पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५३६

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युपरना २१४ थुपरना-कि० [सं० स्तुप, हि. यूप] मडवे की बालों का ढेर व्यर्थ बकना । मनुचित प्रलाप करना । यूक लगानालगाकर रवाना जिसमें उनमें कुछ गरमी प्रा बाय । वंदवाना। हराना। नीचा दिखाना। चूना लगाना। हैरान भोर तग पोसाना । करना । थूक सगाकर छोड़ना= नीचा दिखाकर छोड़ना। थुपरा-सबा पुं० [सं० स्तूप ] महवे की बालों का ढेर जो मोसने (विरोधी को) तग पौर लज्जित करके छोड़ना । वड देकर के लिये दवाकर रखा जाय । छोड़ना । थूक लगाकर रखना बहुत सैतकर रखना । शुरना-क्रि० स० [सं० युर्वण (-मारना)] १. कूटना । २. जोर जोरकर इकट्ठा करना। कलसी से जमा करना । कपमारता । पीटना। पता से सषित करना। थूकों सत्त सानना-कजूसी या थुरहथा-वि० [हिं. पोड़ा+हाथ] [वि०सी० युरहथी] जिसके किफायत के मारे थोड़े से सामान से बहुत बड़ा काम करने हाथ छोटे हों। जिसकी हथेली में कम चीष मावे । २. किसी घलना । बहुत योड़ी सामग्री लगाकर बड़ा कार्य पूरा करने को कुछ देते समय जिसके हाथ में योगी वस्तु माये । किफायत चलना । थूक है -धिक है ! लानत है । करनेवाला । उ०-फन देवो सौंप्यो ससुर बह रही बानि। थूकना-क्रि० प्र० [हिं० थूक+ना (प्रत्य०)] १ मुह से थूक रूप रहपटे लगि लग्यो मांगन सब जग मानि |---बिहारी निकालना या फेकना। (यन्द०)। सयो० कि०-देना। थुलना-सका पुं० [देश०] एक प्रकार का पहाड़ी ऊनी कपडा या कबल। मुहा०-किसी (व्यक्ति या वस्तु) पर न थूकना = प्रत्यत घृणा थुलमा--सचा पुं० [२०] दे० 'थुलना'। करना । परा भी पसदन करना । मत्यत तुच्छ समझकर थली-सबा सी० [सं० स्थूल, हिं० थूला] किसी पन्नी मोटे कण ध्यान तक न देना । जैसे,-हम तो ऐसी चीज पर थूकें मी जो दलने से होते हैं । पलिया। नहीं। थूककर चाटना=(१) कहकर मुकर जाना। वादा करके न करना। प्रतिज्ञा करके पूरा न करना। (२) किसी थुवा--सा पुं० [सं० स्तूप] दे० 'यूवा'। दी हुई वस्तु को लौटा लेना । एक बार देकर फिर से लेना। थूक-मश पुं० [हिं० थूफदे० 'थूक' । थूकना--कि० स. १ मुह में ली हुई वस्तु को गिराना । उगलना। थूकना-कि० अ० [हिं०] दे० 'थूकना' । से,-पान यूक दो। थथो-िसबा बी० [देश॰] दे॰ 'थूथनी' 11-नतमस्तक हो प्यूपी सयो० कि०-देना। को धरती में देकर, सुध सुधकर कूड़े के ढेरों के भवर मुहा०-धुक देना=तिरस्कार कर देना। घणापूर्वक त्याग किया न भजन !-दीप ज०, पृ० १६६ । थू-प्रव्य [ मनु०] १. थूकने का शब्द । वह ध्वनि को जोर से २ बुरा कहना । धिक्कारना । निदा करना । तिरस्कृत करना। थूकने में मुंह से निकलती है। २ घृणा भौर तिरस्कार सूचक जैसे,—इसी चाल पर लोग तुम्हे थूकते हैं । शब्द । धिक् । छि । जैसे,--थू थू । कोई ऐसा काम करता है? उ.--बकरी भेड़ा, मछली खायो, काहे गाय चराई। थूणीचा श्री० [वि० स्तूप ] दे० 'यूनी'। उ.-तिहि समय रुधिर मास सब एकै पहि यू तोरी घम्हनाई।-पलटू०, अटल थूणी सुथप्प । गणनाथ पुजि सुभ मंत्र जप्प ।-है. भा०३, पु० ६२ । रासो, पृ० १५ मुहा०-यू थू करना = धूणा प्रकट करना। छि छि करना । थूत्कार-सहा पुं० [सं० ] थूकने का शब्द । थू थू करना [को०] । धिक्कारना । थू थू होना= चारो पोर से छि छि होना। थूत्कृत-सबा पुं० [सं०] दे० 'यूटकार'। निदा होना। थू थू युद्दा = लड़को का एक वाक्य जिसे वे थूथन-~सधा पुं० [ देश० ] लगा निकला हुमा मुहै। जैसे, सुमर, खेल में उस समय घोलते हैं जब समझते हैं कि वे बेईमानी घोडे, ऊंट, बैल मादिका। होने के कारण हार रहे हो। थूथनी-साली [हिं० यूथन] लवा निकला हुमा मुहै। से, थूक-सा पुं० [ मनु० थू थू ] वह गाढ़ा भौर कुछ कुछ लसीला रस सूमर, घोडे, बैल मादि का। जो मुई के भीतर जीम तया मास की झिल्लियों से लूटता मुहा०---थूथनी फैलाना=नाक भी चढ़ाना 1 मुह फुलाना । है। ष्ठीवन । खखार । लार। नाराज होना। विशेष-मनुष्य तथा पौर उन्नत स्तन्य जीवों में जीवो अगले २ हाथी के मुंह का एक रोग जिसमे उसके तालू में घाव हो भाग तथा मुह के भीतर की मासल झिल्लियो मे दाने की जाता है। तरह उमरे हुए (मत्यत) सूक्ष्म छेद होते हैं जिसमें ए० प्रकार थूथरा-वि० [ देश० ] थूथन के ऐसा निकला हुमा मुंह । बुरा चेहरा। का गाढ़ा सा रस भरा रहता है। यह रस भिन्न जतुमी में भद्दा चेहरा। भिन्न भिन्न प्रकार का होता है। मनुष्य प्रादि प्राणियो के थथुना-सचा पुं० [ देश० ] दे॰ 'यूपन'। थूक के भाग में ऐसे रासायनिक द्रव्यों का भरा होता है जो शत-सा स्त्री० [सं० स्युरणा थूिनी। पौड़। खभा। उ.-प्रेम भोजन के साथ मिलकर पाचन मे सहायता देते हैं। प्रमोद परस्पर प्रगटत गोपहि । अनु हिरदय गुनग्राम थून पिर . -घुक उछालना व्यर्थ की बकवात करना । थूक दिलोना%D रोपहि-तुलसी (शब्द०)।