पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५४

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जमामार १६६७ जमीन जमामार-वि० [हिं० जमा+मारना ] अनुचिल ते दूसरो का लेते थे। भारत के स्वतंत्र हो जाने पर लोकताधिक सरकार धन दवा रखने या ले लेनेवाला। ने जमींदारी प्रथा का वैधानिक उन्मूलन कर दिया है। जमाल-सा पु० [अ०सौंदर्य । शोमा। छवि । रूप । उ०- जमींदारा-सशा पुं० [फा० जमीदारी] दे० 'जमीदारी'। कनक विदु सुरकी रुकुम, घदन मिलत जमाल । बदन तिलक जमींदारी-मा श्री. [फा० जमीन्दारी] जमींदार की वह जमीन दिए भई, तिलक चौगुनी भाल।-स० सप्तर, पृ०२५३ । जिसका वह मालिक हो। २ जमीदार होने की दशा या जमालगोटा-सचा पुं० [सं० जयमाल ( = जमाल ) + गोदा] एक प्रवस्था । ३ जमींदार का हक या म्वत्व । पौधे का बीज जो मत्यत रेचक है। जयपाल 1 दतीफल । जमींदोज-वि० [फा० ज़मींदोज १ जो गिरा, तोडा या उवाडकर विशेष--यह पौधा फरोटन की जाति का है और समुद्र से ३००. जमीन के बराबर कर दिया गया हो। २२० 'जमीनदोज'। फुट की ऊंचाई तक परती भूमि मे होता है। यह पौवा दूसरे जमी-वि० [सं० मिन् ] इद्रियनिग्रही । १० देखि लोग सकुचात वर्ष फलने लगता है। इसका फल छोटी इलायची के बराबर जमी से !---मानस, २२२१४ । होता है जिसके भीतर सफेद गरी होती है। गरी में तेल का जमीन-सज्ञा स्त्री० [फा० जमीन] १ पृथ्वी (ग्रह) । जैसे,-जमीन मश वह भधिक होता है और उसे खाने से बहुत दस्त माते घरावर सूरज के चारों तरफ घूमती है। २ पृथ्वी का यह है। गरी से एक प्रकार का तेल निकलता है जो बहुत तीक्ष्ण ऊपरी ठोस भाग जो मिट्टी का है और जिसपर हम लोग रहते होता है और जिसके लगाने से बदन पर फफोला पर जाता हैं 1 भूमि । धरती। है । तेल गाढ़ा पीर साफ होता है और मौषध के काम मे मुहा०---जमीन पासमान एक करना=किसी काम के लिये बहुत . प्राता है। इसकी खली चाह के खेत की मिट्टी में मिलाने से अधिक परिश्रम या उद्योग करना। बहुत बडे बडे उपाय पौधों में दीमक पौर दूसरे कीडे नहीं लगते। इसके पैड कहवे करना। जमीन मासमान का फरक = बहुत अधिक मतर । के पेड के पास छाया के लिये भी लगाए जाते हैं। बहुत बहा फरक । माकाश पाताल का प्रसर । १०-मुकाविला जमाली-वि० [40] सुदर रूपवाला । स्वरूपवान् । सौदर्य करते हैं तो जमीन मासमान का फर्फ पाते हैं।-फिसाना, युक्त [फो०] । भा० ३, पृ० ४३६ । जमीन भासमान फेकूनावे मिलाना- जमाव-समा पुं० [हिं० जमाना ] १ जमने का भाव । २ जमाने बहुत डीग होकना । बहुत शेखी मारना । २०-चाहे घर का भाव । ३ भीर भाइ । जमावड़ा । की दुनियाँ उधर हो जाय, जमीन प्रासमान के फुलावे मिल, जमावद-सद्या स्त्री० [हिं० जमाना ] जमने का भाव । ३० 'जमाई' जाय, तूफान पाए, भूपाल पाए, मगर हम जरूर पाएंगे।- फिसाना०, भा०३, पृ० ५१ । जमीन का पैरों तले से निकल जमावड़ा-महा पुं० [हि. जमना (= एकत्र होना) बहन से लोगों जाना = सन्नाटे मे मा जाना। होश हवास जाता रहना । का समूह । भीड । उ०-इन लोगो का भारी जमावडा वही बमीन चूमने लगना-इस प्रकार गिर पडना कि जिसमे जमीन हप्रा करता है।-प्रेमपन०, भा०२, पृ०३ के साथ मुह लग जाय । जैसे,-जरा से धक्के से वह अमीन जमी-सशास्त्री० [फा जमी] दे॰ 'जमीन' । उ--गिरफर न उठे चूमने लगा । जमीन दिखाना=(१) गिराना । पटकना । जैसे, काफिरे बदकार जमी से, ऐसे हुए गारत --भारतेंदु प्र., एक पहलवान का दूसरे पहलवान को जमीन दिखाना । (२) भा० १,३० ५३01 नीचा दिखाना। जमीन देखना=(१) गिर पहना । पटका जमीकंद-सज्ञा पुं० [फा० उमीन+कद ] सूरन । पोल। जाना। (२) नीचा घेखना। जमीन पकहना = जमकर जमींदार- सझा पुं० [फा० जमीनदार ] जमीन का मालिक । नाम बैठना । जमीन पर चढना = (१) घोड़े का तेज दौडने का का स्वामी। अभ्यास होना। (२) किसी कार्य का मभ्यस्त होता । जमीन विशेष-मुसलमानो के राजत्वकाल में जो मनुष्य मिला है पर पैर या कदम न रखना = बहुत इतराना। भहत ममिमान प्रांत, जिले या कुछ मावों का भूमिकर लगाने प्रो. शारी करना । उ०-ठाकुर साहब ने वारह चौदह हजार रुपया खजाने में जमा करने के लिये नियुक्त होता था, वह जमीदार नकद पाया तो जमीन पर कदम न रखा-फिसाना०, भा. कहलाता था और उसे उगाहे हग कर का दस भाग पूरम्पार ३, पृ० १६६। जमीन पर पैर न पडना = बहुत अभिमान स्वरूप दिया जाता था। पर, जब प्रत मे मुसलमान मासक होना । जमीन में गड जाना प्रत्यत लज्जित होना। कमजोर हो गए तब वे जमीदार अपने अपने हातों के स्वतम ३ मुदह, विशेषकर कपडे, कागज मा तन्ते मादि की यह रासह रूप से प्राय मालिक बन गए । अंगरेजी राज्य मे जमीदार जिसपर किसी तरह के वेल वूटे मादि बने हो। जैसे,—कानी लोग अपनी अपनी भूमि के पूरे पूरे मालिक समझे नाते ये जमीन पर हरी बूटी की कोई चौंट मिले नो लेते भागा।। पौर जमीदारी पैतृक होती थी। ये सरकार को पूछ निश्चित वह सामग्री जिसका व्यवहार किसी द्रध्य के प्रस्तुन करने में वार्षिक कर देते थे और अपनी जमीदारी का सपत्ति की नीति माधार रूप से किया जाय । जैसे, मतर भोधने में घदन की जिस प्रकार पाहे, उपयोग कर सकते थे। काश्तकारों धादि जमीन, फुलेल में मिट्टी के तेल की जमीर। ५ विग्री कार्य के को कुछ विशिष्ट नियमो के अनुमार से पनी जमीन म्वय ही लिये पहरी में निश्चय की हुई प्रणाली । ऐशवदी भूमिका । जोतने बोने मादि के शिये देने से सनसे लगान मादि मायोजन ।