पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४७३

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चुलसीपत्र खुलापरीक्षा तुमसीपत्र- पुं० [सं०] तुलसी की पत्ती। तलाकूट-सबा [सं०] १ तोल में कसर । २ तौल मे कसर वासोपास-सबा पुं० [हिं० तुलसी+ बास (= महक)] एक प्रकार करनेवाला । सभी मारनेवाला मनुष्य । का महीन धान जो अगहन में तैयार होता है। तुलाकोटि-सभा सी० [सं०] १ तराजू की उटी के दोनो छोर जिनमें पड़े की रस्सी वैषी रहती है। २ एक तोल का विशेष-इसका चावल बहुत सुगधित होता है पौर कई साल नाम । ३. मधुंद संख्या । ४ सूपुर । ५. स्तभ का सिरा या तक रह सकता है। छोर (को०)। तुलसीवन-सा ० १९०१ तुलसी के वृक्षों का समूह । तुलसी तुलाकोटी-सक्षा स्त्री० [सं० ] दे॰ तुलाकोटि' [को०)। का जगल । २ श्रृंदावन । दुलाकोश-सा ई० [सं०] १ तुसापरीक्षा । २ तराज़ रखने का तुलसी विवाह-सबा पुं० [सं०] विष्णु की मूर्ति के साथ तुलसी के स्थान (को०)। विवाह करने का एक उत्सव । तुलाकोष-सज्ञा पुं॰ [सं० ] दे० 'तुम्माकोश' । विशेष-हिंदू परिवारो की धार्मिक महिलाएं कार्तिक मास तुलादंड-सहा [ तुलावर] तराजू की छोड़ी पा उही हो के शुक्ल पक्ष में मीठमपंचक एकादशी से पुणिमा तक तलादान-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का दान जिसमें फिसी मनुष्य यह उत्सव मनाती हैं। को सौस परापर द्रव्य या पदार्थ का दान होता पर तुलसी वृदावन-सज्ञा पुं॰ [सं०] तुलसीचौरा [को०] 1 सोबह महावानों में से है। तीयों में इस प्रकार का दान प्रापा तुलह-सज्ञा स्त्री० [सं० तुला+हिछ (स्वा०प्रत्य०) ] सूखा। राषा महाराजा करते हैं। तराजू । उ०-तुलहन तोली गवह न मापी, पहजन सर तुलाधर-संज्ञा पुं० [सं०] १ तराजू की सही। २ तरा का पढ़ाई:- कबीर ग्रं॰, पृ० १५३ । पलडा [को॰] । तुला-संज्ञा स्त्री० [सं०1१. साहय । तुलना। मिला।२ तुलाधर-सज्ञा पुं० [सं०] १ व्यापारी ! सौदागर।२तुला राशि गुरुत्व नापने का यत्र । तराजू । कांटा ! ३. सूर्य [को०] 1 यो०-तुसादड। तलाधार-पशा पुं० [सं०] १ तुक्षा राधि । २ तराजू की रस्सी जिसमें पल पंधे रहते हैं। पिनियाँ। पणिक । ४. कापी ३ मान । तौल । ४ भनाब प्रावि नापने का परवन। भार। का रहनेवाला एक परिण घिसने महर्षि पालि को उपदेश ५ प्राचीन काल की एक तोल जो १०० पल या पांच सेर के दिया पा1-( महाभारत)। ५. काशीनिवासी एक व्याप लगभग होती थी। ६ ज्योतिष की बारह राशियों में से जो सदा माता पिता की सेवा में तत्पर रहता था। सातवी राशि विशेष-कृतघोष नामक एक व्यक्ति बप इसके सामने पया, तर विशेष-मोटे हिसाब से दो नक्षत्रों पर एक नक्षत्र पत्पांच इसने उसफा समस्त पूर्ववृत्तात कह सुनाया। इसपरस पर्यात सवा दो नक्षत्रों को एक राशि होती है। तुला राशि में व्यक्ति भी माता पिता की सेवा का प्रतले खिया । चित्रा नक्षत्र शेप ३. दड तथा स्वाती पौर विशाखा छि -(बृहदमपुराण)। माघ ४५.४५ देर होते हैं। इस राशि का प्राकार तराजू लिए तुलाधार-वि० तुषा को धारण करनेवाचा । हुए मनुष्य का सा माना जाता है। तलना--क्रि. ५० [हिं. तुलना(=ोस में परापर भाना)] ७. सत्यासस्यनिर्णय को एक परीक्षा को प्राचीन काल में प्रचलित मा पहुँचना । समीप पाना। निकट माना। उ.-(क) थी । वादी प्रतिवादो मादि की एक दिव्य परीक्षा । वि० ३० समुद चोक घन पड़ी विवाना । जो दिन भर सो पार "तुलापरीक्षा'। वासा विद्या में स्तभ ( स्वभे) निमागों सुखाना।-जायसी (शब्द॰) । (ख) अपनो काष पापु में से चौथा विभाग। ही पोस्यो इसको मौषु तुधानी!--सुर (पाद)। तुलाई-सश सी० [सं० तुला-मई । वह दोहरा फपड़ा जिसके तलना-क्रि० स० [हिं० तुमना ] 1. तुमवाना। तीलाना।२ मीतर रूई भरी हो।ई से भरा दोहरा कपड़ा जो पोढ़ने के बराबर होचा। पूरा उतरना। ३. पाली पहियों को काम में माता है। दुलाई उ.-सपन वेज वपता तपन तुल पौंगामा। गाडी पहियों की पुरी में चिकना विषारा। तुलाई माह । सिसिर सीत क्योंहूँ न घटं बिन लपटे तियनाह। तनापरीक्षा-घंज्ञा स्त्री० [सं०] पभियुक्तों की एक परीक्षा पो --बिहारी ( शन्द०)। प्राचीन काल में पग्निपरीक्षा, विषपरीक्षा मावि समान तुलाई-सका खी० [हि तलना11 तौलने का काम या भाव। प्रचलित पो। दोषी या चिोप होने की विष्य परीक्षा। २ तौलने की मजदूरी। विशेष-स्पतियों में तुलापरीक्षा का बहुत ही विस्तृत विधान दुलाई-सका श्रीहि तलाना गाडी के पहियों को मौगाने विया हुपा है। एक खुले स्थान में पक्षकाष्ठ की एड़ी या धुरी में चिकना दिलवाने की क्रिया। सी तुला (तराजु) खरी की बाती पी पीर पारी पोर