पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५०

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जबानो १६६३ जबानी-वि० [हिं० जमान] जो केवल जवान से कहा जाय, पर जबीया-कि० वि०म० जधीयह ] जबरदस्ती मे। कार्य अथवा मोर किसी रूप में परिणत न किया जाय। जन्त्रीयार-समा. वह जो ईश्वरेच्छा या निति का मा मौखिक । जैसे, जवानी जमाखर्च, जवानी सदेसा। मानता हो [को०)। जबाव--सबा पुं० [५० जवाव ] ३० 'जवाव' जन्नील-सहा पुं० [अ० दे० जिबीन। यौ०-जवाबदेह = उत्तरदाता । जिम्मेदार । 30-इस मूतन जव्ह-सपा . [म. जव्ह ] दे० 'जबद। कविता भादोलन के साथ मैं आज अपनी रचनामों के लिये क्रि०प्र०-करना |--होना। मालोचक के सामने पहले से कही अधिक जवाबदेह हूँ। जभन सभा पुं० [सं० यमन ] मैयुन । स्त्री-प्रसंग। -वदन.पू. २१ । जम -सष्ठा पुं० [सं० यम ] दे० 'यम'11०-दरसन हो ते लागे जयारा-समा पु० [4. जवार ] दे० 'जवार'। उ.-जयार में __ जम मुख मसी है। -भारतेंदु ग्रंक, भा० १, पृ० १८१ ॥ ही हाई स्कूल खुल गया था ।-नई०, पृ०८। यौ०-जम अनुजा- यमुना। धमकातर | जमघट । जमघर । जवाला-शा स्त्री० [सं०] सत्यकाम जाबाल प्रापि की माता का जमदिसा। जमपुर । नाम जो एक दासी थी। इसको कपा छादोग्य उपनिषद् में है। जमई..[फा०जो जमा होमगदी। जमा संबंधी। विशेष-२० 'जापाल। विशेष--यह शब्द उस भूमि के लिये पाता है जिसका लगान जधुर-वि० [अ० जन] बुरा। खराय। पनुचित । नगद लिया जाता है। जैसे, जमई सेत । पयवा इसका जवून--वि० [ तु० जवून ] बुरा। खराव। निकम्मा । निकृष्ट । व्यवहार उस लगान के लिये होता है जो जिस के रूप में १०-करत है राम जवून भला, हम वपुरा कौन सवारे।-- नहीं बल्कि नगद हो । जैसे, जमई लगान, समई वदोवस्त। जग० १०, पृ. ११४ । जसक' --सधा पुं० [सं० यमक ] दे० 'यम'। जबूर-समापुं० [म. नायूर ] वह पासमानी फिताब जो हजरत जमक-तमा पुं० [हिं० चमकj दे० 'समक'। दाऊद पर उतरी थी। एक मुसलमानी धर्मग्रंथ । 10-जैसे जमकना-क्रि० स० [हिं० चमकना] वे० 'चमकना' । सौरीत ऋग्वेद है वैसा ही जवूर सामवेद है।-कधीर म०, जमकात--सका खी० [हिं०] दे० 'धमकातर' १०--बिजुरी पृ० २८८ । चक्र फिरे नई फैरी । औ जमकात फिरे जम फेरी। --जायसी जन्त-सका पुं० [म. जस्त ]१ अधिकारी या राज्य द्वारा पह- (गन्द०)। स्वरूप किसी अपराधी की सपत्ति का हरण । किसी अपराधी जमकातर'-सहा पुं० [सं० यम+हि० लाता मॅवर । को दह देने के लिये सरकार का उसकी जायदाद छीन लेना। जमकातर--सहा स्त्री० [सं० यम+फर्तग] स का छुरा या २. पपने अधिकार में पाई हुई किसी दूसरे की चीज को खथा।२ एक प्रकार की छोटी सलवार । अपना लेना । कोई वस्तु किसी के अधिकार से ले लेना। जमकाना-कि० सं० [हिं० जमकना ] जमकना का मकर्मक रूप । ३ धैर्य धारण करना । धीरतायुक्त होना । सहना (को०)। धमकाना। ४ प्रवध । इंतजाम । व्यवस्था (को०)। जमघंद-सझा [ म० यम+वएट ] दे० 'यमघट' । १०--सब कछ . क्रि०प्र०-फरना ।-होना। जरि गयो होरी में। तब धूरहि घर वघोरी नाम जमघट जन्ती-सधा स्त्री० [अ० जगत ] जन्त होने की क्रिया । कूकी। परो री।-भारतेंदु प्र०, मा. १, पृ०५०५। मुहार-जयती में पाना = जन्न हो जाना । जमवद-रान्त पुं० [हि. जमना + घट ( = समूह) ] मनुष्यों की जबर -वि० [फा० अमर शक्तिशाली । भारी । १०--लालन भीह जिस लोग ठसाठस मरे हो और जिसे कोई प्रादमी लोटहि पोट चोट जब्बर उर लागी। कियो हियो दुसार पीर सुगमता से पार न कर सके। बहुत से मनुष्यों फा भीड़। प्राननि मैं पागी । -ग्रज० प्र०, पृ० १५॥ टट्ठा जमावठा। मजमा । उ.-मोर नतंकियों का जमघट जन्यार-वि० [ प.] जबरदस्ती करनेवासा ताकतवर । __ बमता या ।-मेमघन, भा० २, ५० ३३२ । शक्तिशाली। उ०-छुकारा पा घाज दस्त जन्मार ... कि० प्र०-अमना । -नयना --लगाना। होना । कधीर म०, १०४७। जमघटा-सा पुं० [वि.]दे० 'जमघत'। जन्मा-उवा [हिं० दे० 'वहा' । जमघट्ट-सका पुं० [हिं०] दे० 'जमषः। जन-पचा पु० [अ०] १ कठोर व्यवहार । ज्यादती। सरती। जमघर--सपा पुं० [यम+ह] यमालय 13०-दुनिया में भरमो २. साचारी । मजदूरी (को०)। मति हीना । जमघर जावगे नाम निहोना ।---फबीर सा०, जवन-कि० वि० [अ० जनन् ] पलात् । बलपूर्वक । जवर पु०८१४॥ दस्ती। समजल--वि० [सं० यमज ] टे० 'यम'। जनी-विक जबरदस्ती, बलपूर्वक या मनिवार्यत कराया जमजम-सम्रा पुं० [म. जमजम ] मक्का का एक फुमा जिसका जानेवाला (को०] । पानी मुसलमान लोग यहुप्त पवित्र मानते है। 10-जनखदा