पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

पारधि १९८० थामना ३ यह कि जो के साथ पहन बाल पर पर विप्र-देना-सगाना। थापरा-सा पं० [देश॰] छोटी नाव । डोगी (लरा०)। २. पनदातमापा। पूरेप का मापात । जैसे, घर को पाप, ' थापा-सबा पुनहि थाप1१ हाय के पजे का वह चिह्न जो पहलवानों को याप। किसी गीली वस्तु (हलदी, मेहदी, रग मादि) से पुती हुई कि० मारना ।—लगाना । हवेती को जोर से दबाने या मारने से बन जाता है। पजे ३ वह पित जो रिसी वस्तु के भरपूर पैठने से परे। एक वस्तु का छापा। पर दुखरी वस्तु के दार के साथ पहने से बना हमा निशान । क्रि०प्र०—देना ।-मारना।—लगाना । छाप । जैसे, दीवार पर गौते पंजे का बाप, बालू पर पैर । विशेप-पूजा या मगल के अवसर पर लिया इस प्रकार के ही पाप। चिह्न दोवार मादि पर बनाती है। प्र०-देना !पड़ना । लगना । २ गाँव मे देवी देवता की पूजा के लिये किया हमा चंदा। स्थिति। माव। ५ किसी को ऐसी स्थिति जिसमें लोग पुजोरा। १ ख लयान में मनाज की राशि पर गीली मिट्टी उठा करना माने, मय करें या उसपर श्रद्धा विश्वास या गोबर से दाना हमा चिह्न जो इसलिये डाला जाता है रखें। महत्वस्यापन । प्रतिष्ठा। मर्यादा । पाक । साक । जिसमें यदि कोई पुरावे तो पता लग जाय। चौकी। ४ वह २०-फहै पदमाकर मुमहिमा मही मे भई महादेव देवन में साँचा जिसमें रण पावि पोतकर कोई चिह्न प्रकित किया चादी पिर पाप है।-पधाकर (चन्द०)। जाय । थापा। ५. वह सांचा जिसमे कोई गीलो सामग्री क्रि० प्र०-चमना ।—होना । दवाकर या डालकर कोई वस्तु बनाई जाय। वैसे, इंट का ६ मान । कदर । प्रमाण । से,-उनको पात की कोई याप यापा, सुनारो का थापा । ६ र । रागि। उ०-सिर्हि नही । ७ पचायत उपथ । सौगए । कसम। । दरब पागि के पापा। कोई जरा, जार, कोइ तापा ।मुहा०--रिजी की थाप देना किसी की कसम गना। जायसी (शब्द०)। ७ नेपालियों की एक जाति । अपथ देना। थापा-समा [सं० स्थापना, हिं. थाप] पाघात । थपकी। पाप। थापणि--रुपा खो [६० स्थापना, प्रा. यावरणा] स्थिरता। स्थापना । पप्पड । उ०-जहाँ जहाँ दुख पाइया गुरु को थापा सोय । स्थैर्य वाति। 30-थापरिण पाई थिति भई, सतगुर दोन्ही जवही सिर टक्कर लगे तब हरि सुमिरन होय ।-मलूक०, पोर। कौर हीरावणजिया, मानसरोवर तीर-कवीर पु. ४०। प.पू. २८ । थपिया-सशासी० [हिं० थापग-] दे० 'थापी'। थापन- पु. [• स्थापन] १ स्थापित करने की क्रिया । जमाने थापी-सथानी [हिं० थापना ] १ काठ का चिपडे भौर चौड़े। या बैठाने को क्रिया। २ किसी स्थान पर प्रतिष्ठित करने सिरे का उडा जिससे कुम्हार कच्चा घड़ा पीटते हैं। २ फा कायं । रखने का कार्य। -कहे जनक कर जोरि वह चिपटो मुंगरी जिससे राज या कारीगर गच पीटते हैं। कीन मोहि मामन । रघुकुल तिलक भुवाल सदा तुम उथपन ३. थपकी। हथेली से किया हुमा प्राघात । पाप। उ०यापन:-तुलसी (शब्द०)। कमीर साहब ने उस गाय को यापी दिया।—कबीर म०, यापनहार-वि० [सं० स्थापन, हि० यापन + हार स्थापन या थापन पृ० ११४। करनेवाला। प्रतिष्ठित करनेवाला। उ०-मथपन यापन- थामसपा ० [सं० स्तम्म, प्रा० थम] १ खभा । स्तभ । २ हारा ।-परनो०, १०४२। मस्तूल (लश)। थापना-कि.१० [स्थापन] १. स्थापित करना । जमाना। थाम----सुद्धा सी० [हिं० थामना] थामने की क्रिया या ढग। पकड़ । ठाना। जमाकर रखना। उ.-लिग वापि विधिवन करि थामना-कि०म० [सं० स्तम्भन या स्तभन, प्रा० भन (-रोकना)] पूजा। सिव समान प्रिय मोहिं न दूजा-मानस, ६।२। १. किसी चलनी हुई वस्तु को रोकना । गति या वेग प्रव. २ किमी गीतो सामग्री (मिट्टी, गोवर मादि) को हाय या रुद्ध करना । जैसे, चलती गाड़ी को थाम्ना, वरसते मेह सपि से पोट अथवा दवाकर कुछ बनाना । जैसे, उपले को थामना। पापना, अपडे यापना, इंट वापना । थापना-माश्री. [४० स्थापना] १. स्थापन । प्रतिष्ठा । रखने सयोकि०-देना। पारेठाने का कार्य। 30-जहें लगि वीर देक्ष जाई। २ गिरने, पढने, लुढ़कने प्रादिन देना । गिरने पड़ने से बचाना। दनही सब पापना चपाई1-कवीर म०, १० ४७, १२ मूर्ति ___ जैसे, गिरते हुए को यामना, दूबते हुए को यामना । को स्थापना या प्रतिष्ठा । जैसे, दुर्गा की पापना। 30--- सयो कि०-लेना। हरिहो ही भु पापना । मोरे हृदय परम पतरना। ३ पकड़ना । ग्रहण करना। हाय में नेना । जैसे, घडी पामना मानस, ५२। ३. नररात्र में दुर्गापूजा फं लिये घटस्थापना । 3०-दस किताब को पामो नो में दूसरी निकाल हूँ। यापरी- हि- पाप+र (प्र.प.)] ० 'यप। संयो क्रि०-लेना।