पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४२५

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" " वालरस दालरस--संगा पं० [सं०] तार के पेड़ का मद्य । ताडी-130-ताल- ताला-मत्रा नी• Fffe] ताज़ रितही नाला तान ... रस बलराम. चाश्यो.मन भयो पानंद। गोपसुत.सन टेरि बजाये |--कोर प्र०, १० १०. " बोन्हें सुमि भई नंदनव ।-'पूर (शब्द॰) । वाला-ममा [.. [म०, ताले] भाग्य 1,3०-- मेरे ताले मेरा माया वामरेचनक--सा पुं० [•] १. नतंक । २. अभिनेता (को०) ..सो एक मार । यकायक झांककर देवे मुज नार।-दक्खिना. वाललक्षण-ममा पुं० [से०], तालध्वजी, बमराम , "पृ० २८२ । वामपन-मथा पुं० [४०] १ ताड़ के पेड़ों का जंगल । २. व्रज वाला–समा पुं० [देश॰] उरसारण । छाती का कवच । उ०-तोरत मंडल के अंतर्गत पक वन जो गोवर्धन के उत्तर जमुना के रिपु ताले भाले पाले रुधिर पनाले घालत हैं।-पाकर ...किनारे पर है। कहते हैं, यही पर बलराम ने धेनुरुवध '. ग्र०, पृ० २७ । . किया था। उ०-सखा कहन नागे हरि सौ तक। चचो ताला@f"-सपा स्त्री० [?] देरी। 3०-चाहे दुरग तक तषि तालवन को जये प्रय।-सुर (पान्द०)। . . , .. ताला:--रा० रू०, पृ० ३४४ । वालवाही-संक्ष पुं० [सं०] वह वाजा जिससे ताल दिया जाय। तालाकुंजी-मासी० [हिं० ताला+कुंत्री] १. किवाड, सदक, - जैसे, मंजीरा, झांझ पादि। . र मादि बंद करने का यत्र। . वालवृंत-संज्ञा पुं० [सं० तासन्त] १.ठास के पत्रीका पसा। उ०-- क्रि० प्र०-लगाना। ठहर परी, इस हृदय मे लगी विरह की माग । तालवत से . २ खड़को का एक सेल । , भौर भी धधक उठेगी जाग ।-साकेत, पृ.२६६। २ एक तामाख्या-सवा सौ [सं०] कपूरकचरी। प्रकार का सोम । -(सुश्रुत)। तालापचर--सपुं० [सं०] दे॰ 'तालावधर' को०] । तालवृतक-सचा पुं० [सं० तालवृन्तक] दे० 'तालवत [फा०] 1 तालाब-सदा पुं० [हि. ताल+फा० मार, भयवा से तडाग, प्रा. वालव्य-वि० [सं०] १ तालु संवधी। २. तालु से उच्चारण किया । तलाम, तलाव, हिं• तालाब जलाशय । सरोवर । पोखरा । बानेवाला वर्ण। तालावेलि-सबा स्त्री० [हिं०] व्याकुलता। तष्टपन। पीडा। विशेष- ई, च, छ, ज, झ, न, य, शये वर्ण तालव्य उ.-तालालि होत घठ भीतर, जैसे जल बिन मीन।- कहलाते हैं। कबीर श., भा०२ १०६२। " वालसंपुट-सपा पुं० [सं० तास+सम्पुटका के पत्ते की बनी तालावेलिया-संशा पुं० [हिं० तासाबेलि] सम्पने या अटपटानेवाला हुई झोपी जो फल मादि रखने काम माती है। उ.-- व्यक्ति। विरही पुरुष । ३०-जा घटा तालावेलिया, ताको हे तात, तालसंपुटक निम्ह ले लेना। बहनों को वन उपहार साचो सोषि!--कबीर सा• सं०, पृ.४०। मुझे है देना।-साकेत, पृ० २४६ । तालावेली-~-सा सी० [हिं० दे० तालावेलि', उ०--वाद तानसाँस-संक पुं० [सं० ताल +40 सांस(= गूदा)] ताडके फल के साहिब कारण, तालावेशी- मोहि।-दादु०, पृ० ३७८ । भीतर का गूदा जो खाने के काम माता है। तालावचर-सभा ० [सं०] १ नतंक १२ अभिनेता [को०] । वालस्कंध-सपा पुं० [सं० तालस्कन्ध] एक पत्र जिसका नाम तालिक-सक पुं० [सं०] १ फैली हुई हपेली।२ चपत । तमाचा । वाल्मीकि रामायण में पाया है। ३. नत्पी या तागा जिससे भिन्न भिन्न विषयों के तालपत्र तामांक-सबा पुं० [सं० तानाह] १ वह जिसका चिह्न साढ हो। या कागज बंधे हों। ४. तालपत्र या कागज का पुलिया। २.बलराम । ३ एक प्रकार का साग । ४ मारा। ५. शुष- ५ ताली। करतल को ध्वनि (को०)। ' लक्षणवान मनुष्य । ६ पुस्तक । ७. महादेव । ८ ताडपत्र को सिखने के काम माता या (०)। . . तालिका-सया को. [सं०१साली

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२. नरयो या तागा जिससे भिन्न भिन्न विषयो के तालपत्र या कागज पलग अलग चालाकुर-स० [सं० तालाकुर मैनसिल । बंधे हो। तालपत्र या कागज का पुलिंदा। ३.नीचे ऊपर ताला-स० [म० तलक] लोहै, पीतल मादि की वह फल बिसे लिखी हुई वस्तुमों का क्रम । नीचे कपर लिखे हुए नाम जिनमें पर किवाक, सदूक मादि की कुडी मे फंसा देने से किवाद । या सदूक चिना कुषी अलग अलग पोजें गिनाई गई हो । सूची । फेहरिस्त । ४. नहीं खुल सकता। कपाट, वरुड. " . - रखने का यंत्र । बदरा । कुल्फ। .. -. चपत । तमाचा । ५. ताल मूली । मुसुनी। ६, मजीठ। . क्रि० प्र०-मुलना । -खोलना। होना । —करना । दालित-सका पु गीन कप : वायू बाजा।३. -लगना। लगाना। T ' E THIS रस्सी । मोरी का 1- 2 . . . - म .' 5 ' - तालिबा-सचा पुF4.१.१दनेवाला.: तलाश करनेवाला चाहनेवाला । २ शिष्य । चेला ।, मुहा०-ताला पकड़ना = ताला लगाकर बद करना। ताला --तालिए,मतलूब को तौबना किसी दूसरे की वस्तु को पुराने या लुटने के लिये पहुंचे तोफ करे दिल मदर वीर सा०, १०.८८८ । । उसके घर, संदूक मादि मे लगे हए ताले को तोड़ना 1, वासा वानिमाइल्म-समा ५० [म. भिड़ना । ताला बंद होना । तामा भेड़ना ताला लगाना। तालिबा-सा पुं० [हि. ..तालिय र विद्यापी... "