पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५२६

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. कूची। ३. बुढ़ापे से अशक्त होता । बुढापे के कारण काम करने के योग्य खून का थक्का । २ गली हुई धातु का जमा हुमा कतरा। म रहना । जैसे,—पब वे बहुत थक गए, घर ही पर रहते हैं। जैसे, चांदी का थक्का। संयो० कि०-पाना। थगित-वि० [प्रा०ययक, हिं० कित] 1. ठहरा हुमा । रुका हुमा । ४. मंदा पड जाना। बसता न रहना । षीमा पर जाना । ढोला २ शिथिल । होला । मद । होना या रुक जाना । जैसे, कारवार का थक जाना, रोजगार थट, थट्ट-सक्षा पुं० [देशी पढ] यूथ । समूह । ठाडा उ.- का थक जाना। ५ मोहित होकर मचल हो जाना। मुग्ध (क) इक्फ समय माघेट, राव हेलन बन भाए। सकल होना। लुभाना। 30-(क) थके नयन रघुपति छवि सुभट थट सग, वीर बानै जुनाए । ~है. रासो, पृ०१३ । देखी। -तुलसी (शब्द०)। (ख) पके नारि नर प्रेम (ख) रहे सुगट यट्ट प्रथिराज मग!--पु० स०,६१३॥ पिपासे ।-सुलसी (शब्द०)। थेड-सशा पुं० [देशी०] समूह । यूय । मुह । थकरा--सधा स्त्री॰ [हिं० थकना थकावट । पकान । थड़ा-समा पु०स० स्थल] १ बैठने की जगह । बैठक । २ दुकान थकरी-सषा श्री [ देश ] स्त्रियों के बाल झाडने की खस की की गहो। थणुसत -सा पुं० [सं० स्थाणु (=शिय),प्रा पएणु, पाए हिं० थकान--सका खो। हि० पकना ] थकने का भाव। पकावट । पणु + सं० सुत ] शिव के पुत्र ।१ गणेश । २ कार्तिकेय । शिपिलता। स्कद। थकाना-कि० स० [हिं० थकना] १. श्राव करना। शिथिल ता-सया बी० [हिं० थाती] दे० 'पाती। करना । परिश्रम कराते कराते मथक्त कराना । २ हराना। थतिहारी-सचा पु० [हिं० थाती+ हार (प्रत्य॰)] वह जिसके पास संयो० क्रि० रामना-देना। थाती रखी हो। थका माँदा-वि० [हिं० यकना] परिश्रम करते करते मशक्त। थत्ती-सपा स्त्री. हि. याती] ढेर । राशि । मटाला। जैसे, रुपयों श्रात। श्रमित । की थत्ती। थकार--सहा पुं० [सं०] 'य' अक्षर या वर्ण। थथोलना ---क्रि० स० [हिं० टटोलना] दूठना । खोजना। थकावा-सज्ञा पुं॰ [हि. थकना ] पकावट । शिथिलता । थन--- सदा पु० [सं० स्तन, प्रा. पण] १ गाय, भैस, बकरी इत्यादि चौपायो का स्तन। चौपायो की चूची। उ.-मडा पाले थकावटा-सभा सी.[हिं० पकना ] थकने का भाव । पिथिलता। फाछुई, विन पन राखे पोस।- सतवाणी., पृ. २२ । क्रि० प्र०-माना। २ स्त्रियो का स्तन । उ२-उठे यन योर विराजत बाम । थकाइट-सा स्त्री॰ [हिं० थकना माहट (प्रत्य॰)] दे० 'थका धर मनु हाटक सालिगराम 1-पृ. रा०, २१॥२०॥ वट'। उ०-रोने से उसके चेहरे पर जो थफाहट छप गई थी, उसने उसकी शोभा भौर भी निर्मल कर रखी थी।-शराबी, थनइला-सया ० [हिं० यन ] दे॰ 'पनेब' । पृ. ३२ । यनकुदो-सपा पुं० [रा०] एक छोटी नीले रंग की चमकीली चिडिया थकित-वि० [हिं० थकना अथवा सं० स्था (= स्थिर) + कृत ] १ जो कोहे मकोडे साती है। इसका रंग बहुत सु दर होता है। थका हमा। श्रात शिथिल । २ मोहित । मगध उ० थनगन- सद्या पुं० [बरमी ] एक बड़ा पेड जो वरमा, दरार पोर थफित भई गोपी लखि स्यामहि । -सूर (शब्द०)। मलाचार मे बहुत होता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत थकिया---सधा बी० [हिं० थक्का ] १ किसी गाढ़ी चीज को जमी होती है और इमारत में लगती है। हुई मोटी तह । २ गली हुई धातु फा जमा हपा लोंदा । थनटुट्ट-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० थन + टूटना] वह स्त्री जिसके स्तन में यौ०--फिया की चाँदीगलाकर साफ की हई पादी। दूध घाना बंद हो गया हो। थकैनी-सचा बी० [हिं० थकना ] ३० 'थकावट'।। थनथाई-वि० [सं० स्तनस्थानीय] एफ हो स्तन जिनका रवान थकौहाँ-वि० [हिं० थकना] [वि० स्त्री० पकोही ] कुछ थका हो। एक स्तन का दूध पीनेवाला। घायभाई। सगोत्रीय । कोका।1०-करि सलाम हम्सेन मना बंधी दिसि बार। हुमा । पफामादा। शिधिल । उ०-ग थिरको मधखुले सजरा बधे कठ सह सज्जे पनयाई!-५०रा०, ७१३४ देह थकोहे ढार । सुरत सुखित सी देखियत दुखित गरभ के भार।-विहारी (शब्द०)। थनी--सझा औ० मि. स्तन] १ स्तन के माकार की थैलिया जा वरियो के गले के नीचे लटकती हैं। गलपना। २ हायियों थक्कना--क्रि० स० [प्रा. पक्क ] दे० 'थकना'। उ०-सबै सेर के कान के पास पन के आकार का निकलाहमा मास का फिरि थक्कि कहूँ काहू न रखायब ।-६० रासो, ५० ५५ । मकुर जो एक ऐब समझा जाता ३ घोड़े की लिगद्रिय थक्का-मथा सं० [सं० स्था+कृ, बंग० थाकना( = ठहरना)] [स्त्री. में थन धाकार का लटकताहमा मास जो एक ऐब समझा पक्की, किया] किसी गाढ़ी चीज की जमी हुई मोटी जाता है। सह । जमा हुमा कतरा। अठो। जैसे, दही का थक्का, थना-सया पुं० [हिं] दे० 'धन' ।