पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४२६

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वातिम वालिया तेरा। किया दिन बीच में डेरा।-कबीर १०, कि० प्र०-देना [-पाना-लेना। मा० १, पृ० १४॥ ___तालीशपत्र- मध पुं० [सं०] १. माल या तेजपत्ते की जाति का तालिम -संश खी• [सं• तल्प ] शय्या। बिस्तर (दि.)" एक पेड़। वालिबागार--संश [हि० वाती+मारना] जहाज या नाव का विशेष-यह हिमालय पर सिंध से सतनज तक घोड़ा बहत और माला भाग जो पानी कारता है । गसही । -(नक्ष०)। उससे पूर्व सिक्किम तक बहुत अधिक होता है। पासाम में तासिरा-मथ पुं० [सं०] पहाड [को]। खसिया की पहाड़ियों से लेकर बरमा तक इस पैड पाए तालो'-संश पी. [सं.]१. लोहे को वह कोल बिससे ताला जाते हैं। इसके पत्ते एक लने डंठल के दोनों भोर सस्ते । सोना और बंद किया जाता है। कुजो । पानी । उ०-तरफ भौर तेजपत्ते से न होते हैं। रंठन में सचर की तरह पोकोर वामी बुले ताना ।-घट०, पृ० ३७०।२. ताड़ी। ताद का भाने से होते हैं। इसकी लकड़ी बहुत सरी होती है। पत्ते मद्य । ३. वानमुली । मुसतो। ४. भूपौवना । भूम्यामलको। वाजारों में तालीसपत्र के नाम से विकते हैं और दवा काम ५.मरहर। ६. तानवल्ली लता । ७. एक प्रकार का छोटा में भाते हैं। वैद्यक में तालीशपत्र मधुर, गरम, कफवातनाबक तार जो बंगाल पौर परमा में होता है। बजररटु । बढ़। तथा गुल्म, क्षय रोग और खांसी को दूर करनेवाला माना उ.-ताती तृनद्रुम केतकी सतुंरी यह पाहि ।-प्रनेकार्य, जाता है। पु०२२ । ८. एक वरणंवृत। ६. मेहराव के बीचोबीच का पर्या०-धात्रीपत्र। शुकोदर। मंपिकापत्र। तुलसीद। पत्यर या इंट। १०. दोनों फैली हुई हपेलियों को एक दूसरी प्रबंध। पत्रास्य । करिपत्र। करिव्यद । नीन । मोवर। पर मारने की किया। करतलों का परस्पर भापाता थपेड़ी। तालीपत्र। तमाह्वय । उ.-रानी नौतदेवी ठाली बनाती है। तंबू फाड़कर शस्त्र २. दो ढाई हाय ऊँचा एक पौधा जो उत्तरी भारत, बंगान वा चीच हुए कुमार सोमदेव राजपूतों के साथ प्राते हैं 1-भारतेंदु ___ समुद्र के किनारे के देशों में होता है। पं., मा० १.०५४६ । विशेष-यह भूमावला की जाति का है। इसकी सूखी पत्तियाँ क्रि०प्र.-पीटना ।-बजाना। भी दवा के काम में भाती हैं। इसे पनिया ग्रामला भी कहते मुहा०-तातो पीटना या बजाना-हंसी उमाना। उपहास हैं। इसका पौधा मुमावद से बड़ा और चिसविल से मिसता करना । वासी बन जाना % उपहास होना। निरादर होना। जुलता होता है। एक हाथ से ताली नहीं बबी- बैर या प्रीति पक भोर से नहीं होती। दोनों के करने से सड़ाई झगड़ा या प्रेम का तालीशपत्री-संशा सो- [सं०] तालीशपत्र । व्यवहार होता है। तालु-संशा पुं० [सं०] [वि. तालव्य तालु। ११. दोनों हथेसियों को कैसाकर एक दूसरे पर मारने से उत्पन्न तालुकंटक-संगापुं० [सं० तालुकएटक ] एक रोम वो बच्चों के तान तालुकटक-सा पु० [सं० तालुकएटक ] एक रोम बन्द । करतनवनि । १२. नृत्य का एक भेद । में होता है। विशेष-मृदंपो दडिका वाली कहती श्रुत धुपरी। नृत्य गीत विशेष-इसमे तालु में कांटे से पड़ जाते हैं और तालु धस प्ररंप प मांगो नृत्य उच्यते !-पृ० रा०,२५॥ १२ ॥ जाता है। इसके कारण बच्चा स्तन बड़ी कठिनाई से पीवा वाली'-संवा सी० [सं० तास(=जलासय)] छोटा तान। तलेया। है। पर यह रोग होता है, तब बच्चे को परते दस्त भी गही। उ०-फरह किकोदव चाचि सुसाली। मुकता प्रसव भाते हैं। कि संयुक ताली।-तुलसी (शब्द०)। चालुक-संश [सं०] १. तालु। २. तानुका एक रोग [को॰] । वासी-संशा सौ. [देश॰] पैर को बिचलो उँगती का पोर या चालुका-संच बौ• [सं०] तातु की नाड़ी। उपरी भाग। तालुका-संघ [म. उमल्लुकह] दे० 'तमस्तुका । नानी-संशबीEि .] समापि वारी। ०-(क) मुले सुषि तालज-वि० [सं०] तालु से उत्पन्न [को-], बुधिज्ञान ध्यान सों बागी ताली।-वज.., पु. १५॥ तालुजिह-नश पुं० [सं०] घड़ियाच । () जुन पानि नाभि वाली लगाय । रमि प्रिष्टि द्रष्टि पिरि मंत्र राया-पु. रा०,११४०९। तालपाक-संश[सं०] एक रोग जिसमें परमी से धातु पक जागा है मोर उसमें घाव सा हो जाता है। वालों-सं० [सं० तानिन् ] सिन (०)। वानीका- [प. तमनीका.मात असवान को जन्ती। चालपुण्मुट-संच पुं० [सं०] तानुपाक रोग। मकान की कुर्की। २. कुलं किए हुए मसवान को फिहरिस्ता तालुशोष-संशपुं० [सं०] एक रोग जिसमें तालु सूख जाता है ३. परिशिष्ट (को०)। और उसमें फटकर घाव से हो जाते हैं। वाढीपत्र-संच पु. [सं०] तानी पत्र। ताल-बंश पुं० [सं० तालु] १. मुह के भीतर की ऊपरी छ वालीम--- [.] शिक्षा प्रभ्यासा उपदेश । पैसे:- जो ऊपरवाले दांतों की पंक्ति से लेकर छोटो बीम मा कोले की वालीम अच्छी नहीं हुई है। होती है।