पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/५३९

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ध्यादस थोता थोता-वि० [हिं०]दे० 'थोथा। उ०-'तुका' सज्जन तिन सू कहिये फैला देना। ३ मोटा लेप चढ़ाना । देव पढ़ाना। ४. जियनी प्रेम दुनाय । दुजन तेरा मुख काला योता प्रेम घटाय । पारोपित करना। मत्ये मढ़ना। लगाना । जैसे, किसी पर -दक्खिनी०, पृ० १०८।। दोष थोपना। ५ माक्रमण पादि से रक्षा करना। चाना। थोती-सता स्त्री० [देश॰] चौपायो के मुह का अगला भाग । दे० 'छोपना। यूथन । थोपी --सबा स्त्री० [हिं० थोपना] चपत 1 घोल । चपेट । पोपड़ी। थोथ-मक्षा सी० [हिं० थोथा] १ खोखलापन । नि.सारता। पोबड़ा-सज्ञा पुं० [ देश थूथन । जानवरों का निकला हुमा २. तोद । पेटी। लवा मुह। थोपर-वि० [हिं० थोथ (प्रत्य॰)] खोखला । थोथरा। उ० थोव रखना-क्रि० स० [लश०] जहाज को धार पर चढ़ाना । दते मरी मुख थोयर भए गेल जनिक माल साप ठाम वैस्लें थोमड़ी-सया स्त्री० [देश॰] यूही। वीवार । भित्ति। उ०-देखो भुवन भमिम । झरी गेल सवे दाप 1-विद्यापति,पृ. ४०२। थ जोगी करामातडी मनसा महल बणाया। विन थामा बिन योथरा-वि० [हिं० थोथ+रा(प्रत्य॰)] [वि० सी० थोथरी] १ धुन थोमडी पासमान ठहराया ।-राम० धर्म, पू० ४६ । या कीडों का खाया हुमा । खोखला । स्वाली । २ नि सार। जिसमें कुछ तत्व न हो। ३. निकम्मा । व्यर्थ का। जो किसी थोरा--सक्षा पुं० [देश॰] १. केले की पेडी के बीच का गामा। २. काम का न हो। उ०-(क) मत मोछी घट थोथरा ता पर बैठो थूहर का पेड। फलि !-चरण वानी, भा॰ २, पृ. २०४। (ख)मनुभी झूठी थोर-वि० [हिं० थोड़ा थोड़ा। स्वल्प । छोटा । ३०-उठे थन थोयरी निरगुन सच्चा नाम ।-दरिया• बानी, पु० २२ । योर विराजत घाम । घरे मनु हाटक सालिगराम ।-पु० थोथा-वि० [देश॰] [वि॰ स्त्री. योथी] १. जिसके भीतर कुछ रा०, २०२०। सार न हो । खोखला। खाली। पोला। पैसे, थोथा घना यौ०-थोरथनी = छोटे छोटे स्तनोवाली। उ०-रोम राज राजी बाजे घना। उ.--बहुत मिले मोहि नेमी धर्मी प्रात करें भ्रमहि पोरथनी ढुदि पाल । उत्तकंठा उतकंठ की ते पुज्जी प्रसनाना । मातम छोड पषाने पूजे तिन का थोथा ज्ञाना।-- प्रतिपाल !-पु. रा०, २५१७२५ । कवीर श०, मा.१, पु०२७। २ जिसकी धार तेज न थोरा+वि० [हिं०1 दे० 'थोड़ा। हो । कुठित । गुठला । जैसे, पोथा तीर । ३ (सॉप) जिसकी थोरिक -वि० [हिं० थोरा+एक] थोडा सा । तनिक सा । पूछ कट गई हो। बाडा। वे दुम का। ४ मद्दा । वेढगा । थोरी–समा श्री० [देश॰] एक हौन पनार्य जाति । व्यर्थ का । निकम्मा। थोरी-वि० स्त्री० [पोरा का स्त्री० मल्पा० दे० 'थोड़ा'। महा०-योथी कथनी = व्यर्थ की वात । निसार वात। उ० थोरो, थोरी-वि० [हिं०] दे० 'थोड़ा'। उ०-पाछे उन बदीवानन करनी रहनी दृढ़ गही थोथी कयनी हारी।-चरण के ते थोरो द्रव्य मावन लाग्यो। दो सौ पावन०, मा० १, बानी, भा॰ २, पृ० १७० । थोथी वात - (१) भद्दी बात। पु. १२८। (ख) महो महरि मब बधन छोरी। सुबर सुत (२) व्यर्थ की बात । व्यर्थ का प्रलाप ! पर भयो न पोरौ। नद. ०, पृ.२५१ । थोथा-सया पु० बरतन डालने का मिट्टी का सोचा। थोल-वि० [हिं०] दे० 'योसा' । उ०-काहु कापल काहु घोल, थोथी-सहा और [देश॰] एक प्रकार को घास । फाह सबल काहु पोल | -कोति०, पृ०२४ । थोपड़ी-सशास्त्री० [हिं० थोपना] चपत 1 घोल । थोहर -सका पुं० [देश॰] दे० 'थूहर'। उ०-सुभा हरड पोहर यौ०-गनेम थोपड़ी लसफो का एक खेल जिसमें जो पोर सुमा, सुभा कहुत फल्याण। सुभा जु सोभावान हरि, पौर होता है उसकी पौवे बद करके उसके सिर पर सब लड़के न जो जान ।-नद० ग्र०, पृ०७०। वारी वारी चपत लगाते हैं। यदि चपत लानेवाला लड़का ठीक ठीक बतला देता है कि किसने पहले चपत लगाई तो वह। gr-सबा खी० [सं० तुन्द या तुए] तोंद । पेट । उ०-हिपे पहले चपत लगानेवाला लडका चोर हो जाता है। कटारीन सौं थीदि फारी। तहीं दूसरे भानिक सीस मारी। योपना-क्रि० स० [सं० स्थापन, हि. यापन] १ किसी गीली चीज -सुजान०, पु० २१ । ( जैसे, मिट्टी, पाटा प्रादि ) फी मोटो तह ऊपर से जमाना थ्याँ म न माना थ्याँ-क्रि० स० [हिं०] दे० 'या' 13०-सवाल सात सुरता खुदाए या रखना। किसी गीली वस्तु का सौदा यों ही ऊपर डाल ताला के जात मे क्यों थ्यो ?–दक्खिनी०, पृ. ३८८ । देना या जमा देना । पानी में सनी हुई वस्तु को सोदे को थ्यावसा-सचा पु[सं० स्येयस] १. स्थिरता । ठहराव । २. धीरता। किसी दूसरी वस्तु पर इस प्रकार फैलाकर डालना कि वह धैर्य । उ०-(क) चिन पावस तो इन्हें थ्यावस है न सुक्यो उसपर चिपक जाय। छोपना । जैसे,-घरे के मुह पर करिये अब सो परसै । बदरा बरसे ऋतु में घिरि के निती मिट्टी छोप दो। अंखियाँ उघरी बरसँ । -मानदधन (शब्द०)। (ख) ज्या सयोकि०-देना । लेना। कहलाय मसूसनि ऊमस क्यो हूँ कहूँ सो परे नहि थ्यावस ।२ तवे पर रोटी बनाने के लिये यो हो विना गढ़े हुए गीला पाटा मानवधन (पन्द०)।