पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४८६

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तेबिष्ठ २१३२ सेवा तेजिष्ठ-वि० [सं०] तेजस्वी। तेखिg--सवंसं० तेन: प्रा० तेण, तेण] १. तिससे। उस तेजी-सहा स्त्री० [फा० तेवी] १. तेज होने का भाव । तीक्ष्णता फारण से । इसलिये। इससे। उ-तेसिन राखी सासर २. तीव्रता । प्रबनता । ३. उपता प्रचन्ता। ४ शीघ्रता । मजे स मारू बाल ।-ढोला०, दु०११। जल्दी । ५. महेंगी। गरानी। मदी का पलटा । ६ सफर का तेतना-वि० [हिं० ] दे० 'तितना'। उ०-मास षट बिहार तेतने महीना या मास (को०)। निमिष हूँ न जाने रस नददास प्रभु संग रेन रय जागरी।- यौ-तेजी का चाव= सफर महीने का चांद । नद० म०, पृ० ३.१५॥ तेता-वि० ० [सं० तावत् ] [स्रो तेती ] उतना । उसी कदर। तेजेयु-सशा पुं० [सं०] रौद्राक्ष राजा के एक पुत्र का नाम जिसका उसी प्रमाण फा। उ०—(क) हरिहर विधि रविशक्ति उल्लेख महाभारत में पाया है। समेता। तुडी ते उपजत सब तेता ।-निश्पस (यम्द०)। तेजो-सा पु[सं०] तेजस् का समासगत रूप, जैसे तेजोवल, (ख) जेती स ति कृपन के तेती तू मत जोर।बत पाठ तेजोमय। ज्यों ज्यों उरण त्यो स्यो होत कठोर ।-विहारी (बन्द०)। तेजोबोज-सक पुं० [सं०] पज्जा [को०] । तेवालीस'-वि .] देवतालीस'। तेजोभंग-सका पुं० [सं० तेषोभङ्ग ] अपमान । तिरस्कार [को०। तेवालीस-मता पुं० [हिं० ] दे० 'तालीस'। तेजोभीर-सा स्त्री॰ [सं० ] छाया। परछाई (को०] । तेतिक -वि० [हिं० तेता ] उतना । तेजोमंदन-सा पुं० [सं० तेजोमण्डल] सूर्य, चंद्रमा प्रावि तेती-वि० स्लीहिं०] दे० 'नेता' उ-मितहि बुझाये का करे भाकाशीय पिंडों की पारों मोर का मडम । छटामहल । तिहि घर ती मागि।-नंद० २०, पु० १३७ । तेजोमंथ-सधा पुं० [सं० तेजोमन्ध 1 गनियारी का पेड । ततीस-वि० सज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'ते तीस। तेजोमय-वि० [सं०] १ तेज से पूर्ण। जिसमें खूब तेज हो । जिसमें तेतोg+-वि० [हिं० २० देता। बहुत भाभा, काति या ज्योति हो। उ०-तेजोमय स्वामी तेथ-प्रव्य सिं० तत्र] तहो। उ०-जेय तेय प्राणी जले लालच वह सेवक है तेजोमय ।-सुंदर०६० भा० १, पृ. ३० । ददी लाय।-बांकी प्र०, भा० ३, पु. ६.1 -वि० [सं०] तेजयुक्त । तेज से परिपूर्ण (को०) । तेन-सहा पुं० [सं०] गीत का प्रारमिक स्वर [को०] । तेजोमति-सका पुं० सूर्य [को०] । तेनु-सर्व० [सं० तत् ] उसने। उ.-घरमान नाम कायम सुपर, तेजोरूप-संज्ञा पुं० [सं०] १ ब्रह्म । २ जो अग्नि या तेज रूप हो। तेनु चरित लिष्पे सवै ।---पु. रा०, १९२३ । तेजोवत-वि० [सं०] दे० 'तेजस्वत्' (को०] ! तेम'---सहा पुं० [सं०] गोला होना । मा होना । माता [को०] 1 तेजोवती-सशी• [सं०] १ मजपिप्पली । २. चम्प । ३ माल- तेमा --प्रव्य० [हिं० ] दे० 'तिमि' । ३.-योगपंप माहे लिखे कॅगनी । तेषवल । मैं समुझाये तेम।-सुदर. न., भा० १,०४।। तेजवान् -वि० [सं० तेजोवत् ] [ स्त्री. तेजोवती ] १. तेजवाला। तेमन-सा पुं० [सं०] १. व्यंजन । पका हुमा भोजन । २ गोला २. उत्साही [को०] । करने की क्रिया (लो०) । ३.पाता । गीलापन (०)1 तेजोविंदु-संगा पुं० [सं० तेजोविन्दु ] मज्जा। सेमनो-संज्ञा श्री• [सं०] चूल्हा [को०] । तेजोवृक्ष-सा पुं० [सं०] छोटो भरणी का वृक्ष । तेमरू-सहा . [देश०] तेंदु का पक्ष । पायमूस का पेट । तेजोहत-वि .] जिसका तेज समाप्त हो गया हो को। तेयागना--क्रि० स० [हिं०] दे० 'त्यागना'। उ०-हमारे कहने । तेजोह--सभा सी० [सं०] १. तेषवल । २. चव्य । का मतलब यह है कि सब कोई भेदभाव तेयाग के, एक तेटको -क्रि- वि० [हिं० ठेवा ] दे० तेतिक'। उ०—जाको होकर के परमारप कारज में सहयोग दीजिए।-मैला०, जितनी रच्यो विधाता ताको भावै तेटको।-सु दर० प्र०, पृ० २६ । भा० २, पृ० ६३३॥ तेर -सधा पुं० [हिं० दे० 'तेरह। उ०-सय तेर परे हिंदू तेइंडिक-वि० [सं० त्रिवएड ] त्रिदंड धारण करनेवाला ।-हिंदु० सयन कोस तीन रन अप परि।-पृ० रा ६२०१॥ सम्यता, पू० २१५ । तेरज-सबा पुं० [देश०] खतियोनी का गोशवारा। तेढ़ना -क्रि० स० [ राज.] दे० 'टेरना' । उ०-पिंगल राजा तेरनाg-क्रि० स० हि० दे० 'टेरना'। उ०-पूनम तिथि मगल पाठवा, ढोला तेहन काज। ढोला०,०८१। दिनह, गृह तेरिय पाजान । मासन छडि सुमय दिय, बहु तेढोल-वि० [हि.] दे॰ 'टेढ़ा'। उ.---माजेवा तेढ़ा भी, वेढा भादर सनमान | -पु. रा०, ४॥६॥ तो विसन्न !-रा००, पृ० १३७ । तेरपनी -वि० [हिं०] दे० 'तिरपन' 1 उ०-सत्रासै तेरपन सैर सीकरी तेल-साहि.] स । ३०-हणे कुंभरोसा जोपहर श्रीहवा न बसायो ।-शिखर०, पृ० ४८ । करकुंण वेण परमाण काया।-रघु०१०, पृ. २६ । देरवा-वि० [हिं०] दे॰ 'तेरहवा' ।