पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४८

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१६११ जाँजद जफील-सी० सज्ञा पुं० [.जफोर]१ सीटी का शव्द, विशेषतः जबरदस्ती-किस वि० बलपूर्वक दवाव डालकर । इच्छा के विरुद्ध । उस सीटी का पद जो कबूतरबाज कबूतर उडाने के समय जबरन-कि० वि० [अ० जवन् ] सात् । जबरदस्ती । बलपूर्वक । मुह में दो उँगलियों रखकर बजाते हैं। २. वह जिससे सीटी 30-एफ तरह से जबरन ही उसे गाड़ी में बैठा लिया ।- बजाई जाय । सीटी। भस्मात०, पृ०११॥ क्रि०प्र०-बजाना ।-देना। जवरा-वि० [हिं० जवर ] बलवान । बली। प्रवल । जवरदस्त । जफीलना-फि० भ० [हिं० जफीत ] सोटी बजाना । सीटी देना। जैसे --जयरा मारे रोने न दे। जव-कि• वि० [सं० यावत्, प्रा. याव, जाव ] जिस समय । जिस जवरा-सा पुं० [हिं० पचर(र) ] पौड़े मुह का एक प्रकार वक्त । 30-जयते राम च्याहि घर प्राए । नित नव मगल का कुठला या अनाज रखने का मिट्टी का घड़ा वरतन । मोद वधाए ।-तुलसी (शब्द०)। ' जबरा -सवा पुं० [प्र. जेनरा Jघोड़े और गदहे के मध्य का एक मुहा०-जब कभी जब जब । जिस किसी समय । जब कि = बहुत सुदर जगली जानवर जो मटमैले सफेद रंग का होता है जन । जब जब जब कभी। जिस जिस समय । 30-बय पौर जिसके सारे शरीर पर लबी सुदर और काली पारियाँ जम होघरम की हानी। बाढ पसुर प्रघम घभिमानी । व होती है। तर प्रभु धरि मनुज पारीरा। हरहि कृपानिधि सज्जन पीरा। विशेष-पहफषे त प्रायः तीन हाथ केंचा भौर छरहरे, पर —तुलसी (शब्द०) । षम तय = कमी कमी से,-घष तव .मभवूत पवन का होता है। इसके कान बड़े, गरदन छोटी और दे यहाँ पा माया करते हैं। षध घोता है सब प्राप । दुम गुग्छेदार होती है। यह बहस चौकन्ना, चपल, जगली पौर प्रकसर। बरापर। जैसे,-कद होता , सब तुम मार दिया तेवौइनवाला होता है और पड़ी कठिनता से पकड़ा था पाखा करते हो। जब देखो सब - सवा। सर्वदा । हमेशा । जैसे,- जाता है। यह कभी सवारी या सादने का काम नहीं देता। दक्षिण अफ्रिका के जगलों पर पहाड़ों में इसके मुह के मुत जब देखो तब तुम यहीं खड़े रहते हो। जपई-कि० वि० [हिं० जय+ही ] जिस किसी समय । उ.- पाए जाते हैं। जहाँ तक हो सकता है, यह बहुत ही पकात चबईमानि परे तहाँ मई ता सिर देहि । -मद , पू० स्थान में रहता है और मनुष्यों प्रादि की प्राइट पाफर तुरत भाग शाता है। इसका शिफार महत किया जाता है जिससे १३५॥ इसकी जाति के शीघ्र ही नष्ट हो जाने की माश का है। जबढ़ा-सा पु० [.मम्म] मुह में पोनों भोर ऊपर और नीचे जबराइल-सचा पुं० [प्र. जिग्रील ] एफ फरिश्ता या देवदूतः । की वे हट्टियां जिनमें डा जमी रहती है। फल्ला । जवरूत-सज्ञा पुं० [अ० ] प्रतिष्ठा । श्रेष्ठना । युजुर्गी (को०] । मुहा०-अबड़ा फाइना-मुह खोलना । मध फाड़ना । जवडे की जबर्दस्त-वि० [हि ] दे॰ 'जवरदस्त' । सान = गर्वयों की एक तान को उत्तम नहीं मानी जाती। यौ०-जबहातोड = जवरदस्त । बलवान । मुहतोड । जबर्दस्ती-संशा स्त्री० [हिं० ] दे० 'जवरदस्ती'। जयदी-सचा त्री[देश०1 एक प्रकार का धान जो रुहेलखड में जबल-सद्या पु०म० पर्वत । पहाड़। १०-तन दल नीर डाग. रोग विहगम रूखहो। विसन सलीमुख बाग, जरा यरक कतर पैदा होता है। जबर-वि० [फा. जबर ] १ बलवान । बली । ताकतवर । २ नवल !~याकी मं०, भा॰ २, पू० ४१॥ मजबूत । ८ । ३ ऊँचा । ऊपरी । जपह-सघा पुं० [अ० जन्छ, जिद ] गला फाटकर प्राण लेने की किया। हिंसा । १०-भोले भाले मुसलमानों को वर्गला कर जबरर-क्रि० वि० ऊपर । उपरि । जवा न कीजिए ।-प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ०६६। जबर–सधा सर्दू में ह्रस्व प्रकार का दोषक चिह्न । मुहा०-जयब करना बहुत कए देना । प्रत्यत दुख घेना। जबर।-सबा स्त्री० [हिं० जबर+ई (प्रत्य॰)] अन्याययुक्त जबहा'-सपा पुं० [हिं० बी ] जीवट । साहस । हिम्मत । वैसे,- सस्ती। पत्याचार । स्यादती। उसने बहे जबहे का काम किया । जबरजगा--वि० [हिं० जपर+मग ] दे० 'बबरदस्त'। जबहा-सा पुं० [५० अवहह ] १. दसवा नक्षत्र । मघा। २. जवरजद, जबरजर-संवा पुं० [म. जबरजद ] एक प्रकार का पन्ना मबाट । पेशानी । माथा। को पीपापन लिए हरे रंग का होता है। पुखराज । यो०-जबहासाई-माथा रमड़ना या घिसना । दैन्य प्रदर्शन । जमरजस्वा-वि० [फा० अपरदस्त ] २० 'जबरदस्त' । जवाँ-पी० [फा. जो दे० 'अचान' । उ.-जर्श सपके गाली जवरजस्ती:-सबा स्त्री० [फा. जबरदस्ती] दे० 'जबरदस्ती'। 30--- ही भसा पाक्षिक फो तुम दे दो।--भारतेंदु ग्र०, भा. २. किसी के कहने से नही छोड़ सकते जबरजस्ती जो चाहे निकाल पृ० ४२२ । दे।-रंगभूमि, भा० २, पृ० ७६४ ॥ यो०-बागोर । जाजद । जाँदराज । जादराजी । अदावा- जवरदरत-वि० [फा० जबरदस्त ] [ सहा जवरदस्ती ] १ बलयान भाषाविज्ञ । जबादानी । जयदी। बली । पाक्तिवाला ! २ दृढ़ । मजबूत । पक्का ! जबाँगीर-वि० [फा० जागीर ] जासूस। गुप्तचर । मेदिया [को०)। जबरदस्ती- सक्षा श्री० [फा० जबरदस्ती ] अत्याचार । सीनाजोरी। जयाँजद-वि० [फा. जयाजद ] जो सबकी जवान पर हो । जन- प्रवलता 1 जियादती । मन्माय । प्रसिद्ध । विख्यात [को॰] ।