पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५१

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जमना जमजोहरा १६६४ में तेरे मुझ चाहे जमजम का असर दिसता।-कविता कौ०, परशुराम में सभी क्षत्रियोचित गुण थे। जमदग्नि की मृत्यु के भा०४, पृ.६। सबध में विष्णुपुराण में लिखा है कि एक बार हैहय के राजा कार्वधीयं उनके आश्रम से सनकी कामधेनु ले गए थे। इस जमजोहरा-सक्षा पुं० [देश॰] एक प्रकार की छोटी चिडिया जो पर परशुराम ने उनका पीछा करके उनके हजार हाथ काट ऋचपरिवर्तन के समय रग बदलती है। डाले। जब फातवीर्य के पुत्रों को यह बात मालूम हुई, तब विशेष—यह चिडिया जाड़े के दिनों में उत्तरपश्चिम भारत लोगों ने जमदग्नि के प्राथम पर जाकर उन्हें मार डाला। में दिखाई पड़ती है और गरमी में फारस और किस्तान को जमदिसा-सा श्री० [सं० यम+दिशा ] दक्षिण दिशा जिसमें चली जाती है। यह प्राय एक बालिस्त लयी होती है और 3 यम का निवास माना जाता है। 30-मेष सिंह धन पूरुच ऋतुपरिवर्तन के समय रंग बदलती रहती है। धसे । विरिख मकर कन्या जम दिसे 1-जायसी (शब्द॰) । जमडाढ़-सक्षा स्त्री० [सं० यम+दष्ट्र, प्रा० दव, सद्र, हि हाद] कटारी जमघर-सहा पुं० [हिं० जमडाढ़ ] १. जमाढ़ नामक हपिधार । की तरह का एक हथियार जिसकी नोक चहत पनी और उ.--गहि हथ्य एफन को गिराए मारि जमघर फमर में।- मागे फी भोर मुकी हुई होती है। इसे पात्रु के शरीर में हिम्मत०, पृ० २१ २ एक प्रकार का वदामी कागज । भोंकते हैं। जमघर। जमधार -सहा स्त्री० [हिं० जम+धार] यम की सेना काल की जमदग्नि-सहा पुं० [सं०] एक प्राचीन गोत्रकार वैविक प्राषि सैना । उ०-जमधार सरिस निहारि सय पर नारि पलिहहिं जिनकी गणना सप्तषियों में की जाती है। भृगुवंशी यूपीक भाषि फै।-सुलसी ग्र०, पृ० ३४ । ऋषि के पुत्र । जमन'- U०[सं० समन] १. गोषन करना । भक्षण । २. विशेष-वेदों में जमदग्नि के बहुत से मत्र मिलते हैं। ऋग्वेद भोजन । भोज्य वस्तु [को॰] । अनेक मत्रों से जाना जाता है कि विश्वामित्र के साथ ये जमना-सा श्री० [सं० यमुना, तुल०, फा० जमन] दे० 'यमुना'। भी वशिष्ठ के विपक्षी थे। ऐतरेय ब्राह्मण हरिश्च द्रोपाख्यान उ०-सुर पान निगमबोषह सुरग। जल भमन माइ रापिस में लिखा है कि हरिपचंद्र के मरमेघ पश मे ये पध्वयं स्वमम ।-पृ० रा०,११५५८। हुए थे। जमदग्नि का जिक्र महाभारत, हरिवश पौर जमन'g...-सहा पुं० [सं० पवन ] म्लेच्या मुसलमान । यवन । विष्णु पुराण में पाया है। इसकी उत्पत्ति के पक्ष में लिखा है कि ऋषीय ऋषि ने अपनी स्त्री सत्यवती, थो स०-(0) ध्याष सुरिस्छव मृग परम, परन दिए पहिराय । जमन सैन है भेद फह, विदा किए नृपराय।