पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४९६

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तोडर २१४२ पोसा तोडर -समा पुं० [हिं० तोटा] एक माभूषण का नाम । उ०- तोता-सया पुं० [फ़ा. तोदा या तुदह (= ढेर) ] डेर । मुद्रिक तोडर दए उतारी।-०, हिंदी प्रेमगाथा, पृ० १६५। समूह। २०-घर घर उनही के गुरे बदनामी के तोत। सोडवाना--क्रि० स० [हि. तोडना प्रे० रूप ] दे० 'तुझ्वाना। भाषत जे हित खेत ते नेकनाम कब होत ।-(शब्द०)। २. खेल (क्द०)। सोदा-सचा पुं० [हिं० तोहना] १ सोने चांदी भादि की लच्छेदार पौर चौड़ी जजीर या सिकही जिसका व्यवहार माभूषण की । के तोत@-सया पुं० [२] कपट । उ०पातसाह सुणता दुख पायौ एक हजुर तोत उपजायो।--रा० स०, पृ० ३०८।। तरह पहनने मे होता है। विशेष--माभूषण के रूप में बना हमा तोड़ा कई माकार और तोतई...-वि० [हिं. तोता+ई (प्रत्य॰)] मुग जैसा। तोते के। प्रकार का होता है, पोर पैरों, हार्थो या गले में पहना जाता रग का सारा पानी। है। कभी कभी सिपाही लोग अपनी पगडी के ऊपर चारों भोर तोतई-सा पुं० यह रग जो तोते के रग का सा हो । पानी रग। मी घोडा लपेट लेते हैं। तोतरंगी-सभा प्रो. [देश॰] एक प्रकार की पिडिया जो पितपित्ता २. कपए रखने की टाट भादि की थैली जिसमें १०००) को सी होती है। पाते हैं। तोतरी-वि० [हिं०] दे० 'तोतला'। विशेष-पडी थसी भी जिसमे २०००) २० पाते हैं, 'तोडा' ही तोतरा-वि० [हिं०] दे॰ 'तोतला'। कहलाती है। वोतराना-कि.म० [हिं०] दे० 'तुतलाना। 30-पूत तोवरात महा०-(किसी पागे) तोडे उलटना या गिनना- (किसी बात मातहि जदुराई। प्रतिसै सुप जाते तोहि मोहि का को) सैकडौं, हजारों रुपए देना । बहुत सा द्रव्य देया। समुझाई।-तुलसी (शब्द०)। ३. नदी का किनारा। तट । ४. वह मैदान जो नदी के प्रगम तोवरि-वि० स्त्री० [हिं० तोतराना ] दे० तोला'। 50-- पादि पर बालू, मिट्टी जमा होने के कारण बन जाता है। सरिकाई लटपट बग सेला । तोतरि बात मात सँग बोला- किन प्र०-पड़ना। घट०, पृ. ३७ । ५. पाटा। घटी। कमी । टोटा। उ०-तोलाला के लिये दूध तोतक्षा-वि० [हिं० तुतलाना] १ वह जो ततलाकर बोसता हो का तोड़ा थोडा ही है।-मान., भा०५, पृ० १०२ । अस्पष्ट बोलनेवाला। जैसे, तोतला चालक। २ जिसमे उच्चारण स्पष्ट न हो । जैसे, तोतली जवान । क्रि० प्र०-पाना ।—पउना। तोतलाना-कि०म० [हिं०] दे० 'तुतलाना'। ६ रस्सी प्रादि का टुकडा । ७ उतना नाच जितना एक बार तोतली-वि० [हिं० तोतलाना] दे॰ 'तोतला'। 30--विना हुमा में नाचा जाय । नाच का एक टुक्डा। ८ हल की यह लषी लफडी जिसके मागे जूमा लगा होता है। हरिस । मुख कज, मजु दशनावली, मरण अक्षर, फलकठ तोतली फाकली-शकु. पु. ४८ । तोड़ा-या पुं० [सं० तुएद्ध या टोटा] नारियल की जटा की वह रस्सी जिसके ऊपर सूत बुना रहता था और जिसकी सहायता तोहा--सपा पुं० [फा०] १. एक प्रसिद्ध पक्षी जिसके शरीर का रग से पुरानी चाल की तोड़दार बद्रक छोडी जाती थी। फलीता। हरा भोर चोंच का लाल होता है। कीर । सुपा। पलीता। उ०-तोडा सुलगत चढ़े रहैं घोड़ा बदूकन । विशेष--इसकी दुम छोटी होती है पौर री में दो भागे पौर भारतेंदु म०, भा० १, पृ० ५२४ । दो पीछे इस प्रकार चार उंगलियां होती है। ये पादमियों की यौ०-तोश्वार बदू-वह बदूक जो तोड़ा या फलीता दागकर वोलो की बहुत अच्छी तरह नकल करते हैं, इसलिये लोग इन्हें छोहो जाय। भाषकल इस प्रकार की बदूक का व्यवहार उठ घर में पालते हैं मोर 'राम राम' या छोटे मोटे पद सिखलाते गया है। दे० 'बंदुक'। है। ये फन या मुलायम मनाज खाते हैं। तोते को खोटो, बो सोदा-सपा पुं० [देश॰] १ मिसरी की तरह की वहत साफ की सेकड़ी जातियां होती है जिनमें से अधिकाश साहारी मौर हुई चीनी जिससे मोला बनाते हैं। कंद। २ वह लोहा जिसे कुछ मासाहारी भी होती हैं। तोते साधारण छोटी चिडियों से चकमक पर मारने से भाग निकलती है। ३ वह भैस जिसने लेकर तीन फुट तक की लंबाई के होते हैं। कुछ जातियों के प्रमो तक तीन से अधिक बार बच्चा न दिया हो। तीन बार तोतो का स्वर तो बहुत मधुर और प्रिय होता है मौर पुछ तक व्याई हुई भंस। का बहुत कटु तथा प्रप्रिय । इनमे नर पोर मादा का रग प्राय चोड़ाई-सज्ञा स्त्री० [हिं० ] दे० 'तुडाई'। एक सा ही होता है। अमेरिका पे बहुत अधिक प्रकार के तोते सोड़ाना-फि स० [हिं०] दे॰ 'तुडाना'। पाए जाते हैं । हीरामन, फातिक, भूरी, काकादमा मादि तोते को जाति के ही हैं। तीतर, मुरगे, मोर, चूनर मादि पक्षी वोदिया-सच्चा श्री [हिं०] दे॰ 'तोड़ी'। जस स्थान पर बहुत दिनो तक पाले जाते है यदि कभी सोड़ो-सपा प्रो. [२०] एक प्रकार की सरसों। लड़कर इपर उपर चले जाय तो प्राय फिर लौटकर उसी होण -सच्चा पुं० [सं० तू निवग । तरकस । स्थान पर मा जाते हैं पर साधारण तोते छूट जाने पर फिर