पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५००

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- - - - --- -.... ...... सोरणमाल २१४६ वोशन सजावट के लिये खमों और दीवारों प्रावि में बांधकर लटकाई तोल --सपा पुं० [सं०] १. तोला (तौल) जो ८० रत्ती के बराबर जाती हैं 1 बंदनवार।३ ग्रीवा । गला । ४ महादेव । होता है । २ तोल । वजन। तोरणमाल-सज्ञा पुं० [सं०] भवतिका पुरी। तोल---सज्ञा पुं० [ दश० ] नाव का डा। (लग०)। तोरणस्फटिका-सा बो. [सं०] दुर्योधन की उस सभा का नाम तोल - वि० [हिं०] . 'तुल्य'। उ०-साने कोने माये बुझए जो उसने पाडवो की मय दानववाली सभा देखकर ईविश बोल मदने पामोल मापन तोल :--विद्यापति, पृ० १२० । बनवाई थी। तोलक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] ठोला (तौल)। बारह माशे का वजन । तोरन -सक्ष पुं० [हिं॰] दे० 'तोरण' तोलन'-सा ५० [सं०] १. तौलने की किया। २. उठाने की तोरन तेगाली-सक्षा पुं० [हिं० तोड़ना+तेगा] एक प्रकार का क्रिया। __ तेगा। उ०-तुरकच के तेगा तोरन तेगा सकल सुबेगा रुधिर तोलनर-सश लो० [• उत्तोलन ] वह लकड़ी जो छत के नीचे भरे ।-पाकर प्र०, पृ०२८। सहारे के लिये ल ाई जाती है। पार। तोरना-क्रि० स० [हिं०] दे० 'ठोड़ना'। उ०—काहे को लगायो दोलना-कि० स. .] दे० 'तोलना'। उ०-लोचन मृस सनेहिया रे मब तोरलो न जाय ।-पलटू०, पृ० ८२! सुमग जोर राग प भए भोर भौंह धनुष पर कटाक्ष सुरति तोरय -सवं० [हिं०] दे० 'तुम्हारा1 30-खुले सुमाग्य व्याप तौले री।-सूर (शब्द०)। मोरयं, लह्यो दरस्स तोरय -ह. रासो, पृ० १३। मुहा०तोल तोलकर बोलना = दे० 'तील दौलकर बोलना'। तोरश्रवा-सधा पुं० [सं० तोरश्रवस् ] मगिरा पि का एक नाम । उ.-मत वक्ता अपनी बातो को तोल तोतकर नहीं बोलता। वोरा -सर्व० [हिं० ] दे० 'तोरा'। उ.---नानक बगोयद जी -शैली, पृ० ४६ । तोरी विरा चाकरा पारवाक-कवीर म., पृ० ४११। तोलवाना-क्रि० स० [हिं० दे० 'तौबवाना'। तोरा -सा पुं० [फा० तुरंह, ] तुर्रा 1 कलगो। तोला-सहा . [सं० तोलक १ एक दोन जो बारह मासे या तोरा --सर्व० [हिं०] दे॰ 'तेरा'। उ०-अलाउर मुरि मुरि गा छानवे रत्ती की होती है । २. इस तौल का वाट । तोरा।-जायसी ग्र०, पृ० १४३ । तोलाना-कि० स० [हिं०] दे॰ 'तोलाना। तोराई-सक्षा नी० [सं० त्वरा+हि० ई (प्रत्य॰)] वेग! तोलि-सा पु० [हिं०] ३० तोला'। उ०--पच तोलि पर शीघ्रता | तजी।। मुहरै सुमानि । ह. रासो, पृ०६०। तोरादार -विकाहि तोडा (-प्राभूषण)+फा० दार] तोहेवार। तोलिवा--सण . [हि. 1 दे० 'तौलिया। मध्ययुग के वे ताजीमी सरवार या मनसबदार, जिन्हे वादगाह सोती ना ली है। न व सम्मानार्थ पैरो में पहनने के लिये सोने के तोहे या करे प्रधान कही कुछ पोसी । यह हुई श्याम को तोली।-प्रचना, करता था। श्रेष्ठ । प्रतिष्ठित । उ-तोरादार सकल तिहारे मनसबदार | भूषण प.पु० २७७ । तोल्य–वि० [सं०] जिसे तौला जाय (०। तोराना+-क्रि० स० [हि०] दे. 'तुहाना। तोल्य-समा पु. तौलना । तोलने की क्रिया [को०)। सोरावती-वि० [हिं०] वेगवाली। उ०—विषम विवाद तोवाला--सर्व० [हिं० दे० 'तम्हारा। उ०प्रष भूप दरसे तोरावति धारा। भय भ्रम भंवर प्रवर्त अपारा -तुलसी तोवाला प्रवनी मोहे रूप उद्योत ।-रघु.६० पू० २४६ । (गव्य०)। तोश-सज्ञा पुं० [सं०] १ हिंसा । २ हिंसा करनेवाला । हिंसा । तोरावानपु-वि० [सं० वरावत् ] [ वि.स्त्री. तोरावती ] तोशक - सज्ञा श्री० [ तु० ] दोहरी पादर या खोल में रूई, नारियल वेगवान् । तेज। की षटा आदि भरकर बनाया द्वमा गुदगुदा बिछोना। तोरिया-सधा नी[सं० तुरी ] गोटा किनारी प्रादि वुननेवालों हलका गद्दा । ___ का लकड़ी का वह छोटा वेलन जिसपर वे बुना हुमा गोटा यौ०--तोशकखाना। पट्टा और किनारी मादि वरावर लपेटते जाते हैं। तोशकखाना-सहा . [ हि.] २० 'तोशासाना'। तोरियासमा मी० [हिं० तोरना ( = तोड़ना)+ इया (प्रत्य॰)] तोशदान-सक्षा पुं० [फा० तोशदान] १ वह थैली मादि जिस में मार्ग १ वह गाय या मैंस जिसका बच्चा मर गया हो भौर जिसका के लिये यात्री, विशेषत सैनिक अपना जलपान मादि या दुमरी दूध दुहने के लिये कोई युक्ति करनी पडती हो। पावश्यक चीजें रखते हैं। २. चमडे का वह छोटा वस या तोरिया-सहा स्त्री॰ [ देश-] एक प्रकार की सरसो। तोरी । थैली जो सिपाहियों की पेटो मे लगी रहती है मौर जिसमें तोरी'-सा स्त्री० [हिं०] दे० 'तुरई। कारतूस रहता है। वोरी-सधा स्त्री० [ देश ] काली सरसो। तोशल-सज्ञा ० [हिं०] दे० 'वोपल'। उ.--विदित है बल तोरी-सवं० [हिं० ] दे० 'तेरा'। उ.-फहै धर्मदास कर जोरी। वध शरीरता विकटता पल तोशल कूट की। प्रिय, चलो जई देस है तोरी-धरम श०, ५०६। १ वह