-प. रासो, पृ० राजा गाषि की कन्या पौ, तथा उनकी माता के लिये १०४। (ख) दोक तुप मिलि मत्र करि जमन मिट्टवद् प्रास । भिन्न गुणोंवाले दो घर तैयार किए थे। दोनों पर अपनी स्त्री सत्यवती को देफर उन्होंने घसखा दिया था कि ऋतुस्नान -प० रासो, पृ० १०४। के उपरांत यह चरु सुम खा लेना और दूसरा पर अपनी माता जमन-सछा पुं० [अ० जमन] जमाना । काल । जगत् । ससार (को०]। को खिला देना। सत्यवती ने दोनों पर अपनी माता को जमना-कि०म० [सं० यमन (= जकड़ना), मि० भ० जमा] १ देकर उस सबंध में सव बातें बतला दी। उसकी माता ने किसी द्रव पदार्थ का व्ढक के कारण समय पाकर अथवा पौर यह समझफर कि ऋचीक पपनी स्त्री के लिये अधिक उत्सम फिसी प्रकार गाढ़ा होना । किसी तरल पदार्थ का ठोस हो गुणोंवाला पुत्र उत्पन्न करने के लिये घर तैयार किया होगा, जाना । जैसे, पानी से घरफ जमना, दूध से दही जमना । २' उसका चरु स्वय खा लिया और अपना घर उस खिला दिया। किसी एफ पदार्थ का दूसरे पदार्थ पर ढ़तापूर्वक पैठना। जब दोनों गर्भवती हुई, तब- पीक अपपी ली पथक्ष मच्छी तरह स्थित होना। जैसे, जमीन पर पैर धमना, चौकी देखकर समझ लिया कि घर पयज मया । वचीक मै उससे पर पासम बमना, परतम पर मैल जममा, सिर पर पगड़ी या कहा कि मैंने तुम्हारे गर्भ से ब्रह्मविष्ठ पुष और तुम्हारी माता टोपी घमना। के गर्म से महावनी और क्षात्र गुणोपाता पुष उत्पन्न करने मुहा०-८ष्टि जमना = एष्टि का स्थिर होकर फित्ती पोर मगना। के लिये पर तैयार किया था, पर तुम लोगों मै घर धदल नबर का बहुत देर तक किसी चीज पर ठहरना । निमाह लिया। इसपर सत्यवती नै दुखी होकर अपने पति से कोई जमना = दे० 'दृष्टि जमना। मन मे वात बमना-किसी पात ऐसा प्रयत्न करने की प्रार्थना की जिसमे उसके गर्भ में उन का हृदय पर भनी भौति पकित होना । किसी बात का मन क्षत्रिय न उत्पन्न हो; मोर यदि उसका उत्पन्न होना अनिवार्य पर पूरा पूरा प्रभाव पठना। रंग जमना-प्रभाव पड़ होना। ही हो तो वह उसकी पुत्रवधू के गर्भ से उत्पन्न हो। तदनुसार पूरा अधिकार होना। सत्यवती के गर्भ से जमदग्नि और उसकी माता के गर्भ से ३ एकत्र होना। इकठ्ठा होना। जमा होना । जैसे, भीड विश्वामित्र का जन्म हुमा। इसीलिये जमदग्नि में भी बहुत जमना, सलछट जमना। ४ पच्छा प्रहार होना। सूर से क्षत्रियोचित गुण थे। जमदग्नि ने राजा प्रसेनजिद की चोट पडना । जैसे, लाठी जमना, थप्पड जमना। ५ हाय कन्या रेगुफा से विवाह किया था और उसके गर्भ से उन्हे से होनेवाले काम का पूरा पूरा प्रभ्यास होना । जैसे,—लिखने" रुमएवान, सुपेण, बहु, विश्वाबहु भोर परशुराम नाम के पाँच में हाथ जमना। ६ बहुत से भादमियो के सामने होने- पुत्र उत्पन्न हुए थे। प्राचीफ के घर के प्रभाव से उनमें से वाले किसी काम का बहुत उत्तमतापूर्वक होना। बहुत से लिखा है की कन्या थी किए थे।