तोतापरम होप अपने पालनेवासे के पास प्रायः नहीं पाते। इसलिये तोतों की बहत रक्तशोधक, पौष्टिक भौर रलवर्धक समझे जाते है। बेमुरोक्ती मशहूर है। कहते हैं, इनके सेवन से शरीर का रंग खून निखरता है महा-हायों के तोते उड़ जाना बहुत घबरा जाना। सिर भोर चेहरे का रंग लाल हो जाता है। पीटा जाना । तोते की तरह प्रांखें फेरना या बदलना-बहुत तोदी-सहा सी[देश॰] एक प्रकार का स्याल (सगीत)। देमरोवत होना। ठोते की तरह पढ़ना%Dबिना समझे वूझे तोन --सक्षा ० [हिं॰] दे॰ 'तूण'। 3.-हनुमान हy संदस सु रटना ! तोता पालना-किसी दोप, दुर्व्यसन या रोग को कय्य । धरे पिटु तोन लछी वीर सध्यं ।-पृ० रा०, २।२६७। जान बूझकर बढ़ाना। किसी बुराई या बीमारी से बचने का , का तोनि -स० [हिं०] दे० 'तुण'। १०-कर वग धनुष कठि कोई प्रयत्न न करना। लसे तोनि ।-है. रासो, पृ०१२।। यो०--तोताचाम | तोताचश्मी। सोप-सहा श्री० [तु.] एक प्रकार का बहुत बम प्राय जो प्राय दो २ बदक का घोड़ा। या चार पहियों की गाड़ी पर रखा रहता है मौर जिसमें ऊपर 'वोदाचश्म-मया पु० फा.] तोते की तरह ग्रोथ फेर लेनेवाला । की मोर बंदूक की नली की तरह एक बहुत पसा नल लगा वह जो बहुत बेमुशैवत हो। रहता है। इस नस में छोटी गोलियों या मेसों प्रावि से भरे वोवाचश्मी-सन्ना मी० [का तोताचश्म + ई० ( प्रत्य-) ] वै हुए गोल या नवे गोले रखकर युद्ध के समय शत्रुपों पर मुरोक्ती । बेवफाई। चलाए जाते हैं। गोले चलाने के लिये नल के पिछले भाग में मुहा०-तोताचश्मी करना = बेमुरोक्त होना । वेवफाई करना। पारुद रखकर पलीते मादि से उसमे भाग लगा देते हैं। उ.-यकीन नहीं पाता कि प्राजाद न माएँ मौर ऐसी तोता- उ.-छुटहि तोप घनघोर सबै दूक चलावै ।-भारतेंदु ग्र०, घश्मी करें।-फिसाना०, मा०३, पृ. २८ ! मा० १, पृ० ५४०। विशेष तो छोटी, बड़ी, मैदानी, पहाड़ी और जहाजी मावि घोतापंखो-वि० [हिं० तोता+पंख+ ई (प्रत्य॰) J तोते के पक्षो भनेक प्रकार की होती है। प्राचीन काल में तो केवल मैदानी वैसे पीत वणं का। पीता। उ०-तोतापखी किरनों में और छोटी हुमा करती थी और उनको खींचने के खिये पल हिमती बांसो की टहनी। यहीं बैठ कहती थी तुमसे सब या घोडेपोते जाते थे। इसके अतिरिक्त घोडो, ऊंटों या कहना अनकहनी।-ठा०, पृ. २० । हायियों पादि पर रखकर चलाने योग्य तो पलग हमा दोती---सका सी० [फा० तोता] १ तोते की मादा। ३०-वोलहि करती थीं जिनके नीचे पहिए नही होते थे। पाजकस पावास्य सुक सारिक पिक तोती। हरिहर चातक पोत कपोती।-नंद. देशों में बहुत बड़ी पड़ी पहाजी, मैदानी और किसे तोड़नेवाली ग्र०, पृ. ११६। २. रखी हुई थी। उपपरनी। रसुनी। तो बनती है जिसमें से किसी किसी तोप का गोजा ०५-७५ सुरेतिन । ( क्व०)। मील तक बाता है। इसके अतिरिक्त माइसिक्रिमों, मोटरों . तोत्र--संज्ञा पुं० [सं०] वह बड़ी या चाबुक भादि जिसकी सहायता पौर हवाई जहाजों मादि पर से चलाने के लिये अलग प्रकार से बानवर हो जाते हैं। की तो होती हैं। जिनका मुह ऊपर की पोर होता है, तोत्रवेत्र-संज्ञा पुं० [सं०] विषणु के हाय का दर। उनसे हवाई जहाजों पर गोले छोड़े जाते है। तोपों का प्रयोग सोथी-मध्य [ हि वही । उ.-लाहो लेता जनम गौ तुम पशु की सेना नष्ट करने पर फिले या मोरचेववी बोड़ने के लिये होता है। राजकुल में किसी के जन्म के समय पपवा करे तिसी तोथो होई ।-बी० रासो, पृ० ४४ । इसी प्रकार की पौर किसी महत्वपूर्ण घटना के समय तोपों ताद'-संज्ञा पुं० [सं०१ पीड़ा। ध्यथा। उ-मानंदघन रस में खाली बारूद भरकर केवल धन्द करते हैं। बरसि बहायो जनम जनम को चोद !-घनानंद, १० ४८६ । क्रि० प्र०-बलना।-चलाना।-धूटना।-छोड़ना।-दगना। २. सूर्य (को०) । ३ पलाना । होकना (को०)। -दागना । -भरना ।-मारना 1-सर करना। चोद-वि० पीड़ा पहुंचानेवाला । कष्टदायक ! यौ० तोपची । तोपखाना । वादन-समा पुं० [म1१.तोत्र । चाबुक, कोड़ा, चमोटी मादि। महा०-तोप कीलना- तोप की नाली में लकड़ी का कूदा खब २ व्यथा। पीड़ा । ३ एक प्रकार का फलदार पेड़ जिसके कसकर ठोंक देना जिससे उसमें से गोला न चलाया जा सके। पल को वैद्यक में कसला, मीठा, सुखा तथा कफ मोर वायु [प्राचीन काल में मौका पाकर शत्रु को तो भयवा भागने में नाशक माना है। समय स्वय अपनी ही तो इस प्रकार कील दी जाती थी। दादरी--सद्या स्त्री.[फा०] फारस में होनेवाला एक प्रकार का तोप की सलामी उतारना=किसी प्रसिद्ध पुरुष पागमन पर बका कॅटोला पेड़ जिसमें पतले छिलकेदाले फूल लगते हैं। पयवा किसी महत्वपूर्ण घटना के समय बिना गोले के केवल विशेष-~इसके बीज भटफ्टया के बीजो की तरह चपटे पर बारूद भरकर शब्द करना। तोप के मुह पर छोड़ना= उससे कुछ रहे होते है और प्रौपव के काम में माने के कारण दिलकुल निराश्रित छोड़ देना । खतरे के स्थान पर छोड़ना । भारत के बाजारों में पाकर विकते हैं। ये बीज तीन प्रकार उ०-फिर तुम उस वैचारी को प्रकेली तोप के मुह पर धोर होते-साल, सफेद पोर पीसे। तीनो प्रकार बीष माए हो। रति०, पृ. ४! तोप के मुंह पर रखकर