पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५३

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१६६६ जमामरद पर्व ---- ([1० जनाफा रा ] धाय और व्यय । लगाना । ( मन में ) बात जमाना = हृदय पर बात को भली भांति प्रकित करा देना। रंग जमाना - अधिकार दृढ़ समाजथा-- रावाहिक जमा + गय ( पूजी) धनसपत्ति। माल । तमापूजी करना । पूरा पूरा प्रभाव डालना। जमात-7, मी श० जमानत १ बहुत से मनुष्यों का समूह ! ३ प्रहार करना । चोट लगाना । जैसे, हथौडा जमाना, थप्पड यो 76 गिरोह या जत्था । जैसे, साघुमो की जमात । जमाना । ४. हाथ से होनेवाले काम का अभ्यास करना । - पालौंपी नहि बोरियां साघुन चले जमात । सत- जैसे,-पभी तो वे हाथ जमा रहे हैं । ५ बहुत से भादमियों वा , पृ० २८ । २ कक्षा । श्रेणी। दरजा। जैसे,-वह के सामने होनेवाले किसी काम का बहुत उत्तमतापूर्वक लडका पाची जमात मे पढता है। ३ पक्ति। कतार । करना। मैसे,- व्याख्यान जमाना । ६ सर्वसाधारण से इन । जैसे, सिपाहियों की जमात । संबध रखनेवाले किसी काम को उत्तमतापूर्वक चलाने योग्य बनाना । जैसे, कारखाना जमाना, स्कूल जमाना । ७ घोहे ।

--सवदी-गिरोहवदी। दलवदी। 30-जिसके कारण

ज पी समावदी भी बदलती गई। -भा०३० रू०, को इस प्रकार चलाना जिससे वह ठुमक ठुमुककर पैर रसे । ८. उदरस्प करना । खा जाना। जैसे, भग का गोला जमाना । ६ मुंह में रखना। मुखस्थ करना । जैसे, पान पुं० [फा० या म. जमानत+दार] [सझा जमादारी] १ नियों पा पहरेदारों भादि का प्रधान । वह जितकी का वीडा जमाना। एधीनता मे कुछ सिपाही, पहरेदार या फूली प्रादि हों। २ जमाना-क्रि० स० [हिं• जमना (= उत्पन्न होना)] उत्पन्न पुलिस का वह बडा सिपाही जिसकी अधीनता में कई भौर फरना । उपजाना । जैसे, पौधा जमाना । साधारण सिपाही होते हैं। हेड कास्टेबल । ३ कोई सिपाही जमाना-सा पुं० [फा. शमानह ] १. समय । काल । वक्त । २. या पहरेदार । ४ नगरपालिका का वह कर्मचारी जो भगियों बहुत अधिक समय । मुद्दत । जैसे,—उन्हें यहाँ पाए जमाना के काम का निरीक्षण करता है । हुधा । ३ प्रताप या सौभाग्य का समय । एकबाल के दिन । - ज्ञा स्त्री० [हिं० जमादार + ई (प्रत्य॰)] १ जमादार जैसे,-माजकल मापका जमाना है। ४. दुनिया । ससार । का एट । २ जमादार का काम ! जगत् । जैसे,-सारा जमाना उसे गाली देता है। ५ राज्य- मिानत-सहा स्त्री० [अ० जमानत ] बह जिम्मेदारी जो पोई मनुष्य फाल । राज्य करने की भवधि (को०)। ६. किसी पद पर किसी अपराधी के ठीक समय पर न्यायालय में उपस्थित होने, या स्थान पर काम करने का समय । कार्यकाल (को०)। किसी वर्जदार के कर्ज अदा करने पयवा इसी प्रकार के किमी ७ निलब। देर । भतिकाल (को०)। पौर काम के लिये अपने ऊपर ले । वह जिम्मेदारी जो जबानी मुहार-जमाना टलटना=समय का एकबारगी बदल जाना। या कोई कागज लिखकर अथवा पूछ रुपया जमा करके ली जमाना छानना= घहुत खोजना। जमाना देखना-बहत जाती है। प्रतिभूति ! जामिनी । जैसे,- (क) वे सौ रुपये भनुभव प्राप्त करना । तजरवा हासिल करना । जैसे-ग्राप को जमानत पर छूटे है। (ख) उन्होंने हमारी जमानत पर बुजुर्ग हैं, जमाना देखे हए हैं । जमाना पलटना या बदलना = उनका मध माल छोट दिया है। परिवर्तन होना। अच्छे या बुरे दिन प्राना। क्रि० प्र०-करना ।-देना होना । यो०-जमानासाज । जमानासाजी। जमाने की गदिश = समय यौ०-जमानतदार प्रतिमू । जामिनी । जिम्मेदार । जमा- का फेर। नतनामा। जमानासाज-वि० [फा० जमान ह.+साज] १ जो अपने स्वार्य जमानतनामा--सा पुं० [अ० जमानत+फा० नामह, 1 वह कागज के लिये समय समय पर अपना व्यवहार बदलता रहता है। जो जमानत करनेवाला जमानत के प्रमाणस्वरूप लिख अपना मतलब साधने के लिये दूसरों को प्रसन्न रखनेवाला। जमानती--सा ([१० जमानत+फा० ई (प्रत्य०)] जमानत करने- २. मुतफन्ती । पूर्त । छली (को०)। वाला । वह जो जमानत करे। जामिन । जिम्मेदार (च.)। जमानासाजा---सक्षा सा० [फा० जमानह साजा ] पपना मतलब जमानवीरा-राधा पं० [अ० जमत्र+फा० नवोस ] कचहरी का साधने के लिये दूसरों को प्रसन्न रखना। अपने स्वार्थ लिये एक पहलकार । समयानुसार अनुचित रूप से अपना व्यवहार बदलना । नमाना-नि० स० [हिं० जमना' का स० रूप] १ किसी द्रव जमापू जी-सक्षा स्त्री० [हिं० ] दे॰ 'जमाजपा'। पदार्थ को ४ढा फारसे अथवा किसी और प्रकार से गाढ़ा जमावंदी-सक्षा स्त्री० [फा०] पटवारी का एक कागज जिसमे करना । किसी तरल पदार्थ को ठोस बनाना। जैसे, चाशनी असामियों के नाम और उनसे मिलनेवाले लगान की रकमें से बरफी जमाना।२ किसी एक पदार्थ को दूसरे पर पढ़ना- लिखी जाती हैं। पूर्वक बैठाना । अच्छी तरह स्थित करना । जैसे, जमीन पर जनामरद -सया पु० [फा० जवामदं] दे० 'जवामद'। उ०-पाए पैर जमाना। हैं जमामरद ग्यान कर करद ले, दरदन जान्यो अब जिन मुहा०-दृष्टि जमाना - शुष्टि को स्थिर करके किसी पोर दिन पार रे।-प्रज०म०, पृ० १३३ ।