पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४८०

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तसो तूल' २१२४ हैं । १. सूती कपम जो, चटकीले लाल रंग का होता है। तुलवती-सचा लो० [सं०] नील । २. गहरा लाल रग। तूलवृक्ष-संशा पुं० [ H• ] खाल्मली वृक्ष । सेमर का पेड़ । तलबु3-वि० [स. तुल्य ] तुल्य । समान । ३०-तदपि सकोच तुलशर्करा-सा स्त्री० [सं० ] कपास का बीज । चिनौला ।

समेत कवि कवि सीय सम तूल ।—तुलसी (शब्द• )। तुलसेवन-ससा पुं० [सं० ] कई से सूत कातने का काम ।

तूल-समा पुं० [ भ• ] १ लवेपन का विस्तार । लबाई । दीर्घता। तुला-सहा स्त्री० [सं०] १ कपास । २ दिप की बत्ती [को॰] । यो०-तून मर्ज - लंबाई और चौडाई। तूल तकेल = लबा तलि-सपा स्लो० [सं०] तूलिका [को०] । चौड़ा । विस्तृत। तूलिका-सा ली [सं०] १ चित्रकारो की कुची जिससे वे रग मुहा०---तूल खीचना = किसी बात या कार्य का आवश्यकता से __मरते हैं। तसवीर बनानेवालो को कलम । २.६ई की बत्ती बहुत बढाना । जैसे--(क) व्याह का काम बहुत तूल नीच (को०) । ३ रूई का गद्दा (को०)। ४ वरमा (को०)। ५ धातु रहा है। (ख) उन लोगो का झगड़ा बहुत तूल क्षीच रहा का सौचा (को०)। है । तूल देना=किसी बात को पावश्यकता से बहुत बढ़ाना । तलिनी-सपा क्षी० [सं.] १. लक्ष्मणकद । २ सेमर का पेड़। जैसे, हर एक बात को तूल देने की तुम्हारी पादत है। तूलिफला-सज्ञा सी० [सं०] सेमर का पेड़। उ.-मफसरों ने कहा मुदा के लिये बातो को तूल न दो। —फिसाना, मा० ३, पृ० १७६ । तूल पकहना = दे० 'तल- तूली-संज्ञा श्री. [ से०१ नील का वृक्ष या पौधा। २. रग सींचना'। भरने को कूची। ३ लकडी का एक प्रौजार जिसमें कुपी २ विलव । देर । तवालत (को०) । ३ ढेर (को०)। के रूप मे खडे खरे रेशे जमाए रहते हैं और जिससे जुलाहे फैलाया हमा सूत वैठाते हैं। जुलाहो की कूची। ४. दिए की तूलक-संज्ञा पुं॰ [सं०] रूई [को०। बत्ती या वाती (को०)। तलकामुक, तुलचाप, तूलधनुष-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] घुनकी [को०)। तव-सच्चा पु० [हिं०1 देतबा'। उ.--कटि केस वेस मनु तलत-पक्षा खो [ हिं० तुलना ] जहाज की रेजिंग या कटहरे की उई दूब । कट मुह परे ज्यों वेलि तूव । सुजान०, पु० २२॥ छड़ में लगी हुई एक खूटी जिसमें किसी उतारे जानेवाले भारी तुवर-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'तुवरक' । वोभ में बंधी रस्सी इसलिये अटका दी जाती है जिसमे वोम तवरक-सज्ञा पु[सं०] १.हादेव। बिना सीग का बैस । धीरे धीरे नीचे जाय, एक दम से न पिर पड़े।-(लश०)। २ विना दाढ़ी मोंछ का मनुष्य । हिजड़ा। ३ कपाय रस । तकतवोल-वि० [.] बहुत लंबा । उ.-बेगम-बड़ा तुल कसला रस। ४ भरहर । तवील किस्सा है कोई कहाँ तक बयान करें।—फिसाना, तुवरिका-सज्ञा स्त्री० [सं०] १. परहर । २. गोपीषदन । भा०३, १०७२। तूपरी-सज्ञा त्री० [सं०] दे० 'तूरिका।। तूलता-सया स्त्री॰ [सं० तुल्यता ] समता । बराबरी। तूष-सहा पुं० [सं० ] कपड़े का किनारा (को॰] । तलना-क्रि० स० [हिं० तुलना ] १ धुरी मे तेल देने के लिये तूष्णी--वि० [सं० तूष्णीम् (भव्य०) ] मोन । चुप । पहिए को निकालकर पाड़ी को फिसी लकडी, सहारे पर : सहार पर तूष्णी-सज्ञा स्त्री० मौन । खामोथी। चुप्पी। उ०वंचकता, ठहराना । २ पहिए की धुरी में तेल या चिकना देना। अपमान, पमान, मलाभ भुजंग भयानक तूष्णी। केशव तुलना-क्रि०म० [हिं० तुलना ] तुल्य होना । तुलित होना। (शब्द०)। उ.- मध्य सीस फूलय, दिनेस तेज तुलयं ।--ह. रासो, तष्णी-कि० वि० चुपचाप । बिना बोले हुए [को०] । पृ. २४। तूष्णीक-वि० [सं०] मौनावलबी। मौन साधनेवाला। तूलनालिका, तूलनालो–सच्चा स्त्री० [सं०] पूनी [को॰] । तूष्णदंड, सज्ञा पुं० [सं० तूष्णीदएर ] ऐसा दर जो गुप्त रूप से तुलपटिका, तूलपटी--सच्चा श्री० [सं०] रजाई [को०] । दिया जाय [को०] । तूलपिचु-सब पुं० [स• ] ई (को॰] । तूष्णीभाव-संज्ञा पुं० [सं०] मौनभाव । चुप्पी (को०] । तूलफजूल-सबा पुं० [अ० तूल + फुजूल ] व्यय विवदि । मनावश्यक तूष्णी युद्ध सपा [सं०] कौटिल्य कपित वह युद्ध जिसमे षड्यंत्र कझट । उ०-यदि बिना तुलफजूल फिए ही जमीन नकदी मे रो शत्रु, मुल्य व्यक्तियों को अपने पक्ष में कर हो रही है तो सोनिस्ट पार्टी में जाने की क्या जरूरत है। लिया जाय। -~~-मैला०, पृ० १५३ । तूष्णीशील-सक पुं० [सं०] चुप रहनेवाला । घुप्पा बहुत कम तूलमतूल-कि० वि० [सं० तुल्य या प्र० तूल (-लवाई)] आमने बोलनेवाला [को। ५.) सामने । बराबरी पर। 30--केत पियारे भेट देखो तुलम तुस–सचा पुं० [सं० तुष ] भूसी भूसा । उ०-जे दिन पीन रे तुल हो । भए बयस दुइ हेठ मुहमद निति सरवरि करें।- तिहूँ ते बढ़ित ते सर सुम्पत नम न तुस !-प्रकवरी, जायसी (शब्द०)। पु. ३१८ ।