पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५३५

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युन्नी थिराना ११५५ घुली हुई मैल मादि को नीचे बैठने देकर पानी को साफ संयो०कि०-देना। करना। ४. किसी वस्तु को जल में घोलकर और उसमें मिली २ मुह में ली हुई वस्तु को गिरवाना । उगलवाना । जैसेहुई मैल, धूल, रेत मादि को नीचे बैठाकर साफ करना। बच्चा मुह में मिट्टी लिए है, जल्दी थुकाभो। ३. युडी थुड़ी निथारना। कराना। निदा कराना । तिरस्कार कराना। जैसे, क्यों थिराना-कि. म० दे० 'पिरना' । उ---दोउन को रूप गुन दोर ऐसी चाल चलकर गली गली थुकाते फिरते हो। बरनत फिर, पल न घिरात रीति ने की नई नई-वेव। थकायला-वि० [हिं० थूक+मायल (प्रत्य॰)] जिसे सब लोग थी-क्रि- म.[हिं०]' के भूतकाल 'या' का श्री यूकें । जिसे सब लोग धिक्कारें । तिरस्कृत । निंद्य । थोर-प्रत्य [ देश० ] से। उ०-द्रसिंघ दक्खण यो मायो ।-रा० थुकेला–वि० [हिं० चूक ] दे० 'युकायल' । ०, पृ० २५। थुक्का-सा स्त्री० [हिं० यूक ] निदा। घणा । धिक्कार । थीकरा-सचा पुं० [१० स्थित+कर ] किसी भापत्ति के समय रक्षा यो०-थुक्का युक्की परस्पर निंदा, घिरकार या घृण । या सहायता का भार जिसे गांव का प्रत्येक समयं मनुष्य । थुक्का फजीहत-या स्त्री० [हिं० यूरू +म. फजीहत ] निवा बारी वारी से अपने ऊपर लेता है। मोर तिरस्कार । युडी थुड़ी । धिक्कार । थीजना-कि.म. [ स्या ] टिक जाना। प्रचत होना। स्थिर क्रि० प्र०—करना ।-होना।। रहना । उ०-मन तुम तन मंडरात है नहि थोजे हा हा। घनानद, पु० ३६७।। थुक्की-सहा सो० [हिं० यूक ] रेशम के ठागे को थूक लगाकर थोतां- पुं० [सं० स्पिति ] सत्य। वस्तुस्थिति। उ०-थीत सुलझाने की क्रिया ( जुलाहे )। चीन्हें नही पथल पूजता फिरे करम मनक करि नरक लीन्हा। थुदी-समा ली. [ अनु० यू यू ( = थूकने का पाब्द)] धुणा। -स• दरिया, पृ० ८३ मोर तिरस्कारसुचक शब्द । धिक्कार। लानत । फिट । थोवा-सहा . [सं. स्थित, हि० थित ]१. स्पिरता। धाति । २. जैसे,—चुडी है तुझको। कल । चैन । उ०-यीतो परे नहिं पीती वपन देखत पीठि मुहा०-युड़ी युड़ी करना=धिक्कारना । निंदा भौर तिरस्कार दै डोठि के पैनी।--देव (शब्द०)। करना। थोती - सना खी. [४ स्थिति, प्रा. पि] संतोष। ढाढ़स। थुव-वि० [सं० स्तुत, स्तुत्य, प्रा० थुम, युत ] पलाध्य । स्तुत्य । स्थिरता। 30-टक पियास, बौघु जिय पीती। -बायसी प्रशसनीय । १०-नवज जैचव मात भयो समरि वहिनी प्र., पृ० १५२ । सुत । तिन पवत दुज पठिय थार जर चोर थपिय थुत ।थीथीन-सा स्त्री० [6. स्थिति ] स्थिरता । २ धैर्य । धीरज । पृ० रा०,११६६०। इतमीनान । थुति-सपा स्त्री० [सं० स्तुति ] स्तवन । प्रार्थना । स्तुति । 10थीन-वि० [प्रा० थीण, पिएण ] चन । स्त्यान। कठिन । जमा ओरि हत्य युति मन फिरयो परदच्छि लम्गि पय । रुधिर हुपा । उ०-सुभट्ट सुसरं कुघट्ट सु कीन उलथ्य समैजी घृतं नयन मारक्त कठ लग्यो सु मुक्कि भय 1---१० रा०, ११०८ । जान पीन ।-पृ० रा०, २५। ५५५ । थुत्कार--सका पुं० [सं० ] दे॰ 'यूत्कार'। यौर -वि० [सं० स्थिर] स्थिर। ठहरा हमा। महोल । 3.- थुथना-मक्षा पुं० [देश॰] दे० 'यूथन'। (क) उलथाहि मानिक मोती हीरा। दरव देखि मन होहन थुथराई -तथा नी० [दरा०] मुंह लटकना। तुलना में न्यूनता थोरा!-जायसी (शब्द०)। (स) पियरे मुख श्याम शरीरा। माना । उ०--जान महा गवे गुन में धन प्रानंद हेरि रह्यो कह रहत नहीं पल थोरा-सुदर प्र०, मा० १, पृ० १२६ । युथराई। पैने कटाच्छनि भोज मनोज के पानन बीच विधी धुंदला-वि० [ मनु० ] युलथुल । फूला हुमा। मदा । उ० मुवराई । ---रसखान, पृ० १०४ । मोटा तन व धुंदला धुंदला मू व कुच्ची माख व मोटे मोठ थुथराना-क्रि० स० [हिं० थोडा ] थोड़ा पउना। मुखदर की मामद प्रामद है।-भारतेंदु ग्र०, भा० २, थाना-क्रि० म० [हिं० थूथन] यूथन फुलाना। मुह फुलाना। पृ०७८६। नाराज होना। यौ०-युदखा युदला-युलथुल । थुथुलाना-क्रि० प्र. [ अनु० ] यजथलाना । कपित होना । थुकवाना-क्रि० स० [हिं० थूकना ] ३० 'युकाना' । झल्लाना। भभक पड़ना । उ.-रामनाथ क्रोष मे युयुला थुकहाई-वि० श्री० [हिं० थूक+हाई (प्रत्य०) ] ऐसी (स्त्री) जिसे गया।-भस्मायूत०, पु०५१। र लोग यूकें । जिसकी सब निंदा करते हों। थुनी-सहा स्त्री० [हिं० यूनी] टेक । सहारा। धूनी । १०युकाई-सवा स्त्री० [हिं० थूकना ] थूकने का काम । प्रति पूरब पूरे पुण्य रूपी कुल भटल धुनी।-सूर (शब्द॰) । थुकाना--कि. स० [हि• यूकना का रूप] १ थूकने की थुनेर-सशा पुं॰ [ सं० स्थूण, हिं० यून ] गठिबन का एक भेद । क्रिया दूसरे से कराना । दूसरे को यूकने की प्रेरणा करना । थुन्नी-सचा त्री० [सं० स्यूरण] यूनी । स्वमा । चौड़।