पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/४९८

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सोपखाना २१४४ वोय' उड़ाना = बहुत कठिन दड या प्राणदड देना। तोप के मुहरे पर तोबा-सहा औ० [प० तौवह] अपने किए पापो या दुष्कृत्यों मादि उड़ा देना = दे० 'तोप के मुह पर रखकर उड़ाना' 18.- का स्मरण करफे पपचाजाप करने मोर भविष्य में पैसा पाप ऐसी बद पौरतो को तोप के मुहरे पर उहा दे बस ।-सैर या दुष्कृत्य न करने की हद प्रतिज्ञा । किसी कार्य को विशेषत फु० पु. १८ । वोप दम करना-दे० 'तोप के मुंह पर अनुचित कार्य को भविष्य में न करने की शपथपूर्वक र रखकर उडाना'। किसी पर या किसी के सामने तोप प्रतिज्ञा। उ०--लखे जग लोक दुखदाई ना तोवा हाय लगाना = किसी वस्तु को उड़ाने के लिये तोप का मुह उसकी हाई 1~-सत तुरसी०, पृ० ४४। मोर करना। विशेप-इस शब्द का व्यवहार कभी कभी किसी व्यक्ति या पदार्थ तोपखाना-सक्षा पुं० [फा० तोप+खानह] १ वह स्थान जहाँ तो के प्रति पणा प्रकट करने के समय भी होता है। और उनका कुल सामान रहता हो। २ गोलो और सामान मुहा०-तोया तिल्ला करना या मचाना = रोते, चिल्लाते या की गाड़ियों प्रादि के सहित युद्ध के लिये सुसज्जित चार से दीनता दिखलाते हुए तोवा करना । तोवर तोदना प्रतिज्ञा माठ तोपों तक का समूह । भग करना। जिस काम से तोत्रा कर चुके हो, उसे फिर तोपची-सहा पु० [फा० तोपची (प्रत्य॰)] तोप चलानेवाला। करना । तोबा करके (कोई वात) कहना मभिमान योह- वह जो तोप मे गोला भरकर चलाता हो । गोलदाज । कर प्रथवा ईश्वर से डरकर (कोई बात) कहना । तोवा तोपचीनी-भक्षा ली [हिं०] दे० 'चोचीनी'। बुलवाना = किसी को इतना तंग या विश करना कि उसे तोपड़ा-सहा पुं० [देश॰] १ एक प्रकार का कबूतर । २ एक प्रकार तोवा करनी पड़े। पूर्ण रूप से परास्त करना । पी बुलवाना। की मक्खी । तोम- समा पु० [सं० स्तोम समूह । र । न०-(क) जातुधान दावन तोपना-क्रि० स० [देश ] नीचे दवाना । ढाकना । छिपाना। परावन को दुर्ग भयो महामीन वास तिमि तोमनि को पल तोपवाना -क्रि० स० [हि. तोपना प्रे० रूप] तोपने का काम दूसरे भो।--तुलसी (शब्द॰) । (ख) दिनकर के उदय तोम तिमिर से कराना । ढंकवाना । छिपवाना । फटत ।-तुलसी (शब्द॰) । (ग) चहुँ पो ते महा तर तोपा-सज्ञा पुं० [हिं० तुरपना] एक टाँके मे की हुई सिनाई। चिजुरी तम तोम मे भातु तमासे करे।-किशोर (शब्द॰) । मुहा०-तोपा भरना- टीके लगाना। सोना । सीधी सिलाई तोमड़ी-सा सौ• [हिं०] दे 'तूमडी'। ___ करना। तोमर-ससा पुं० [म.] १. भाले की तरह एक - प्रकार का मस्त्र तोपाई -सज्ञा स्त्री० [हिं० तोपना] १ तोपने की क्रिया या भाव । जिसका व्यवहार प्राचीन काल मे होता था। इसमें लकडी २ तोपने की मजदूरी। के डडे में पागे की मार लोहे का बरफल लगा रहता था। तोपाना-क्रि० स० [हिं०] ३० 'तोपनाना' । पाला। छापल ।२ बारह मात्रामो का एक पद जिसके भव मे एक गुरु मौर एक लघु होता है। ले, तव चले वान तोपास-सा पुं० [देश॰] झाड़ देनेवाला । झाडू बरदार । कराल । फुकरत जनु बहु ग्याल । कोप्पो समर थीराम । तोपी-समा सी० [हिं०] दे० 'टोपी'। चले विशिख निसित निकाम |-तुलसी (शब्द०) ।३ एक तोफ -सधा पुं० [फा० तुफ (अन्य ) दुख । पश्चात्ताप । देपा का नाम जिसका उल्लेख कई पुराणो मे है। ४. इस अफसोस । उ०-तालिव मतलूब को पहुंचे तोफ करे दिल देपा का निवासी। ५ राजपूत क्षत्रियो का एक प्राचीन अदर ।-कबीर सा०, पृ. ८८८ । राजवच जिसका राज्य दिल्ली मे माठवी से बारहवी शताब्दी तोफगी-मघाली. [फा० तोहफा] तोफा या उम्दा होने का भाव । तक था। खूबी । अच्छापन। विशेप-प्रसिद्ध राजा अनगपाल (पृथ्वीराज के नाना) इसी वो -सहा त्री० [हिं०] दे॰ 'तोप' । उ.-दगे तोफा वहे गोला वस फे थे। पीछे से तोमरो ने कन्नौज को पपना राजनगर रोहला मोरथा दोला।-बाँकी न०, भा० ३, पृ० १२७ ॥ बनाया था। कन्नौज में इस वरा के प्रसिद्ध राजा जयपाल तोफा-नि० म० तोहफा बढ़िया । हुए थे। माजकल इस वश के पहुत ही कम क्षत्रिय पाए सोका-सहा पुं० दे० 'तोहफा'। जाते हैं। तोफान -सक्षा पु० [हिं०] दे० 'तूफान'। 30-साहिव वह कहाँ वोमरग्रह-सम्रा पुं० [सं०] तोमरपारी सेनिक को०)। है कहाँ फिर नहीं है, हिंदू और तुरुक तोफान करता-स. तोमरधर-सशा पुं० [सं०] १ सोमराह' । २ मग्नि [को०] । दरिया, पृ०२७। तोमरिका-सया स्त्री० [सं०] दे० 'तुचरिका'। वोवडा-सा पुं० [फा० तोवरा या तुबरा] चमडे या टाट मादि का तोमरी -मद्या श्री. [हिं०] १. दे० 'तुमड़ी'। २ फडमा कद । चह थैला जिसमे दाना भरकर घोडे के खाने के लिये उसके तोमा-सधा पुं०11 दे वा ' । उ.--मेहर का जामा मौर मुह पर बांध देते हैं। तोमा भी मेहर का। मेहर का मापा इस दिल को पिलाइए। क्रि० प्र०-चढ़ाना। -मनुक०, पु० ३१ । मुद्दा०-तोपड़ा चढ़ाना = बोलने से रोकना । मुह वद करना। तोय'-सा पुं० [सं०] १ जल । पानी । पूर्वापाड़ा नक्षत्र ।