पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५०२

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२१४८ चौरेत तौ@'-क्रि० वि० [हिं०] दे॰ 'तो'। तौन -सचा पुं० [हिं०] दे० 'तू'। १०-चढ़ि नरिंद फमधज्ज तौर- क्रि० [हिं० हतौ] था। उ०—वेकमाए द्वारे हैं इती तीन तन सज्जन वारो-१० रा०, २६।१६। मगवारे प्रौर द्वारे प्रगवारे कोऊ तो न तिहि काल में ।- तौना-वि० [हिं० ताना] जिससे कोई चीज ताई या मूदी जाय।। पद्माकर (शब्द०)। तौनी-महा स्त्री० [हिं० तवा का स्त्री० पल्पा० रूप रोटी सेंकने का तोक-सक्षा पुं० [अ० तौक़] १ हंसुली के माकार का गले मे पहनने छोटा तवा । तई । तवी। का एक प्रकार का गहना। यह पटरी की तरह कुछ चौडा मा ) तौनी- सना बी० [हिं०] दे॰ 'तीन'। २ मा होता है और इसके नीचे धुंधरू मादि लगे होते हैं। तौनी-सर्व० [हिं०] दे० 'तीन'। विशेष-प्राय मुसलमान लोग अपने बच्चो को इसी प्रकार का तीफ -सचा पुं० [म० तोफ] चक्कर। परिक्रमा। उ.-बहते चांदी का घेरा या गंडा भी पहनाते हैं जिसमें ताबीज प्रादि तोफ जाय तब वायफ ना देव जाय पहाड़ समुदर ---वीर बंधी होती है। कभी कभी यह केवल मन्नत पूरी करने के सा०, पृ० ८५८ । लिये भी पहनाया जाता है। तौफीक-सया स्त्री० [म० दौफीक] १ सयोगात् किसी वस्तु का २ इसी प्राकार की पर तौल में बहुत भारी वृत्ताकार पटरी सुगमतापूर्वक प्राप्त हं जाना। २. देवकृपा। ईश्वरानुग्रह। या मंडरा जिसे अपराधी या पागल के गले में इसलिये पहना ३ पाक्ति। सामथ्र्य ३ हौसला। उमग। ५ योग्यता । देते हैं जिसमें वह अपने स्थान से हिल न सके । पात्रता [को०] ) ३ इसी प्रकार का वह प्राकृतिक चिह्न जो पक्षियों आदि के गले में होता है। हंसुली। ४ पट्टा। चपरास। ५ कोई गोल । तौफीर -सहा ली [म. तौफीर] भधिकता । प्रचुरता। उ.-- घेरा या पदार्थ। रख अपने पनहू गुनह व तोफोर 1---कबीर म०, पृ० ४२२ । तौकीर-सज्ञा स्त्री॰ [म० तौकीर ] समान । प्रतिष्ठा। इज्जत। तौवा-सचा श्री० [अ०] दे० 'तोवा' । उ.-इस सत्यगुरु की खादिम तौकोर में देखो।-कबीर तौरगिक-भज्ञा पुं० [सं० तौरङ्गिक साईस [को०] . म०, पृ० ४६७। सौर-समापुं० [सं०] एक प्रकार का यज्ञ । तौके गलामी-सघा पुं० [प्र. तौकेगुलामी ] गुलाम होने की तौर-सञ्ज्ञा पुं० [म.] १ चालढाल । चालचलन । धिक्कार (को। यौ०-तौर तरीक या तौर तरीका- चाल पलन। . तौतिक -- सञ्चा पुं० [सं.] धनुराशि । मुहा० -- तोर बेतौर होना = रग ढग खराब होना । लक्षण तौचा-सा पुं० [देश०] एक प्रकार का गहना जिसे कही कही देहाती विगडना। स्त्रियो सिर पर पहनती हैं। २ अवस्या । दशा । हालत । तौजा-सचा पुं० [५० तोजी] वह द्रव्य जो खेतिहरों को विवाहादि मुहा०-तौर बेतौर होना = अवस्था बिगडना । दशा खराब होना। में खर्च करने के लिये पेशगी दिया जाता है। वियाही। विशेष-उक्त दोनो प्रों में इस शब्द का व्यवहार प्राय तौजा-वि० हाथ उघार । दस्तगर्दा । बहुवचन में होता है। तौजी-सशास्त्री० [देश॰] ताजियागीरी। मुहर्रम मनाना । उ०- ३ तरीका । तर्ज । ढग । ४ प्रकार । भौति। तरह । तोजी भोर निमाज न जाने ना जानू धरि रोजा !-मलूक०, तौर-समा पुं० [देश॰] मथानी मथने की रस्सी । नेत्री। प०७। सौतनवस-सहा पुं० [सं०] एक प्रकार का साम ( गान)। तौतातिक-वि० [सं०] कुमारिल भट्ट से सबद्ध या सवध रखनेवाला। तौरात-सक्षा पुं० [हिं० ] दे० 'तोरेत'। विशेष-कुमारिल भट्ट का विशेषण तुतात या तुतातित था। तोरायणिक-सक्षा पुं० [सं०] वह जो तुरापण यज्ञ करता हो। तोतातिस-सधा पुं० [सं०] १ जैनियों का भेद । २ कुमारिल भट्ट तौरि --सहा स्त्री० [हि. तायरि ] घुमेर । घुमरी । चक्कर । का एक नाम । सौरीत-सक्षा पुं० [हिं०] दे० 'तोरेत' । उ-उसका समाचार वौतिक-सा पुं० [सं०] १ मुक्ता। मोती। ३ मोती का। तोरीत मे उत्पत्ति की पुस्तक में है ।-कबीर म०, पु. ४२ । सीप । शुक्ति। तौरुष्किक-वि० [सं०] तुरुष्क देश या जाति सबधी (को०] । तौन-सधा श्री० [देश०] वह रस्सी जिससे गैया दुहने के समय । तौरूप-सक्षा ० [सं०] कामरूप में प्राप्त एक प्रकार का चंदन (को०) । उसका बछडा उसके अगले पैर से बाय दिया जाता है। तौरेत--सहा पुं० [इब ] यहदियों का प्रधान धर्मग्रंप जो हजरत तौना२--सर्व० [सं० ते] वह । सो । उ०-उनकी बाया सबको भाई। मूसा पर प्रकट हुपा था। इसमे सृष्टि मौर मादम की उत्पत्ति तीन छाँह सब घटहि समाई । -कवी र सा०, पृ०६१०।। मादि विषय हैं। उ-जिसमे बनी इसराईल इस नियम पर विशेष-इस शब्द का प्रयोग दो वाक्यों का सबध पूरा करने के चले पोर इस नियमावली का नाम तौरेत पुस्तक ठहरा। लिये 'जीन' के साथ होता है। -कवीर० म०, पृ० १६७।