पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५१६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

---2- 3 मा . २११२ शिम त्रिपुप-संपु० [सं.] ककड़ी। २. वीरा । ३. गे। त्रिपली-पानी. .]१. जी. सेपट पर । निपुपा-सया बी० [सं०] काला नियोप। इन पा की पौर्य महातो 13--14tar पससितगेम सगी मा मोहै।-६. रामानु.२५। त्रिपुष्कर-सा . [सं.] फलित ज्योतिष में एक योग जो पुनयंग, उत्तराषाढा, कृत्तिका, उसराफाल्गुनी, पूर्वमापद मौर २.भिभुग्णी (4) विशाखा इन नदात्रो, रवि, मगत पोर तिन तिपियों में त्रिपलीफ-in-[2011 २ मारा । से किसी एक नक्षत्र एक पार मोर एक तिपिएक साप त्रिपार---पु..... अपरा . पड़ने से होता है। नाराएदाय। विशेष -इस योग में यदि कोई मरे तो उसके परिवार में दो त्रिमितिल- Eि. fuT.- Bafs प्रादमी और मरते है पर उसके सवधियों को पनर प्रसार किमीर-8.01.21 के होते हैं। इसमें यदि कोई हानि हो धोयेगी हाहान त्रिवि शिशि', 12-दामन मन मोर दो चार होती है और यदि साम होतो पेवा हीभाभ पान गिरमिट 1-Hit. -. पौर दो चार होता है। बालक के जन्म के लिये यह योग १.२५२ जारज योग समझा जाता है। विधी7-01]in त्रिपूरुय-सक्षा पुं० [सं०]. 'मिपुरु [फो। वियोणी-640 . ] Couji - frangi त्रिपृष्ठ-सात . [सं०] नियों के मत से पहने वाला पुरमा 1-प्राणु ११। निपौरुष-मापुं० [सं०] १० मिपुरुष'।। निरनी81-[f].fairs त्रिपोलिया-मपा श्रीहि.३० तिरपोलिया। त्रिभग'--..firमान Haftोन नित -पि. हि.] ३०'तृR'1 30---रात मुनत तनHि नगद पास पहन है।। 3.- 1 हिस भई-केच्य० मी०, ५०१०) पनो मिस स्थान को दिन - त्रिशासनाल-कि० स० [सं० तृप्ति ] तृप्त करना । तुट करना। पार (Eit)। उ.-प्रनित नामु भोजन विधारो। गुर मे पब्दि फपन पर त्रिभंग- हीन को १० मि .मर पीर पासे ।-प्राए, पृ० १८२। परदा दुपदे ! विप्रश्न-सश [8.] फलित ज्योतिष में दिशा, देश और कान विशेष-पार योगदान र मदारी सबषी प्रश्न । घसीमानाको साम। चिप्रस्तत-सधा पु० [सं०] वह हाथी बिसमस्तक, पोल पोर निमगी'-R. [सं. मिनितीन बाट बोन मोर ने इन तीनो स्थानो से मदकता हो। फारम 130-रो कुरा निसा, नवीन त्रिप्लक्ष-सपा पु० [सं०] एक बहुत प्राचीन देव राम जिसका दयाल । तुमी होमसन कि यस fr) मान- उल्लेख वैदिक ज्यों में भाया है। बिहारी (...) त्रिफला- सपा पुं० [सं.] पावले, ३३ मोर बह का समय विभंगी'-- . 14 साउन ९- विशेष-यह माखों के लिये हितकारक, परिनदीपक, पिझारक, एक गुरु, १८ मभु पोर एका मागो। २ र सारक तथा कफ, पित्त, मेह, फुष्ट मौर विषमज्वर का नाम राम का एक मामा माना जाता है। इससे पंचक में अनेक प्रकार के प्रत मादि में १२ माएं होती और...पोft बनाए जाते हैं। होती है।से,--परम पर पान, नौनसान, प्रगट मई तर मदी। . UIRS का pिath पर्या०--त्रिफली। फलत्रय । फसनिक। परण में ६ नगण, २गण, भगत नगरा, भगत दोर २. वह पूर्ण जो इन तीनों फलों से बनाया जाता है। मन में एक गुरु होगा) पनि प्राये पर ३. मसार विशेष--यह चूर्ण बनाते समय एक माग हर, दो भाग पो होते है। बेरो,-गन बदन मा सनुपम और तीन भाग धावता लिया जाता है। रण त्यो मनको उमगोई दमोहै।गायुग मनि निव वि० [सं० मि+हिक ] तीन जगह से देखा। 30- फिरि जटकन पनिमिप मोहरोमन मोहै। कदासी संग वैठि पितह निवक भी।-नट., पृ०३६। ५३. 'विभग। त्रिबंकर-सधा ही तीन जगह से टेढ़ी, कुम्ना । उ-हम सभी विभडी-inst (४० मिमएटोनिया कोटेदी गनी गनिका या निषक को पफ परी सोधरी।- त्रिभ - म०] तीन नमो मे मुस्क। बिसमें तीन । नट, पृ० ३१ त्रिभर -सपा पु०पद्रमा के हिसाब से रेयती, प्रथिनी मोर भरती त्रिवलि-सको (म.] दे० मिली। नत्रयुक्त माचिन, शतभिषा, भाअपर पोर उत्तरमा