति समानप्ररथन । उ०-दुर्गाबाई सुन्नी मुसल- ताजी गोभी। २ ( फल मादि ) जो दाल से टूटकर तुरत मान थी। यह ताजियादारी करती पी और नाचना उनका पेशा पाया हो। जिसे पेड़ से अलग हुए बहुत देर न हुई हो। था |--कासी०, पृ. ३१०। पैसे, ताजे माम, ताजे अमरूद, ताजी फलिया। ३. जो थाठ ताजियाना-सा पुं० [ फा• ताजियान] १. चाबुक । कोहा। 10- या शिथिल न हो। जो थका मौदा न हो। जिसमें फुरती ___ हर नफस गोया उसे एक ताजियाना हो गया । -भारतेंदु पौर उत्साह बना हो । स्वस्थ । प्रफुल्लित । जैसे,-(5) घोडा प्र., भा.२,५० २५०। जलपान कर खो ताजे हो पापोगे। (ख) शरवत पी धेने से ताजी'-वि० [फा० ताजी ] परवी । परव का । भरव संबंधी। तबीयत ताजी हो गई। ताजीर-सहा पुं० १.परव का घोडा । उ०-सुदर घर ताजी बंधे यो०-मोटा ताजा- हृष्ट पुष्ट। तुरकिन को घुरसाल |--सुदर प्र०, भा॰ २, पृ. ७१७॥ ४ तुरत का बना। सद्य प्रस्तुत । वैसे, ताजी पुरी, ताजी अलेवी, २ शिकारी कुत्ता। माजी दवा, ताजा खाना। ताजो-संवा स्त्री० परव की भाषा । परयो भाषा । मुहा.-हुक्का ताजा करना = हुक्के का पानी पदलना। ताजी-वि० साजा का जी० रूप। ५.जो व्यवहार के लिये सभी निकाला गया हो। जैसे, ताजा ताजीम-सक स्त्री [4. भाजीम] फिसी बडे के सामने उसके पानी, ताजा दूध। ६ वो बहुत दिनों का न हो। नया। ताजाम जैसे-ताजा माल । पावर के लिये उठकर खड़ा हो जाना, झुककर सखाम करना इत्यादि । संमानप्रदर्थन । उ.--सिजदा "सिरजनहार को मुहा०-(किसी बात को) ताजा करना=(१) नए सिरे से मुरसिव को ताजीम ।-सुंदर ५०, मा० १, पृ० २५९। उठाना। फिर छेना या चलाना । फिर से उपस्थित करना। 1. जैसे,-दवा दवाया मगढ़ा ययौ ताजा करते हो? (२) स्मरण कि० प्र०-फरना-देना। विलाना। पाद दिलाना । फिर चित्त में लाना । जैसे,—गम ताजीमो-वि० [प्र. ताजीम + फा०६ (प्रत्य॰)] नाजीम । ताजा फरना । (किसी पात का) ताजा होना=(१) नए सिरे उ०-पौर रसुल पर करी यफीना । उन फफीर साषीमी चठना। फिर बिना या चलना। फिर उपस्थित होना। कीन्हा।-घट०, प० २।। पैसे,उन पाने से मामला फिर ताजा हो गया। (२) ताजीमी सरदार-स . [फा० ताजीमी+म.सरदार वह स्मरण माना। फिर चित्त में उपस्थित होना । जैसे, पम सरदार जिसमे माने पर राजा या बादशाह उठकर बने साषा होना। हो जाये या जिसे कुछ प्रापे बढ़कर लें। ऐसा घरवार जिसकी (M वाजातम-वि० [फा० जा+सं० तम (प्रत्य॰)] विल्कुल नवीन । दरवार में विशेष प्रतिष्ठा हो। नवीनतम । उ.-'कड़ो में कोयला' 'उग्र लिखित साजातम बाजीर-सपा खी- [पताजीर] सजादा को। उपन्यास है।-फड़ी ( प्रकाशफीय), पृ.८ । साजीराव-सा पुं० [. ताजीराव, म. तापीर फा वह व.] ताजि -वि.[हिं० तापी ] दे० 'ताजी'। 3.-भनेक पाणि अपराध पौर वड सवधी व्यवस्थामों या कानूनों का संग्रह। तेषि ताजि साजि साजि मानिमा !-फीति०, पृ.१४ उडविधि । वैसे, साधीरात हिंद। साजिणी-सशपुं० [हिं० दे० 'ताजन'। उहाथि लगामी ताजीरी-वि० [प० तापीर+फा० ई (प्रत्य॰)] १ दर ताजिणो पार कर सेवइ राजदुमार ।-वी. रासो, पृ. ६९। सषित । २ दड रूप में लगाया हुमाया तैनात किया हमा ताजिया-कपु.म.वाषियह बस को कमषियो पर रंग (कर या पुषिस मादि)।